LH परीक्षण क्या है, कब, और क्यों किआ जाता है, जाने
Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra
Written By Komal Daryani
on Oct 19, 2023
Last Edit Made By Komal Daryani
on Mar 18, 2024
मानव शरीर में हार्मोन्स बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं जो शरीर के कार्यों को कंट्रोल में रखने में सहायक होते हैं। ऐसा ही एक हार्मोन हैं “ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन” (LH) यह एक तरह का ब्लड टेस्ट हैं जो LH के स्तर को मापता हैं यानि की एक व्यक्ति के खून में ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन की मात्रा कितनी है इसकी जांच करता है। एलएच हार्मोन प्रजनन की प्रक्रिया में सबसे अहम होते हैं जो गर्भावस्था, मासिक धर्म, टेस्टोस्टेरोन से संबंधित होता हैं।
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन क्या है
ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को एलएच के नाम से भी जानते हैं। ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन को दिमाग की पिट्यूटरी ग्रंथि बनाती हैं। यह ग्रंथि मस्तिष्क के नीचे होती हैं। इस ग्रंथि में गोनैडोट्रोपिक कोशिकाएं होती हैं जो एलएच हार्मोन को बनाती हैं। इसे सेक्स हार्मोन भी कहते है, जिसका प्रभाव मानव के प्रजनन अंगों के काम करने की क्षमता पर पड़ता हैं। एलएच हार्मोन महिलाओं में ओवरी पर प्रभाव डालता हैं और पुरुषों में वृषण (Testicle) पर प्रभाव डालता है। एलएच का बहुत कम या बहुत ज्यादा होना भी परेशानी का कारण बन सकता हैं जैसे : पुरुषों में सेक्स ड्राइव का कम होना, गर्भधारण करने में कठिनाई, बच्चों में यौवनावस्था का जल्दी आना या देर से आना, महिलाओं को पीरियड्स में परेशानी आना।
एलएच का शरीर पर प्रभाव :
मासिक धर्म पर प्रभाव: यह मासिक धर्म चक्र नियंत्रण में भी सहायक हैं। महिलाओं में ओव्यूलेशन होने से पहले एलएच के स्तर में शीघ्र वृद्धि होती है और यह अंडाशय से अंडे को मुक्त करता है।
टेस्टोस्टेरोन उत्पादन: टेस्टोस्टेरोन के घटते या बढ़ते स्तर से सेक्स ड्राइव प्रभावित होती है। टेस्टिकल्स को टेस्टोस्टेरोन में बदलने का कार्य भी एलएच हार्मोन करता हैं। यह शुक्राणु के उत्पादन में बहुत जरुरी होता हैं वैसे देखा जाये तो पुरुषों में एलएच के स्तर में ज्यादा बदलाव नहीं आते है।
प्रोजेस्टेरोन का रिलीज़ होना: ओव्यूलेशन की प्रक्रिया पूरी हो जाने के बाद जो कोशिका संरचना बची होती हैं वह प्रोजेस्टेरोन को जारी करती है। प्रोजेस्टेरोन गर्भावस्था के लिए जरुरी होता है।
बच्चों पर प्रभाव: बचपन में एलएच का स्तर कम ही होता हैं। जब यौवन की शुरुआत होती हैं तो यह धीरे-धीरे बढ़ने लगता हैं। लड़कों में एलएच टेस्टिकल को टेस्टोस्टेरोन में बदलने के लिए संकेत देता है और लड़कियों में ओवरी को एस्ट्रोजन बनाने के लिए सूचित करता है।
यौवन पर प्रभाव : एलएच का कम या ज्यादा स्तर यौवन को प्रभावित कर सकता है। एलएच स्तर के ज्यादा होने की वजह से यौवन जल्दी भी आ सकता है और कम स्तर के कारण यौवन देर से भी आ सकता है।
LH हार्मोन के क्या कार्य हैं ?
- यह हार्मोन पुरुषों में रीप्रोडक्टिव ऑर्गन को बढ़ाने में आवश्यक है।
- यह इंसान जनन सिस्टम में हो रही प्रक्रियाओं को कंट्रोल में रखने का कार्य करता है।
- युवाओं में यौन विकास करता हैं।
- LH हार्मोन ओव्यूलेशन के लिए भागीदार होता हैं।
- ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन पुरुषों में टेस्टोस्टेरोन जो कि सेक्स हार्मोन होता है उसे रिलीज करने का कार्य करता है।
- गर्भावस्था में और पीरियड्स में इस हार्मोन की महत्त्वपूर्ण भूमिका होती है।
- एलएच हार्मोन महिलाओं की ओवरीज़ में प्रोजेस्टेरोन हार्मोन बनाता है।
एलएच टेस्ट कब किया जाता है ?
डॉक्टर, महिलाओं और पुरुषों में एलएच टेस्ट को करने की सलाह कुछ खास कारणों से देते हैं।
पुरुषों को कब एलएच टेस्ट करवाना चाहिए
- यदि किसी पुरुष को कम शुक्राणु होने की आशंका है तो उसे यह टेस्ट करने की सलाह चाहिए।
- इनफर्टिलिटी के कारण जानने के लिए।
- पुरुषों में एलएच टेस्ट यौन इच्छा की कमी के कारण की पहचान करने के लिए।
महिलाओं को कब एलएच टेस्ट करवाना चाहिए
- जो महिलाएं प्रेगनेंसी प्लान कर रही हैं और फर्टाइल व ओवुलेशन के बारे में जानना चाहती हैं तो ऐसे में उन्हें एलएच टेस्ट करवाना होगा।
- बहुत सी महिलाएं लंबे समय तक प्रेगनेंसी के लिए कोशिश करती हैं लेकिन इसमें सफल नहीं हो पाती हैं तो जिन महिलाओं को गर्भधारण की कोशिश करते हुए साल भर से भी ज्यादा समय हो गया है उनके लिए LH Test करवाना बहुत जरूरी होता है।
- मेनोपॉज़ के शुरू होने पर LH की मात्रा बढ़ जाती हैं तो मेनोपॉज़ की जानकारी पाने के लिए महिलाओं में एलएच टेस्ट किया जाता हैं।
- पीरियड्स में गड़बड़ी होने के कारणों को जानने के लिए भी डॉक्टर इस टेस्ट को करने की सलाह देते हैं।
एलएच परीक्षण कैसे करते हैं
एलएच टेस्ट करने के लिए डॉक्टर द्वारा ब्लड टेस्ट किया जाता है।
- डॉक्टर थोड़ी मात्रा में आपके ब्लड का नमूना लेंगे जिसके लिए वह आपकी बांह में सुई डालकर थोड़े से ब्लड का सैंपल लिया जाता है और उसे टेस्ट ट्यूब में लेकर फिर जांच के लिए लैब में भेजा जाता हैं।
- डॉक्टर एलएच टेस्ट की प्रक्रिया को कुछ दिनों तक भी जारी रख सकते हैं क्योंकि पीरियड्स के दौरान एलएच की मात्रा में बदलाव आते रहते हैं। इस वजह से एलएच का सही माप पाने के लिए रक्त के कुछ सैंपल जरूरी होते हैं।
- कुछ ख़ास तरह की दवाएं इस टेस्ट की रिपोर्ट पर प्रभाव डाल सकती है इसलिए डॉक्टर एलएच टेस्ट से 1 महीना पहले इन दवाओं को बंद करने के लिए बोल सकते हैं।
एलएच परीक्षण के जोखिम क्या है?
वैसे तो इस एलएच परीक्षण के ज्यादा जोखिम नहीं हैं लेकिन फिर भी इससे हल्की सी चुभन जैसा लग सकता हैं। जहाँ पर सुई लगाकर ब्लड निकाला गया था उस जगह पर थोड़ा सा दर्द हो सकता हैं। ब्लड निकालने पर सूजन भी हो सकती है ऐसा ब्लड लेने के दौरान नस में सूजन आने से होता है। सूजन आने पर डॉक्टर आपको नस पर गर्म सेक करने की सलाह दे सकते है।
एलएच के बढ़ते स्तर से आशय
इसका बढ़ा हुआ स्तर कई तरह से घातक हो सकता हैं जिनमें शामिल हैं सर्जिकल हिस्ट्री, अनुवांशिक, पीसीओएस, ऑटोइम्यून डिसऑर्डर, टर्नर सिंड्रोम आदि। यदि एलएच का स्तर बढ़ जाता हैं तो सेक्स ऑर्गन्स स्टेरॉयड हार्मोन का उत्पादन सही तरह से नहीं कर पाते हैं। स्टेरॉयड हार्मोन रीप्रोडक्टीव कामों को करने करने के लिए महत्वपूर्ण होते हैं।
एलएच के कम स्तर से आशय
इस हार्मोन के कम होने पर फंक्शनल हाइपोथैलमिक एमेनोरिया और कल्मन सिंड्रोम की सम