FBS Test in Hindi: FBS टेस्ट कब और कैसे किया जाता है
Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra
Written By Kirti Saxena
on Apr 22, 2024
Last Edit Made By Kirti Saxena
on Apr 22, 2024
FBS टेस्ट क्या है और ये क्यों जरूरी है?
FBS (Fasting Blood Sugar) टेस्ट एक आम ब्लड टेस्ट है जो शरीर में ग्लूकोज के लेवल को मापती है। ये टेस्ट आमतौर पर सुबह खाली पेट किया जाता है, यानी खाने-पीने से कम से कम 8-12 घंटे पहले। ये जांच डायबिटीज या प्री-डायबिटीज की पहचान करने में मदद करती है।
डायबिटीज एक ऐसी गंभीर बीमारी है जिसमें शरीर में इंसुलिन का लेवल कम हो जाता है या फिर शरीर इंसुलिन (insulin) का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता। इससे ग्लूकोज का लेवल बढ़ जाता है और ये कई गंभीर समस्याओं को जन्म दे सकता है। डायबिटीज के लक्षण होते हैं - अधिक प्यास लगना, बार-बार पेशाब आना, थकान महसूस होना, धीमी घाव भरना आदि।
प्री-डायबिटीज एक कंडीशन है जब ब्लड शुगर का लेवल नॉर्मल से ज्यादा होता है लेकिन डायबिटीज के लेवल तक नहीं पहुंचता। इस स्थिति में इंसान को डायबिटीज हो सकता है क्योंकि उनका शरीर इंसुलिन का सही तरह से इस्तेमाल नहीं कर पाता। प्री-डायबिटीज में भी कुछ सिंप्टोम्स दिखाई दे सकते हैं लेकिन वे बहुत गंभीर नहीं होते।
FBS टेस्ट की मदद से डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का पता लगाया जा सकता है। ये टेस्ट शरीर में ग्लूकोज के लेवल को मापता है और जिससे डॉक्टर को इलाज़ में मदद मिल सकती हैं। साथ ही, ये टेस्ट किसी इंसान में प्री-डायबिटीज का भी पता लगा सकता है जिससे उन्हें समय रहते इस बीमारी को रोकने के लिए उपाय करने में मदद मिल सकती है।
FBS टेस्ट कब और कैसे किया जाता है?
FBS टेस्ट के लिए आमतौर पर सुबह खाली पेट होना जरूरी है। ये इसलिए क्योंकि खाने के बाद ग्लूकोज का लेवल टेम्पोररीलय तरीके से बढ़ जाता है। खाली पेट होने से शरीर में मौजूद ग्लूकोज का सही लेवल मापा जा सकता है।
टेस्ट के लिए आपको किसी लैब या हॉस्पिटल में जाना होगा जहां आपका ब्लड सैंपल लिया जाएगा। ये सैंपल लैब में भेजा जाएगा और वहां इसकी जांच की जाएगी। इस टेस्ट की रिपोर्ट आपको उसी दिन मिल जाएगी।
रिपोर्ट में आपका ब्लड शुगर लेवल दिखाए जाएगा। डॉक्टर इस बेस पर आपकी कंडीशन का डिसाइड करेंगे:
- 70-99 mg/dL: सामान्य स्तर (normal level)
- 100-125 mg/dL: प्री-डायबिटीज (Pre-diabetes)
- 126 mg/dL या ज्यादा: डायबिटीज (Diabetes)
इस तरह FBS टेस्ट आपकी सेहत का एक जरुरी संकेत देता है। ये आपको समय रहते डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का पता लगाने में मदद करता है ताकि आप इस बीमारी को कंट्रोल में रख सकें और गंभीर परेशानियों से बच सकें।
FBS टेस्ट से क्या लाभ होते हैं?
FBS टेस्ट के कई लाभ हैं जो इसे एक जरूरी जांच बनाते हैं:
- डायबिटीज की पहचान: FBS टेस्ट सबसे आम तरीका है डायबिटीज का पता लगाने का। ये ब्लड शुगर के लेवल को माप कर बताता है कि आपकी बॉडी में डायबिटीज है कि नहीं।
- प्री-डायबिटीज का पता: ये टेस्ट प्री-डायबिटीज की स्थिति का भी पता लगा सकता है जब ब्लड शुगर लेवल नॉर्मल से ज्यादा होता है लेकिन डायबिटीज के लेवल तक नहीं पहुंचता। प्री-डायबिटीज में समय रहते इलाज करने से डायबिटीज को रोका जा सकता है।
- डायबिटीज के जोखिम का पता: FBS टेस्ट डायबिटीज के लिए जोखिम फैक्टरों को भी दर्शाता है। ऐसे में डॉक्टर आपको समय रहते सही उपाय करने का सुझाव दे सकते हैं।
- उपचार के लिए मार्गदर्शन: FBS टेस्ट के नतीजों के बेस पर डॉक्टर आपके लिए उचित उपचार प्रोटोकॉल तय कर सकते हैं। इससे आप अपनी स्थिति को कंट्रोल में रख सकते हैं।
- गंभीर समस्याओं से बचाव: डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का समय रहते पता लगाना इन स्थितियों से जुड़ी गंभीर समस्याओं जैसे हृदय रोग, किडनी फेल्योर, आंखों में प्रॉब्लम आदि से बचाव में मदद करता है।
- रेगुलर निगरानी: FBS टेस्ट को नियमित रूप से करवा कर आप अपने ब्लड शुगर के लेवल की निगरानी रख सकते हैं और इसे कंट्रोल में रख सकते हैं।
इन सभी लाभों को ध्यान में रखते हुए FBS टेस्ट एक बहुत ही जरूरी टेस्ट है जिसका नियमित रूप से करवाना चाहिए, खासकर उन लोगों के लिए जिनमें डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का खतरा हो।
FBS टेस्ट के लिए तैयारी
FBS टेस्ट के लिए कुछ बातों का ध्यान रखना जरूरी है:
खाली पेट होना (Having an empty stomach) : टेस्ट के लिए आपको कम से कम 8-12 घंटे पहले से खाना-पीना बंद कर देना चाहिए। ये इसलिए क्योंकि खाने के बाद ग्लूकोज का लेवल नार्मल से बढ़ जाता है जिससे सही नतीजा नहीं मिल पाता।
पानी पीना (Drinking water) : टेस्ट से पहले आप पानी पी सकते हैं लेकिन दूसरा कोई चीज़ न खाए। कॉफी, चाय या सोडा जैसे पेय पदार्थ टेस्ट के नतीजों को प्रभावित कर सकते हैं।
दवाइयों का सेवन (Consumption of medicines) : अगर आप किसी दवा का सेवन कर रहे हैं तो उसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं क्योंकि कुछ दवाएं ब्लड शुगर के लेवल को ऐफेक्ट कर सकता है।
व्यायाम से बचें (Avoid exercise) : टेस्ट से पहले व्यायाम या कसरत नहीं करनी चाहिए क्योंकि इससे ब्लड शुगर का लेवल बदल सकता है।
ब्लड शुगर चार्ट
कैटेगरी |
खाली पेट की शुगर |
खाने के बाद की शुगर |
नॉर्मल इंसान में शुगर लेवल |
100 mg/dl से कम |
140 mg/dl |
पूर्व-मधुमेह (प्रीडायबिटीज) इंसान में शुगर लेवल |
100-125 mg/dl |
140-199 mg/dl |
मधुमेह (डायबिटीज) इंसान में शुगर लेवल |
120 mg/dl |
180 mg/dl |
बूढ़े इंसानों में शुगर लेवल |
150 mg/dl |
200 mg/dl |
हर एक युवा को कम से कम एक बार FBS टेस्ट करवाना चाहिए ताकि डायबिटीज या प्री-डायबिटीज का पता लग सके। डायबिटीज या प्री-डायबिटीज के जोखिम वाले लोगों को रेगुलरल तरीको से FBS टेस्ट करवाना चाहिए। इसमें शामिल हैं - मोटापे से पीड़ित लोग, उच्च रक्तचाप यानि की हाई बी पी (high blood pressure) वाले लोग आदि। कुछ दवाएं और कंडीशंस जैसे गर्भावस्था (hereditary) , कोर्टिकोस्टेरॉयड्स (corticosteroids) का इस्तेमाल, थायरॉयड समस्याएं (thyroid problems) आदि ब्लड शुगर लेवल को इफ़ेक्ट कर सकती हैं। ऐसे में FBS टेस्ट के नतीजों को सही ढंग से इंटरप्रिट करना जरूरी है।