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FSH Test in Hindi - एफएसएच टेस्ट क्या होता है और क्यों कराया जाता

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FSH Test in Hindi - एफएसएच टेस्ट क्या होता है और क्यों कराया जाता

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Komal Daryani
on Oct 4, 2023

Last Edit Made By Komal Daryani
on Mar 18, 2024

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FSH Test in Hindi
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एफएसएच यानी कि फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन, ये एक ऐसा हार्मोन है, जो महिलाओं में ओवुलेशन के लिए जिम्मेदार होता है। दरअसल एफएसएच महिलाओं में ओवेरियन फॉलिकल की ग्रोथ और डेवलपमेंट में और पुरुषों में स्पर्म के प्रोडक्शन में मदद करता है। 

हम सभी जानते हैं कि प्रजनन स्वास्थ्य (reproductive health) के लिहाज से एफएसएच हार्मोन कितना जरूरी है। क्योंकि ये महिलाओं और पुरुषों की फर्टिलिटी ग्रोथ में एक बड़ी भूमिका निभाता है। अब ये एफएसएच का लेवल इंबैलेंस होने की वजह से आपके रिप्रोडक्शन हेल्थ पर क्या असर पड़ सकता है? आइए जानते हैं। 

एफएसएच ब्लड टेस्ट क्या होता है? 

फॉलिकल-स्टिम्युलेटिंग हार्मोन, हमारे दिमाग में मौजूद एक छोटी सी पिट्यूटरी ग्लैंड द्वारा बनाया जाता है। ये हार्मोन महिलाओं और पुरुषों दोनों के शरीर में बनता है। इस एफएसएच का लेवल पुरुषों में प्यूबर्टी के समय बढ़ने लगता है, जो जिंदगी भर तक रहता है। वहीं महिलाओं में एफएसएच का लेवल पीरियड्स के हिसाब से समय-समय पर बदलता रहता है।

जो महिलाएं कंसीव या गर्भधारण करने की इच्छा रखती है, उन महिलाओं में एफएसएच यानी फॉलिकल स्टिमुलेटिंग हार्मोन टेस्ट करवाया जाता है। ये हार्मोन महिलाओं में ओवुलेशन और फर्टिलाइजेशन के लिए ओवरी से एग के रिलीज करने के लिए जिम्‍मेदार होता है। अगर महिलाओं के शरीर में इस हार्मोन का लेवल ठीक हो तो वो आसानी से बच्चा कंसीव कर सकती है।

एफएसएच ब्लड टेस्ट क्यों कराया जाता हैं?

एफएसएच टेस्ट खून में एफएसएच के लेवल की जांच करता है। देखा जाए तो शुरुआती दौर में बच्चों में एफएसएच का लेवल कम होता है, लेकिन जैसे जैसे बच्चे बड़ी उम्र (10 से 14) में पहुंचने लगते है, तब ये लेवल बढ़ने लग जाता है। इस एफएसएच का काम लड़कों में टेस्टोस्टेरोन और लड़कियों में एस्ट्रोजन हार्मोन को बनाना होता है। 

एफएसएच ब्लड टेस्ट की मदद से शरीर में हार्मोन्स को चेक करके फर्टिलिटी के बारे में जैसे कि ओवेरियन फंक्शन, ओव्यूलेशन और हार्मोन्स के असंतुलन का पता लगाया जाता है।

एफएसएच ब्लड टेस्ट की तैयारी कैसे करें 

इस टेस्ट को यूरिन या ब्लड किसी का भी सैंपल ले कर किया जा सकता है। इसके लिए किसी खास तैयारी की जरुरत नहीं होती। ये जरुरी होता है कि महिला अपने पीरियड्स की तारीख डॉक्टर को सही से बता दे ताकि उसी के अनुसार डॉक्टर टेस्ट के लिए एक दिन निश्चित कर सके। इस टेस्ट के लिए ये सलाह दी जाती है कि अगर महिला कोई दवा या सप्लीमेंट ले रही है तो इसकी जानकारी वो अपने डॉक्टर को जरूर दे।

आमतौर पर, एफएसएच ब्लड टेस्ट के लिए जब आपके शरीर से ब्लड लेने की जरुरत होती है, तो इसे आपकी बांह या हाथ पर एक खास जगह से लिया जाता है। डॉक्टर इस जगह पर एक स्ट्रेची बैंड बांध देते हैं ताकि स्किन साफ और बड़ी नजर आए। उसके बाद, डॉक्टर या नर्स आपकी बांह की नस में एक छोटी, पतली सुई डालते हैं, जिससे ब्लड को निकाल कर सिरिंज में कलेक्ट कर लेते हैं। फिर उस कलेक्ट किए हुए ब्लड सैंपल को लैब में टेस्ट के लिए भेज दिया जाता है ।

लैब में यूरिन टेस्ट के लिए एक कंटेनर में थोड़ी सी मात्रा में यूरिन सैंपल देने के लिए कहा जा सकता है। डॉक्टर आपको बता देंगे यूरिन सैंपल कब और कितनी मात्रा में देनी है।

एफएसएच टेस्ट के नॉर्मल लेवल

महिलाओं के लिए एफएसएच के नॉर्मल लेवल 

  • प्यूबर्टी से पहले : 0-4.0 इंटरनेशनल यूनिट प्रति लीटर (IU/L)
  • प्यूबर्टी के दौरान : 0.3-10.0 IU/L
  • मासिक धर्म के दौरान या अलग-अलग अवस्था के हिसाब से : 4.5-21.5 IU/L
  • पीरियड्स के बाद : 25.8-134.8 IU/L

पुरुषों के लिए एफएसएच के नॉर्मल लेवल हैं 

  • प्यूबर्टी से पहले : 0-5.0 IU/L
  • प्यूबर्टी के दौरान : 0.3-10.0 IU/L
  • एडल्ट्स में : 1.5-12.4 IU/L

एफएसएच टेस्ट की वैल्यू हर लैब में अलग हो सकती है। इसलिए इस टेस्ट के रिजल्ट की सही जानकारी के लिए डॉक्टर से परामर्श ज़रूर करें।

एफएसएच टेस्ट क्यों किया जाता है?

डॉक्टर एफएसएच टेस्ट अलग अलग हेल्थ कंडीशन की जांच करने के लिए दे सकते हैं 

महिलाओं में -

  • पीरियड संबंधी समस्या जैसे ज्यादा रक्त स्राव 
  • एमेनोरिया ( मासिक धर्म न होना )
  • छोटा कद 
  • पॉलिसिस्टिक ओवेरियन सिंड्रोम 
  •  गर्भावस्था से जुड़ी समस्या 
  • रजोनिवृत्ति (menopause) 
  • बांझपन 

पुरुषों में 

  • टेस्टिकल के विकास में समस्या 
  • पुरुषों में असामान्य रूप से स्तनों का बढ़ना (गाइनेकोमैस्टीआ )
  • बांझपन या नपुंसकता

एफएसएच टेस्ट के एब्नॉर्मल के कारण

महिलाओं और पुरुषों में एफएसएच एब्नॉर्मल होने के कई कारण हो सकते है, जैसे एफएसएच का लेवल कम होने की वजह से 

  • कंसीव करने में परेशानी
  • तेजी से वजन कम होना
  • अंडे बनना बंद हो जाना 
  • कभी-कभी पिट्यूटरी ग्रंथि और दिमाग के कुछ हिस्सों का सही से काम न कर पाना शामिल होता है।

वहीं दूसरी तरफ पुरुषों में एफएसएच का नॉर्मल से ज्यादा होना

  • क्लाइनफेल्टर सिंड्रोम
  • पिट्यूटरी ग्रंथि के ट्यूमर
  • ज्यादा उम्र या टेस्टिकल में ट्यूमर जैसे कारणों की वजह से हो सकता है 

इसके अलावा एफएसएच का असामान्य लेवल महिलाओं में पॉलीसिस्टिक ओवरी सिंड्रोम और पुरुषों में स्पर्म प्रोडक्शन की समस्याओं की ओर इशारा करता है।

महिलाओं में कम एफएसएच के लक्षण

इन लक्षणों का अनुभव करने पर महिलाओं को एफएसएच टेस्ट की जांच करानी चाहिए जैसे -

  • सिरदर्द
  • ज्यादा पसीना आना 
  • देखने में परेशानी आना 
  • ओवेरियन सिस्ट
  • योनि में सूखापन 
  • असामान्य पीरियड का होना
  • पेल्विक दर्द
  • थकान
  • कमजोरी
  • डिप्रेशन
  • भूख न लगना 
  • कई कोशिशों के बावजूद गर्भवती न हो पाने पर भी इस टेस्ट की जांच करानी चाहिए।

एफएसएच टेस्ट कराने की सलाह

एफएसएच की जरूरत हर उम्र और लिंग के हिसाब से अलग-अलग होती हैं। इसलिए डॉक्टर आपकी जांच के बाद ही आपको एफएसएच परीक्षण का सुझाव देंगे। इसके अलावा एफएसएच हार्मोन, ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन के साथ काम करता है। इसलिए, डॉक्टर ल्यूटिनाइजिंग हार्मोन टेस्ट करने की भी सलाह दे सकते हैं।

देखा जाए तो एफएसएच टेस्ट घर पर आसानी से किया जाने वाला एक टेस्ट है। लेकिन इसे करने से पहले एक बार अपने डॉक्टर से सलाह जरूर ले। इसके साथ ही इस बात का भी ध्यान रखें कि महिलाओं और पुरुषों में एफएसएच का लेवल उम्र के साथ बदलता रहता है। इसलिए किसी भी दवा या इलाज कराने से पहले हमेशा अपने डॉक्टर से परामर्श लें।

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