Electrolytes Test in Hindi - रक्त और तंतुस्तर की महत्वपूर्ण जाँच

Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Komal Daryani
on Nov 27, 2023
Last Edit Made By Komal Daryani
on Jan 23, 2025

गर्मियों के मौसम में अक्सर डिहाइड्रेशन की समस्या होने पर या वीकनेस महसूस होते ही इलेक्ट्रोलाइट वॉटर का इस्तेमाल किया जाता है। जिसे पीने के कुछ ही समय बाद शरीर में एनर्जी और ताजगी महसूस होती है। यह इलेक्ट्रोलाइट वॉटर क्या होता है, यह सब तो आप जानते होगें। लेकिन क्या आप जानते है कि इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट क्या होता है? और इसे कब कराया जाता है? अगर नहीं, तो आइए आज हम आपको इसके बारे में बताते हैं।
इलेक्ट्रोलाइट क्या होता है?
हमारे शरीर में इलेक्ट्रोलाइट मिनरल की तरह होते हैं, जिनकी जरूरत शरीर को काम करते रहने के लिए हमेशा होती है। हमारा शरीर हमारे द्वारा खाए गए खाने और पानी से मिलकर ही इलेक्ट्रोलाइट्स बनाता है। इन इलेक्ट्रोलाइट्स का काम शरीर में पानी के संतुलन को बनाए रखना, कोशिकाओं में पोषक तत्व को पहुंचाना, बुरे पदार्थों को बाहर निकालना और दिमाग और दिल के काम को बेहतर बनाए रखने में मदद करता है।
यह इलेक्ट्रोलाइट्स हमारे शरीर में पानी के स्तर को नॉर्मल और पीएच लेवल को स्थिर बनाए रखने का काम करते हैं। जो कि हमारे शरीर में एसिड और बेस की मात्रा संतुलित करने में मदद करती हैं।
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट क्यों कराया जाता है?
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट की मदद से खून में सोडियम, पोटैशियम, क्लोरीन और कार्बन डाईऑक्साइड जैसे इलेक्ट्रोलाइट्स को मापा जाता है। इस टेस्ट को आमतौर पर बाईकार्बोनेट टेस्ट के नाम से भी जाना जाता है। दरअसल इलेक्ट्रोलाइट्स हमारे शरीर में सोडियन, पोटैशियम जैसे मिनिरल की फॉर्म में पाया जाता हैं। ठीक इसी तरह खून में यह बाईकार्बोनेट के फॉर्म में पाया जाता हैं। इसलिए इसे बाईकार्बोनेट टेस्ट भी कहा जाता है।
- सोडियम: सोडियम हमारे शरीर मे फ्लुइड को बैलेंस करने का काम करता है।
- क्लोराइड: आमतौर पर खून में एसिड की मात्रा को बैलेंस करने का काम करता है।
- बाइकार्बोनेट: शरीर के टिश्यू में एसिड की सही मात्रा को बनाए रखने मे बाइकार्बोनेट मदद करता है।
- पोटेशियम: आमतौर पर दिल की गति को एक समान बनाए रखने मे पोटेशियम मदद करता है, इसके अलावा ये शरीर की मांसपेशियों की ताकत और एनर्जी का सही लेवल उचित बनाए रखने में भी मदद करता है।
जब खून में इन इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा बिगड़ जाती है, तो कमजोरी, मानसिक भ्रम, दिल की धड़कन तेज या धीरे और जैसी बीमारी होती है, जिसे इलेक्ट्रोलाइट्स असंतुलन कहते है। इस असंतुलन का पता लगाने के लिए यह टेस्ट कराया जाता हैं।
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट कब कराया जाता है?
आमतौर पर यह टेस्ट को तब किया जाता है जब कोई इंसान खुद को कमजोर महसूस करने लगते है। यह टेस्ट को कराने की सलाह तब भी दी जा सकती है जब आपको कुछ ऐसे लक्षण हैं, जो शरीर में इलेक्ट्रोलाइट के संतुलन के बिगड़ने का संकेत देते हैं। जैसे
- डायरिया
- उल्टी होना
- शुगर होना
- हार्ट की बीमारी
- नसें डैमेज
- मांसपेशियों में कोई समस्या है
- क्रोनिक किडनी की बीमारी
- हाई ब्लड प्रेशर
- लिवर में दिक्कत होना
इसके अलावा यह इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट तब भी किया जाता है जब कोई डियोरेटिक्स जैसी किसी तरह की दवाइयों का इस्तेमाल करते हैं। इसके साथ ही अगर आप कभी खेलते समय टकरा जाने से कभी चोट खा लेते है, तो डॉक्टर आपको यह टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
लेकिन कई बार दूसरी समस्याओं के इलाज से पहले भी आपके डॉक्टर आपको यह टेस्ट जरूर कराने की सलाह दे सकते हैं। क्योंकि इलेक्ट्रोलाइट के इंबैलेंस होने की वजह से हार्ट फेल हो सकता है। इसीलिए हार्ट फेल होने पर भी इस जांच को कराने की सलाह दी जा सकती है।
इलेक्ट्रोलाइट्स टेस्ट की नॉर्मल रेंज क्या है?
आपके टेस्ट का रिजल्ट लोगों की उम्र और स्वास्थ्य जैसे कई चीज़ों पर निर्भर करता है। इस टेस्ट के रिजल्ट मिलीइक्वीवैलेंट्स पर लीटर (mEq/L) में दिखाया जाता है। हमारे खून में सभी तरह के इलेक्ट्रोलाइट के लिए एक नॉर्मल रेंज इस तरह से होती हैं।
उम्र | पोटैशियम | सोडियम |
बड़ो में | 3.5 to 5 mEq/L | 136 to 145 mEq/L |
बच्चों में | 3.4 to 4.7 mEq/L | 136 to 145 mEq/L |
शिशुओं में | 4.1 to 5.3 mEq/L | 139 से लेकर 146 mEq/L |
नवजात में (0-7 दिन) | 3.7 to 5.9 mEq/L | 133 से लेकर 146 mEq/L |
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट की तैयारी कैसे करें?
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट, आम टेस्ट की तरह यह एक नॉर्मल ब्लड टेस्ट होता है। इस टेस्ट को करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर लें कि आपको खाने-पीने से संबंधित किसी तरह का परहेज तो नहीं करना है। इसके अलावा अगर आप पहले से किसी तरह की मेडिसिन खा रहे हैं, तो आप इसके बारे में डॉक्टर को जरूर बताएं। क्योंकि इससे आपकी रिपोर्ट में फर्क आ सकता है।
इसके अलावा ज्यादा कसरत करने के बाद तुरंत बाद टेस्ट कराना या आपके शरीर में ज्यादा हिट के होने से भी आपकी रिपोर्ट पर असर पड़ सकता है।
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट कैसे किया जाता है?
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट दो तरह से किया जा सकता है।
1) खून का सैंपल लेकर
इसके लिए सबसे पहले आपके डॉक्टर आपके दायीं या बायीं हाथ की नस से खून का सैंपल लेने के लिए नस मे नीडल की मदद से खून लेते हैं। इसके बाद इस ब्लड सैंपल में इलेक्ट्रोलाइट्स की मात्रा को चेक करने के लिए लैब मे भेज दिया जाता है।
2) यूरिन का सैंपल लेकर
इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट को करने के लिए यह सबसे आसान यूरिन इलेक्ट्रोलाइट टेस्ट तरीका माना जाता है। जिसमें यूरिन को जांच की जाती है।