Malaria in Hindi: लक्षण, कारण, उपचार, रोकथाम और परीक्षण

Medically Reviewed By
Dr. Mayanka Lodha Seth
Written By Sheena Mehta
on Aug 22, 2025
Last Edit Made By Sheena Mehta
on Aug 22, 2025

क्या आपने कभी सोचा है कि एक छोटे से मच्छर के काटने से आपकी जान भी जा सकती है? जी हां, मलेरिया एक ऐसी गंभीर संक्रामक बीमारी है जो हर साल लाखों लोगों को प्रभावित करती है, खासकर वे देश जो उष्णकटिबंधीय और उप-उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में स्थित हैं। यह बीमारी अक्सर गर्म और नम मौसम में, विशेष रूप से बारिश के मौसम में अधिक देखने को मिलती है।
यदि आप ऐसे इलाकों में रहते हैं या यात्रा करते हैं जहाँ मच्छरों के पनपने की अधिक संभावना होती है, जैसे जलभराव वाले क्षेत्र, तो मलेरिया से जुड़ी पूरी जानकारी होना बहुत ज़रूरी है। इस ब्लॉग में आप जानेंगे मलेरिया क्या है, कैसे फैलता है, इसके लक्षण क्या होते हैं, कौन-से परीक्षण किए जाते हैं, और इससे कैसे बचा जा सकता है।
मलेरिया क्या है और कैसे फैलता है?
मलेरिया एक संक्रामक रोग है जो प्लाज्मोडियम (Plasmodium) नामक एक सूक्ष्म परजीवी (parasite) के कारण होता है। यह परजीवी मुख्य रूप से संक्रमित मादा एनोफिलीज (Anopheles) मच्छर के काटने से मनुष्यों में फैलता है। यदि यह संक्रमित मादा मच्छर आपको काटती है, तो यह डंक से आपके शरीर में अपनी लार छोड़ देती है। इस लार में हज़ारों की संख्या में प्लास्मोडियम परजीवी हो सकते हैं।
ये परजीवी तुरंत हमारे शरीर में अपना जीवन चक्र शुरू कर देते हैं:
- लीवर में प्रवेश (Liver Stage): रक्त के माध्यम से परजीवी सबसे पहले लीवर (liver) तक पहुँचते हैं। यहाँ वे तेजी से अपनी संख्या बढ़ाते हैं।
- लाल रक्त कोशिकाओं पर हमला (Blood Stage): एक बार जब इनकी संख्या पर्याप्त हो जाती है, तो ये परजीवी यकृत से निकलकर लाल रक्त कोशिकाओं (red blood cells) पर हमला करते हैं। ये कोशिकाओं को नष्ट करते हैं, जिससे मलेरिया के सामान्य लक्षण जैसे बुखार, सिरदर्द और कमजोरी दिखाई देते हैं।
- अगले मच्छर को संक्रमित करना: जब कोई स्वस्थ मच्छर किसी संक्रमित व्यक्ति को काटता है, तो वह रक्त के साथ इन परजीवियों को भी अपने अंदर ले लेता है।
इस तरह, यह चक्र चलता रहता है और बीमारी फैलती रहती है।
मलेरिया के प्रकार
मलेरिया पैदा करने वाले प्लाज्मोडियम परजीवी की पाँच प्रजातियाँ मनुष्यों को प्रभावित करती हैं:
- प्लाज्मोडियम फाल्सीपेरम (Plasmodium falciparum): यह सबसे खतरनाक और जानलेवा प्रकार का मलेरिया है। अगर इसका सही समय पर इलाज न किया जाए तो यह गंभीर जटिलताएँ पैदा कर सकता है, जैसे सेरेब्रल मलेरिया (दिमागी मलेरिया) या गुर्दे की विफलता।
- प्लाज्मोडियम विवेक्स (Plasmodium vivax): यह दुनिया भर में सबसे आम प्रकार है। इसके लक्षण अक्सर हल्के होते हैं, लेकिन यह परजीवी शरीर में कई सालों तक निष्क्रिय रह सकता है और बाद में फिर से बीमारी पैदा कर सकता है।
- प्लाज्मोडियम मलेरिए (Plasmodium malariae): यह बाकी की तुलना में कम गंभीर प्रकार है।
- प्लाज्मोडियम ओवाले (Plasmodium ovale): यह भी एक दुर्लभ प्रकार है और इसके लक्षण हल्के होते हैं।
- प्लाज्मोडियम नोलेसी (Plasmodium knowlesi): यह मुख्य रूप से दक्षिण-पूर्व एशिया में पाया जाता है।
मलेरिया के लक्षण Symptoms of Malaria
मलेरिया का इलाज करने से पहले उसके लक्षणों को पहचानना आवश्यक होता है। मलेरिया के लक्षण अक्सर फ्लू जैसे होते हैं, जिससे शुरुआती चरण में इसे पहचानना मुश्किल हो सकता है। आमतौर पर, संक्रमित मच्छर के काटने के 10 से 15 दिन बाद लक्षण दिखाई देते हैं।
सामान्य लक्षण:
- ठंड और कंपकंपी के साथ तेज बुखार: यह मलेरिया का सबसे सामान्य लक्षण है। बुखार एक निश्चित समय अंतराल पर आता और जाता है।
- अत्यधिक पसीना आना: बुखार उतरने पर बहुत ज्यादा पसीना आता है, जिससे शरीर कमजोर महसूस होता है।
- सिरदर्द और मांसपेशियों में दर्द: शरीर में तेज दर्द, खासकर सिर और जोड़ों में।
- उल्टी, दस्त और पेट में दर्द: पेट संबंधी समस्याएँ भी हो सकती हैं।
- बहुत ज्यादा थकान और कमजोरी: शरीर में ऊर्जा की कमी महसूस होना।
गंभीर मलेरिया के लक्षण:
गंभीर मलेरिया (विशेषकर फाल्सीपेरम के कारण) के लक्षण और भी खतरनाक हो सकते हैं:
- सेरेब्रल मलेरिया: जिसमें दौरे पड़ना, बेहोशी और कोमा की स्थिति हो सकती है।
- गंभीर एनीमिया: लाल रक्त कोशिकाओं के नष्ट होने से खून की कमी हो जाती है।
- पीलिया (Jaundice): त्वचा और आँखों का पीला पड़ना।
- साँस लेने में कठिनाई: मलेरिया के गंभीर रूपों में फेफड़ों में तरल पदार्थ का संचय (पल्मोनरी एडिमा) हो सकता है, जिससे साँस लेने में कठिनाई, तेज़ साँस लेना और थकावट जैसी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं।
- गुर्दे (kidney) की विफलता: मलेरिया के कारण गुर्दे की रक्त वाहिकाओं में रुकावट, रक्तचाप में गिरावट और लाल रक्त कोशिकाओं के टूटने से गुर्दे की कार्यक्षमता प्रभावित हो सकती है, जिससे गुर्दे की विफलता हो सकती है।
यह बीमारी बच्चों और बड़ों दोनों के मरने के खतरे को बढ़ा सकती है। हालांकि मलेरिया एक गंभीर रूप ले सकता है, लेकिन यदि समय पर इसकी जांच और उपचार करवा लिया जाए, तो इसे पूरी तरह ठीक किया जा सकता है।
मलेरिया का खतरा किन लोगों को होता है? (Who is at risk of malaria?)
मलेरिया एक ऐसी बीमारी है जो हर किसी को हो सकती है, लेकिन कुछ लोग इससे ज़्यादा खतरे में होते हैं। सबसे ज़्यादा खतरा उन लोगों को होता है जो मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में रहते हैं या वहाँ यात्रा करते हैं, जैसे कि अफ्रीका, दक्षिण एशिया और गर्म जलवायु वाले देश। इन क्षेत्रों में मच्छरों की संख्या ज़्यादा होती है और वही मलेरिया फैलाते हैं।
इन लोगों को विशेष रूप से ज़्यादा खतरा होता है:
- छोटे बच्चे: उनका शरीर पूरी तरह मज़बूत नहीं होता, इसलिए मलेरिया जल्दी असर करता है।
- गर्भवती महिलाएं: उनके शरीर में बदलाव होते हैं और उनकी प्रतिरक्षा प्रणाली (इम्यून सिस्टम) थोड़ी कमज़ोर हो सकती है, जिससे मलेरिया होने की संभावना बढ़ जाती है।
- बुज़ुर्ग लोग: उनके शरीर में उम्र बढ़ने के साथ शरीर की रोगों से लड़ने की क्षमता कम हो जाती है।
- कमज़ोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले लोग: जैसे कि एचआईवी/एड्स या कैंसर के मरीज़, जिनका शरीर पहले से ही कमज़ोर होता है।
- जो लोग पहली बार मलेरिया-प्रभावित क्षेत्रों में जाते हैं: जैसे कि पर्यटक या काम के लिए जाने वाले लोग, क्योंकि उनके शरीर ने पहले कभी इस परजीवी का सामना नहीं किया होता।
मलेरिया के परीक्षण Tests for Malaria
मलेरिया का पता लगाने के लिए कई तरह के परीक्षण किए जाते हैं। सही और समय पर निदान (diagnosis) मलेरिया के सफल इलाज के लिए बहुत महत्वपूर्ण है।
मलेरिया का निदान आमतौर पर इन तरीकों से किया जाता है:
- मलेरिया स्मीयर परीक्षण (Microscopic Blood Smear Test)
मलेरिया का सबसे आम और पारंपरिक परीक्षण मलेरिया स्मीयर है। इस परीक्षण में खून के नमूने को एक स्लाइड पर फैलाया जाता है और माइक्रोस्कोप की मदद से परजीवी को देखा जाता है। इसे दो तरीके से किया जाता है: पतला स्मीयर (Thin smear) और मोटा स्मीयर (Thick smear)। मोटा स्मीयर अधिक संवेदनशील होता है क्योंकि इसमें परजीवी की संख्या अधिक दिखाई देती है। यह परीक्षण मलेरिया की पुष्टि और परजीवी की पहचान के लिए उपयोगी होता है। - रैपिड डायग्नोस्टिक टेस्ट (Rapid Diagnostic Test - RDT)
यह परीक्षण तेज़ और सरल होता है। इसमें खून की कुछ बूंदों को एक विशेष किट में डाला जाता है, जो मलेरिया के परजीवी से संबंधित प्रोटीन की मौजूदगी का पता लगाती है। RDT का परिणाम कुछ मिनटों में मिल जाता है, जिससे डॉक्टर तुरंत इलाज शुरू कर सकते हैं। यह परीक्षण उन जगहों पर भी किया जा सकता है जहां लैब की सुविधा सीमित हो। - पीसीआर टेस्ट (PCR Test)
पीसीआर (Polymerase Chain Reaction) टेस्ट मलेरिया परजीवी के डीएनए की जांच करता है। यह बहुत ही सटीक और संवेदनशील परीक्षण है, जो कम मात्रा में परजीवी की भी पहचान कर सकता है। - हीमोग्लोबिन और ब्लड सेल्स की जाँच
मलेरिया संक्रमित व्यक्ति में अक्सर रक्त में हीमोग्लोबिन की कमी (एनीमिया) हो जाती है। इसलिए, खून की सामान्य जांच में हीमोग्लोबिन स्तर और ब्लड सेल्स की संख्या भी देखी जाती है। इससे बीमारी की गंभीरता का अंदाजा लगाया जा सकता है और उचित उपचार योजना बनाई जा सकती है।
मलेरिया के बचाव के उपाय
मलेरिया की रोकथाम के लिए सबसे जरूरी है मच्छरों के काटने से बचना और उनके प्रजनन स्थलों को नष्ट करना।
- मच्छरदानी का उपयोग: सोते समय मच्छरदानी का उपयोग करें। अगर संभव हो तो कीटनाशक-युक्त मच्छरदानी (ITNs) का प्रयोग करें।
- मच्छर भगाने वाले स्प्रे और क्रीम: शाम के समय और रात में, जब मच्छर अधिक सक्रिय होते हैं, मच्छर भगाने वाले लोशन, क्रीम या स्प्रे का इस्तेमाल करें।
- पूरी बांह के कपड़े पहनें: खासकर शाम के समय, पूरी बांह की कमीज और पैंट पहनें।
- साफ-सफाई: अपने घर के आसपास पानी जमा न होने दें। कूलर, गमलों और बर्तनों में भरे पानी को नियमित रूप से खाली करें। पानी की टंकी को ढककर रखें।
- खिड़कियों और दरवाजों पर जाली लगाएँ: इससे मच्छर घर के अंदर नहीं आ पाते।
- समुदाय की भागीदारी: स्थानीय स्वास्थ्य कार्यक्रमों में भाग लें और जागरूकता फैलाएं।
डॉक्टर से कब संपर्क करें When to see a doctor
मलेरिया से प्रभावी ढंग से निपटने के लिए समय पर डॉक्टर से उपचार करवाना अत्यंत आवश्यक है। यदि आप मलेरिया-प्रवण क्षेत्रों में यात्रा करने या रहने के बाद बुखार महसूस करते हैं, तो तुरंत चिकित्सकीय सलाह लें। मलेरिया स्वास्थ्य पर तीव्र प्रभाव डालता है, और प्रारंभिक लक्षणों के कुछ ही घंटों या दिनों में गंभीर जटिलताएँ उत्पन्न हो सकती हैं। ऐसे मामलों में, विशेषकर गंभीर लक्षण वाले मरीजों के लिए आपातकालीन चिकित्सा सहायता लेना आवश्यक होता है।
गर्भवती महिलाओं को मलेरिया-प्रवण क्षेत्रों की यात्रा से बचना चाहिए, क्योंकि वे संक्रमण के प्रति अधिक संवेदनशील होती हैं। इसके अलावा, यदि आप किसी प्रभावित क्षेत्र से लौटने के बाद महीनों बाद बिना किसी स्पष्ट कारण के बुखार महसूस करें, तो मलेरिया की संभावना को नजरअंदाज न करें। याद रखें, मलेरिया संक्रमण को जानलेवा स्थिति तक पहुँचने से रोकने के लिए प्रारंभिक निदान और उपचार अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। सहायता लेने में विलंब न करें, क्योंकि शीघ्र कार्रवाई से स्वास्थ्य लाभ में महत्वपूर्ण सुधार संभव होता है।
निष्कर्ष (Conclusion)
मलेरिया एक जानलेवा लेकिन पूरी तरह से रोके जाने योग्य और उपचार योग्य बीमारी है। इसकी रोकथाम मच्छरों से बचाव और साफ-सफाई के ज़रिए संभव है, जबकि समय पर जांच और इलाज से इसके गंभीर प्रभावों से बचा जा सकता है। मलेरिया को हल्के में न लें। यदि आपको इसके लक्षण महसूस हों या आप किसी प्रभावित क्षेत्र में रह रहे हों, तो बिना देर किए डॉक्टर से संपर्क करें। जागरूकता, सतर्कता और समय पर इलाज, यही मलेरिया से बचाव की कुंजी है।