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उपचार योग्य vs.अनुपचारित अचानक कार्डियक अरेस्ट: एक नया क्लीनिकल एल्गोरिथम अंतर  ढूंढ सकता है - MyHealth

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उपचार योग्य vs.अनुपचारित अचानक कार्डियक अरेस्ट: एक नया क्लीनिकल एल्गोरिथम अंतर  ढूंढ सकता है

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Prekshi Garg
on Oct 19, 2022

Last Edit Made By Prekshi Garg
on Mar 15, 2024

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अचानक कार्डियक अरेस्ट घातक हो सकता है,और मिनटों के भीतर ट्रिगर होने से मृत्यु सहित जीवन के लिए खतरा पैदा हो सकता है। समय पर डायग्नोज करने पर कुछ प्रकार के कार्डियक अरेस्ट का इलाज किया जा सकता है। स्मिड्ट हार्ट इंस्टीट्यूट(Smidt Heart Institute) के क्लिनिसियन्स (Clinicians) और वैज्ञानिकों ने पहली बार एक क्लिनिकल एल्गोरिथम डेवलप् किया, जो इस स्थिति के उपचार योग्य (treatable)अचानक कार्डियक अरेस्ट और अनुपचारित(untreatable) फॉर्म्स के बीच अंतर करता है।

यू.एस. में कार्डिएक अरेस्ट के कारण लगभग 30,000 लोगों के जीवन का क्लेम किया गया है। यह देखा गया है कि इस स्थिति के घातक परिणामों (fatal outcomes) को रोकने के लिए कार्डियक अरेस्ट के बाद के 10 मिनट महत्वपूर्ण है। अमेरिकन कॉलेज ऑफ कार्डियोलॉजी : क्लिनिकल इलेक्ट्रोफिजियोलॉजी जर्नल में प्रकाशित अध्ययन से अचानक कार्डियक अरेस्ट की प्रिवेंशन और हार्ट फंक्शन की अप्रत्याशित हानि और महत्वपूर्ण रिस्क फैक्टर्स के सुधार में मदद मिल सकती हैं। 

अध्ययन: डिज़ाइन किया गया नया क्लीनिकल ​​एल्गोरिथम कैसे अंतर ला सकता है?(The study: How the new clinical algorithm designed can make a difference?)

सभी कार्डियक अरेस्ट एक जैसे नहीं होते हैं। संभावित उपचार योग्य निश्चितताओं(potentially treatable certainties) के साथ, अचानक मृत्यु(cardiac deaths) वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन ( ventricular fibrillation)(वीएफ) और वेंट्रिकुलर टैकिकार्डिया (ventricular tachycardia)(वीटी) के रूप में प्रकट होती है, जो संभावित रूप से डिफिब्रिलेशन(defibrillation) या नॉन -शॉकेबल रिह्दम(non-shockable rhythms) - के साथ इलाज योग्य होती है लेकिन इनमें जीवित रहने की न्यूनतम संभावना होती है। हालांकि डिफाइब्रिलेटर महंगे हैं और कार्डियक अरेस्ट की कुछ मेनिफेस्टेशन्स (manifestations)वाले व्यक्तियों को लाभ नहीं पहुंचा सकते हैं लेकिन वे इस स्थिति के उपचार योग्य रूपों के लिए एक अच्छे लाइफ -सेवर हो सकते हैं।

अध्ययन की सबसे बड़ी चुनौती थी उन लोगों के बीच अंतर करना जो एक इम्प्लांटेबल कार्डियोवर्टर-डिफाइब्रिलेटर( implantable cardioverter-defibrillator) से सबसे अधिक लाभ लेना चाहते हैं और जिन्हें इलेक्ट्रिक शॉक से लाभ नहीं हो पा रहा है।

रिसर्च में डॉ चुग द्वारा चल रहे दो मल्टी -ईयर अध्ययनों का डाटा शामिल था। चल रहे अध्ययनों ने शोधकर्ताओं को कम्युनिटी -बेस्ड जानकारी दी जो अचानक कार्डियक अरेस्ट की भविष्यवाणी(predict) करने के तरीकों को निर्धारित करने में मदद कर सकती है। स्टैटिस्टिकल डाटा(statistical data) के आधार पर, डॉ चुग और उनकी टीम ने रैंडम क्लीनिकल ट्रायल्स के लिए प्रोस्पेक्टिव स्टडीज के एक भाग के रूप में भविष्य के रिस्क असेसमेंट टेस्टिंग का आयोजन किया।

अध्ययन के क्लीनिकल ​​​​असेसमेंट का कंस्ट्रक्शन 13 क्लीनिकल इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी)(electrocardiogram), इकोकार्डियोग्राफिक वेरिएबल्स ( echocardiographic variables) के साथ किया गया था जो रोगी को अचानक इलाज योग्य कार्डियक अरेस्ट के रिस्क में डाल सकता था जैसे- डायबिटीज ,मायोकार्डियल इन्फार्क्शन , हार्ट फेलियर, आट्रियल फिब्रिलेशन, स्ट्रोक , पल्मोनरी डिसऑर्डर्स, अचानक से ब्लड प्रेशर में गिरावट और दौरे।

अपनी तरह के पहले एल्गोरिथम ने व्यापक रूप (widely) से उपलब्ध क्लिनिकल और नॉन-इनवेसिव मार्करों का उपयोग करके अचानक कार्डियक अरेस्ट की संभावना का अनुमान लगाने में संभावित सुधार दिखाया, विशेष रूप से मिड-रेंज या प्रिसर्वड लेफ्ट वेंट्रिकुलर इजेक्शन फ्रैक्शन (preserved left ventricular ejection fraction )(LVEF) वाले रोगियों में।

कार्डिएक अरेस्ट प्रिवेंशन सेंटर के डायरेक्टर सुमीत चुग, अध्ययन के प्रमुख ऑथर कहते हैं, "यह नया रिसर्च एक क्लीनिकल रिस्क असेसमेंट एल्गोरिदम प्रदान करता है जो इलाज योग्य अचानक कार्डियक अरेस्ट के हाईएस्ट रिस्क वाले रोगियों की पहचान करने में मदद करता है, और इस प्रकार, उन रोगियों की बेहतर समझ प्राप्त कर सकता है, जिन्हें डिफाइब्रिलेटर से लाभ होगा।

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