ECG Test in Hindi: हृदय की जांच के लिए महत्वपूर्ण परीक्षा
Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Komal Daryani
on Aug 9, 2024
Last Edit Made By Komal Daryani
on Aug 9, 2024
ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) टेस्ट दिल की धड़कनों और उनकी विद्युत गतिविधि को मापने के लिए किया जाता है। ईसीजी टेस्ट में स्किन पर छोटे इलेक्ट्रोड्स लगाए जाते हैं, जो दिल के इलेक्ट्रिक सिग्नल्स को रिकॉर्ड करते हैं। इन सिग्नल्स को ग्राफिक रूप में दर्शाया जाता है। जिससे डॉक्टर दिल की धड़कन की गति, धड़कनों के बीच का समय और दिल की अन्य विद्युत एक्टिविटी को देख सकते हैं।
अगर आप ईसीजी टेस्ट के बारे में और जानना चाहते हैं तो यहां ecg test in hindi में पूरी जानकारी दी गई है।
ईसीजी टेस्ट क्या है?
ईसीजी टेस्ट से यह पता लगाया जा सकता है कि हृदय ठीक से काम कर रहा है या नहीं। इससे दिल की धड़कन की गति और किसी भी प्रकार की असामान्य गतिविधियों को पहचाना जा सकता है, जैसे कि अतालता (एरिथ्मिया), हृदय में ब्लॉक्स, दिल के वाल्वों की समस्याएँ, दिल की धड़कन की अनियमितता, दिल के मांसपेशियों की कमजोरी या क्षति या दिल के दौरे के ECG Test आमतौर पर बहुत ही सरल और दर्द रहित होता है। जो अस्पतालों और क्लीनिक्स में किया जाता है।
ईसीजी टेस्ट क्यों जरुरी है?
ईसीजी टेस्ट इसलिए करवाना चाहिए क्योंकि कुछ ऐसे लक्षण जो दिल की बिमारियों से जुड़े होते है उनको पहचाना जा सकता है जैसे सीने में दर्द, सांस की तकलीफ या घबराहट आदि। अगर आपको भी यह लक्षण महसूस हो रहे हैं तो डॉक्टर आपको इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट करवाने की सलाह दे सकते हैं।
- दिल की धड़कन की निगरानी: ईसीजी दिल की धड़कनों की गति, रिदम और ताकत को रिकॉर्ड करता है। इससे डॉक्टर यह जान सकते हैं कि दिल की धड़कन सामान्य है या उसमें कोई असामान्यता है।
- इलाज की योजना बनाना: अगर किसी व्यक्ति को दिल से संबंधित कोई समस्या है तो ईसीजी के रिजल्ट की मदद से डॉक्टर ट्रीटमेंट की योजना बना सकते हैं।
- अस्थायी समस्याओं की पहचान: कभी-कभी दिल की समस्याएं अस्थायी हो सकती हैं जैसे कि तनाव या अन्य कारणों से दिल की धड़कन में बदलाव। ईसीजी इन अस्थायी समस्याओं की पहचान करने में मदद कर सकता है।
- दिल की मांसपेशियों की स्थिति: ईसीजी दिल की मांसपेशियों के स्वास्थ्य को भी बता देता है, जिससे यह पता चलता है कि दिल की मांसपेशियां सही तरीके से काम कर रही हैं या नहीं।
- पारिवारिक इतिहास: ईसीजी टेस्ट की जरूरत उन लोगों को भी होती है जिनके परिवार में कोई पहले दिल की बीमारी से ग्रसित रहा हो। अगर दिल के रोगों से सम्बंधित आपका पारिवारिक इतिहास रहा है तो अपने हृदय स्वास्थ्य का ध्यान रखे और अगर हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास नहीं है तब भी कभी-कभार ईसीजी टेस्ट करवाना चाहिए।
ईसीजी टेस्ट कैसे किया जाता है?
ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जो आपके दिल की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। यह टेस्ट आगे बताये गए तरीके से किया जाता है।
तैयारी: टेस्ट से पहले आपको सामान्य रूप से कोई खास तैयारी की जरूरत नहीं होती है लेकिन यह सुनिश्चित करें कि आपकी स्किन साफ और सूखी हो। कुछ मामलों में यदि आपके शरीर पर बाल हैं तो उन्हें हटा दिया जाता है ताकि इलेक्ट्रोड अच्छी तरह से चिपक सकें।
इलेक्ट्रोड लगाना: आपको एक आरामदायक स्थिति में बिठाया या लिटाया जाता है। फिर आपकी छाती, हाथों, और पैरों पर छोटे इलेक्ट्रोड (पैड्स) लगाए जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड दिल की विद्युत गतिविधियों को मापते हैं। इलेक्ट्रोड दिल के धड़कने के दौरान जो विद्युत संकेत उत्पन्न होते हैं उन संकेतों का पता लगाते हैं और उनके बारे में जानने के लिए एक मशीन में भेजते हैं।
टेस्ट करना: जब इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं तो मशीन के जरिए आपकी दिल की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड किया जाता है। सटीक रीडिंग के लिए टेस्ट करते समय कुछ समय के लिए आपको अपनी सांस रोकने या बहुत स्थिर रहने के लिए कहा जा सकता है। यह प्रोसेस 5-10 मिनट में पूरी हो जाती है।
रिपोर्ट: टेस्ट के बाद रिकॉर्ड की गई गतिविधियों को एक ग्राफ या ट्रेस पर देखा जाता है। एक कार्डियोलॉजिस्ट या मेडिकल स्पेशलिस्ट इसे देखते है और रिजल्ट को समझाते है।
ईसीजी टेस्ट कब करवाएं
ईसीजी टेस्ट कब करवाना चाहिए इसके कुछ फैक्टर्स होते है जैसे युवा व्यक्तियों को ईसीजी टेस्ट करवाने की जरूरत नहीं होती है जब तक उनका हार्ट डिसीज का पारिवारिक इतिहास न हो।
मध्यम आयु और वृद्ध वयस्कों की बात करें तो उनमें किसी तरह का कोई हृदय स्वास्थ्य से जुड़ा लक्षण महसूस हो रहा हो तब इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम परीक्षण की सलाह दी जाती है।
उम्र और इन लक्षणों के अलावा भी कुछ मेडिकल स्थितियों के कारण भी ईसीजी टेस्ट करने की जरूरत हो सकती है। जैसे: डायबिटीज और हाई ब्लड प्रेशर वाले लोगों में हृदय रोग का खतरा ज्यादा होता है
और उन्हें नियमित रूप से ईसीजी टेस्ट करवाना चाहिए।
ईसीजी रिजल्ट का मतलब
नार्मल रिजल्ट
अगर रिजल्ट नार्मल होता है तब :
- हार्ट रिदम: लगातार और समान होती है।
- हार्ट रेट: 60 से 100 धड़कन प्रति मिनट होती है।
असामान्य रिजल्ट
अगर रिजल्ट नार्मल होता है तब :
- जन्म से ही हार्ट डिसऑर्डर।
- हार्ट के आसपास की थैली में तरल पदार्थ या सूजन।
- ब्लड में इलेक्ट्रोलाइट्स (जैसे पोटेशियम और कैल्शियम) की मात्रा में बदलाव।
- हार्ट की मांसपेशियों में डैमेज या बदलाव।
- हार्ट की सूजन (मायोकार्डिटिस)
- हार्ट का बढ़ना।
- हृदय धमनियों में ब्लड सप्लाई ख़राब होना।
- असामान्य हार्ट रिदम।
- कभी पहले या अभी हार्ट अटैक आया हो।
ईसीजी टेस्ट के जोखिम
ईसीजी टेस्ट एक सुरक्षित टेस्ट है इसके कोई ख़ास जोखिम नहीं है लेकिन किसी भी अन्य मेडिकल प्रोसेस या टेस्ट की तरह इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम टेस्ट के भी कुछ जोखिम हो सकते हैं।
- इसके सबसे आम जोखिमों में से एक है त्वचा में जलन होना या टेस्ट के दौरान छाती पर जो इलेक्ट्रोड लगाए गए जाते हैं उससे एलर्जी जैसे: दाने, छाले, लालिमा, खुजली भी हो सकती हैं।
- इसके अलावा, ईसीजी परीक्षण से गुजरने से कुछ अंतर्निहित स्वास्थ्य स्थितियां जैसे अतालता (arrhythmia) या हृदय रोग बढ़ सकते हैं।
अगर टेस्ट के दौरान या टेस्ट के बाद आपको सीने में दर्द, सांस लेने में तकलीफ या घबराहट हो रही हैं, तो अपने डॉक्टर को दिखाएं।
ईसीजी टेस्ट की प्राइस
इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम (ईसीजी) परीक्षण की लागत कई कारकों के आधार पर अलग हो सकती है। विभिन्न शहरों में ईसीजी की प्राइस अलग-अलग होती है। ईसीजी कौन से अस्पताल, क्लिनिक या डायग्नोस्टिक सेंटर में किया गया है या इसके आधार पर भी ईसीजी टेस्ट प्राइस भिन्न हो सकती है। सबसे सटीक जानकारी के लिए लोकल हेल्थ केयर प्रोवाइडर या बीमा कंपनियों से जांच करना सबसे अच्छा है।
Conclusion:
ईसीजी टेस्ट एक महत्वपूर्ण निदान टेस्ट है जो आपकी हार्ट हेल्थ के बारे में जानकारी प्रदान कर सकता है। यह एक दर्द रहित प्रोसेस है अगर आप ईसीजी टेस्ट के बारे में और जानना चाहते हैं या इसे कराने की योजना बना रहे हैं तो अपने डॉक्टर से सलाह लेना सबसे अच्छा रहेगा। एक्सरसाइज और उचित आहार के साथ ही स्वस्थ जीवनशैली अपनाकर अपने दिल की देखभाल करे साथ ही नियमित रूप से ईसीजी परीक्षण करवाएं।
FAQ
1- ईसीजी टेस्ट क्या है?
ईसीजी (इलेक्ट्रोकार्डियोग्राम) एक मेडिकल टेस्ट है जो दिल की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करता है। यह दिल की धड़कनों, उसकी गति और लय को जांचता है, जिससे हृदय संबंधी बीमारियों का पता लगाया जा सकता है।
2- ईसीजी टेस्ट कब करवाना चाहिए?
ईसीजी टेस्ट तब करवाना चाहिए जब आपको सीने में दर्द, अनियमित धड़कनें, सांस लेने में तकलीफ, चक्कर आना, या दिल के दौरे का संदेह हो। यह नियमित जांच के रूप में भी किया जा सकता है, खासकर अगर आपकी पारिवारिक पृष्ठभूमि में हृदय रोग की हिस्ट्री हो।
3- ईसीजी टेस्ट कैसे किया जाता है?
ईसीजी टेस्ट के दौरान, आपके शरीर के विभिन्न हिस्सों पर छोटे इलेक्ट्रोड लगाए जाते हैं। ये इलेक्ट्रोड दिल की विद्युत गतिविधियों को रिकॉर्ड करते हैं और उसे एक ग्राफ के रूप में मशीन पर दिखाते हैं। यह प्रक्रिया पूरी तरह से दर्द रहित और सुरक्षित होती है।
4 - क्या ईसीजी टेस्ट के लिए किसी विशेष तैयारी की आवश्यकता होती है?
ईसीजी टेस्ट के लिए कोई विशेष तैयारी की आवश्यकता नहीं होती। आपको सामान्य रूप से खा-पी सकते हैं और अपनी दवाएं ले सकते हैं। आपको बस टेस्ट के दौरान आराम से बैठना या लेटना होता है।
5- ईसीजी टेस्ट के परिणाम कैसे समझे जाते हैं?
ईसीजी टेस्ट के परिणाम ग्राफ के रूप में होते हैं, जिन्हें डॉक्टर पढ़ते हैं। डॉक्टर इस ग्राफ से यह समझते हैं कि आपकी दिल की धड़कन सामान्य है या नहीं। अगर कोई अनियमितता पाई जाती है, तो आगे के परीक्षण या उपचार की सिफारिश की जाती है।
6- क्या ईसीजी टेस्ट से किसी प्रकार का जोखिम होता है?
ईसीजी टेस्ट पूरी तरह से सुरक्षित है और इससे कोई भी जोखिम नहीं होता। यह एक गैर-इनवेसिव टेस्ट है, जिसमें शरीर के भीतर किसी भी प्रकार की सुई या उपकरण का उपयोग नहीं किया जाता।