SGOT Test in Hindi: अर्थ, उद्देश्य, और प्रक्रिया | हिंदी में जानकारी
Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Komal Daryani
on Apr 25, 2024
Last Edit Made By Komal Daryani
on Apr 25, 2024
Table of Content
एसजीओटी जिसका फुल फॉर्म - सीरम ग्लूटामिक-ऑक्सालोएसेटिक ट्रांसएमिनेज़ है। ये एक तरह का ब्लड टेस्ट होता है। जिसे लिवर की जाँच करने के लिए किया जाता है। अगर लिवर में कोई घाव या लिवर की बीमारी हो गई है तो उसका इलाज करने के लिए ये टेस्ट करना जरूरी होता है। इस टेस्ट से ब्लड में एएसटी एंजाइम के लेवल को मापा जाता है।
एसजीओटी टेस्ट क्या है?
एसजीओटी टेस्ट को एस्पार्टेट एमिनोट्रांस्फरेज (एएसटी) टेस्ट के रूप में भी जानते हैं। एसजीओटी टेस्ट दो मुख्य एंजाइम जिसे लिवर प्रोड्यूस करता है उसके लेवल को मापता है। लीवर के अलावा ये ब्रेन, हार्ट, किडनी और मांसपेशियों में भी पाया जाता है। इस टेस्ट का कोई साइड इफ़ेक्ट नहीं होता हैं। इस टेस्ट में ब्लड की थोड़ी ही मात्रा निकाली जाती है। इसलिए ये एक तरह का ब्लड टेस्ट है और इससे डॉक्टर को लिवर की बीमारी के साथ ही लिवर के कम घाव या छोटी बीमारी के इलाज में मदद मिलती है।
एसजीओटी टेस्ट क्यों किया जाता है?
एसजीओटी टेस्ट से डॉक्टर को लीवर की चोट या लीवर की बीमारी का ट्रीटमेंट करने में मदद मिलती है। लीवर कोशिकाएं डैमेज होने पर एसजीओटी ब्लड फ्लो में लीक होता है। इस वजह से ब्लड में इस एंजाइम का लेवल बढ़ जाता है।
एसजीओटी शरीर के बहुत से हिस्सों में पाया जाता है जैसे: मांसपेशियां, किडनी, ब्रेन और हार्ट। अगर इनमें से कोई भी हिस्सा डैमेज है तो इसका मतलब है आपका एसजीओटी लेवल नार्मल से ज्यादा हो सकता है। मांसपेशियों में चोट लगने पर या हार्ट अटैक आने पर इसका लेवल बढ़ सकता है।
एसजीओटी टेस्ट उन लोगों के लिवर की हेल्थ को मापने के लिए किया जा सकता है जो पहले से ही ऐसी उस कंडीशन में है जो उनके लिवर की हेल्थ को प्रभावित करती हैं जैसे कि हेपेटाइटिस सी।
एसजीओटी टेस्ट कब करवाना चाहिए?
लिवर डैमेज होने पर या लिवर की चोट की जांच करने के लिए डॉक्टर एसजीओटी टेस्ट की सलाह दे सकते हैं। लीवर की अच्छी हेल्थ आपके डेली रूटीन और खाने पर डिपेंड करती है। ज्यादा शराब पीना, अनहेल्दी खाना, एक्सरसाइज न करना, मोटापा ये सब फैक्टर्स लीवर को नुकसान पहुंचाते हैं। और लिवर के काम करने के तरीके को प्रभावित करते हैं।
किसी व्यक्ति में इस तरह के रिस्क फैक्टर्स हैं। जो लीवर को नुकसान पहुंचा सकते हैं। तब डॉक्टर एसजीओटी टेस्ट करने की सलाह देते हैं।
- लिवर की बीमारी का पारिवारिक इतिहास रहा हो।
- लिवर डैमेज होने के लक्षण, जैसे अचानक वजन कम होना।
- पीलिया होने पर।
हाई एएसटी लेवल क्या मतलब है?
एएसटी लेवल ज्यादा है तो ये इस तरफ इशारा करता है।
- शराब से डैमेज होना।
- क्रोनिक हेपेटाइटिस।
- लिवर कैंसर।
- कोलेस्टेसिस, पित्त प्रवाह में कमी। (बाइल फ्लो)
- किडनी, हार्ट, हड्डी, या मांसपेशियों का डैमेज होना।
- लीवर में घाव होना, जिसे लीवर सिरोसिस के रूप में पहचानते है।
- एएसटी लेवल बहुत ज्यादा होने का मतलब है लिवर का ज्यादा डैमेज होना ये जो तेज हेपेटाइटिस के कारण होता है।
एएसटी लेवल लो होना इस तरफ इशारा करते हैं।
- किडनी रोग होना
- सिरोसिस
- लिवर रोग होना
- विटामिन बी6 की कमी होना
- स्वप्रतिरक्षी स्थितियाँ (ऑटोइम्म्युन कंडीशन)
- आनुवंशिक स्थितियाँ (जेनेटिक कंडीशन)
- कैंसर
एसजीओटी टेस्ट की तैयारी कैसे करें?
एसजीओटी टेस्ट एक सिंपल ब्लड टेस्ट है। इसके लिए किसी ख़ास तैयारी की जरूरत नहीं होती है। फिर भी कुछ ऐसे फैक्टर्स है जिन पर ध्यान देना जरुरी है। ताकि इस प्रोसेस को ज्यादा आसान बनाया जा सके। एसजीओटी टेस्ट लिवर से जुड़ी समस्याओं वाले रोगी या व्यक्ति से ब्लड का सैंपल लेकर किया जाता है।
इस टेस्ट के लिए आपको ज्यादा कुछ नहीं करना है। बस टेस्ट से 2 दिन पहले एसिटामिनोफेन (टाइलेनॉल) के साथ ही किसी भी तरह की ओवर-द-काउंटर (ओटीसी) मेडिसिन लेने से बचें। अगर आप ये मेडिसिन लेते हैं तो अपने डॉक्टर को इस बारे में जरूर बताएं। आपको टेस्ट कराने से पहले डॉक्टर को उन सभी मेडिसिन के बारे में बताना चाहिए जो आप ले रहे हैं।
टेस्ट से एक दिन पहले खूब पानी पियें। यानि की आपको हाइड्रेट रहना होगा। जिससे की आपका ब्लड सैंपल लेना आसान हो। ऐसे कपड़े ही पहनकर जाएँ जिससे आपकी बांह से ब्लड आसानी से निकाला जा सके।
एसजीओटी टेस्ट के साइड इफेक्ट्स
इस टेस्ट के कोई खास साइड इफेक्ट्स नहीं है। बस कुछ ही साइड इफेक्ट्स है जो हो सकते हैं वो भी कुछ मिनट के लिए।
- जी मिचलाना
- हल्का-हल्का महसूस होना
- बेहोशी आना
इसके लिए आपको आराम करना होगा और पोषण से भरपूर खाना खाकर इनसे निपटा जा सकता है। साथ ही कुछ लोगों की नसों का पता लगाना आसान नहीं होता है। तो सही से नस मिल जाए इसके लिए कई बार अपनी बांहों में छेद करवाना पड़ सकता है। जिसकी वजह से बांह में अकड़न और चोट लग सकती है। लेकिन ये कोई गंभीर मामला नहीं है बस थोड़ा सा आराम इन साइड इफेक्ट्स को दूर कर सकता है। इसके बाद भी अगर कोई परेशानी ज्यादा समय तक बनी रहती है तो डॉक्टर को दिखाएँ।
एसजीओटी टेस्ट के बाद फॉलो अप टेस्ट
सीरम ग्लूटामिक-ऑक्सालोएसिटिक ट्रांसएमिनेज़ या एसजीओटी टेस्ट को एक पैनल टेस्ट माना जाता है। कुछ दूसरे टेस्ट जो एएसटी या एसजीओटी टेस्ट से जुड़े होते हैं वे हैं:
- संपूर्ण मेटाबॉलिक पैनल (किडनी और लीवर की काम करने के तरीके को समझने के लिए ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट्स की जांच करता है)
- प्लेटलेट काउंट
- एल्बुमिन टेस्ट
- एलानिन एमिनोट्रांस्फरेज़ या एएलटी टेस्ट । इसे सीरम ग्लूटामिक पाइरुविक ट्रांसअमिनेज़ या एसजीपीटी टेस्ट के रूप में भी जाना जाता है।
- कोएग्युलेशन पैनल
- एल्कलाइन फॉस्फेट (एएलपी) टेस्ट
- ग्लूकोज टेस्ट
- बिलीरुबिन टेस्ट
- लिवर की अल्ट्रासाउंड इमेजिंग
- वायरल टेस्ट
एसजीओटी की नार्मल रेंज क्या है?
एसजीओटी टेस्ट की नार्मल रेंज 8 से 45 यूनिट प्रति लीटर सीरम के बीच होती है। सिजेंडर पुरुषों के लिए 50 और सिजेंडर महिलाओं के लिए 45 से ऊपर का स्कोर ज्यादा है। जो की नुकसान का संकेत दे सकता है। पुरुषों के लिए एसजीओटी की नार्मल रेंज 10 से 40 यूनिट/लीटर के बीच है। और महिलाओं के लिए 9 से 32 यूनिट/लीटर के बीच है। लैब की अपनी - अपनी तकनीक के आधार पर एसजीओटी की नार्मल रेंज अलग - अलग हो सकती है।
Conclusion
एसजीओटी टेस्ट लिवर की हेल्थ को जांचने के लिए किया जाता है। ये लिवर की बीमारी या लिवर की चोट की पहचान करने के लिए सबसे अच्छा ब्लड टेस्ट है। अगर ब्लड में एंजाइमों का लेवल ज्यादा होता है तो ये लिवर डैमेज होने की तरफ इशारा करता है। लीवर कैसे काम कर रहा है और लीवर की बीमारी की शुरुआती स्टेज में उसका इलाज करने के लिए एसजीओटी टेस्ट का उपयोग किया जाता है।