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Viral Marker Test in Hindi, क्या है, क्यों किया जाता है?

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Viral Marker Test in Hindi, क्या है, क्यों किया जाता है?

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Meenakshi
on Feb 28, 2024

Last Edit Made By Meenakshi
on Mar 21, 2024

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Viral Marker Test
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कई बीमारियों का पता लगाने के लिए कई तरह के टेस्ट को किया जाता है, जिससे की बीमारी और उसके सटीक कारणों का पता चलता है। ऐसे ही एक टेस्ट वायरल मार्कर टेस्ट है। मरीजों को ऑपरेशन से पहले वायरल मार्कर टेस्ट के तहत हेपेटाइटिस बी, हेपेटाइटिस सी और एचआईवी की जांच रिपोर्ट लगाना जरूरी है। अस्पताल में सर्जरी के लिए एडमिट होने पर सभी मरीजों को यह तीनों जांचें करवानी होती हैं। इस लेख में हम वायरल मार्कर टेस्ट से संबंधित सभी बता के बारे में विस्तार से जानेंगें। साथ ही टेस्ट की प्रक्रिया पर भी एक नज़र डालेंगें। 

वायरल मार्कर टेस्ट क्या है?

वायरल मार्कर टेस्ट एक प्रकार का टेस्ट है जिसका उपयोग वायरस संक्रमण की जांच के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में वायरस के संक्रमण के कुछ मार्करों की जांच की जाती है जो शरीर के प्रतिरक्षा प्रणाली द्वारा उत्पन्न किए जाते हैं। ये मार्कर जैसे कि विभिन्न एंजाइम्स, प्रोटीन्स, या एंटीबॉडीज हो सकते हैं।

आरटी-पीसीआर टेस्ट (रिवर्स ट्रांसक्रिप्शन पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन) और रैपिड एंटीजन टेस्ट जैसे वायरल मार्कर टेस्ट विशेष रूप से प्रयुक्त होते हैं। RT-PCR टेस्ट को अक्सर 'वायरल मार्कर टेस्ट' के रूप में उच्चारित किया जाता है, जो कोरोना वायरस की मौजुदगी की जाँच करता है। इस तरह के टेस्ट संक्रमण की जांच और नियंत्रण में मदद करते हैं।

वायरल मार्कर टेस्ट क्यों कराए जातें हैं?

  • यह वायरल संक्रमणों की एक समुह एचआईवी 1, एचआईवी 2, सिफलिस, हेपेटाइटिस बी और सी की पहचान करने के लिए किया जाता है।
  • यह वायरल हेपेटाइटिस बी और सी, एचआईवी, वायरल बुखार और अन्य वायरल संक्रमणों का निदान करने में मदद करता है जिनका सामान्य टेस्ट द्वारा पता नहीं लगाया जा सकता है।

वायरल मार्कर टेस्ट कैसे किया जाता है

वायरल मार्कर टेस्ट कई तरह के हो सकते हैं, और इनमें से प्रमुख तकनीकों में आरटी-पीसीआर और रैपिड एंटीजन टेस्ट शामिल हैं। 

  • रियल-टाइम पॉलिमरेज़ चेन रिएक्शन RT-PCR टेस्ट: इस टेस्ट में सबसे पहले नाक (नासल स्वाब) से सैंपल लिया जाता है। यह टेस्ट वायरल जीनोम की मौजूदगी को खोजता है और पुष्टि करता है कि वायरस मौजूद है या नहीं।
  • एंटीजेन टेस्ट: यह टेस्ट वायरस के प्रोटीन (एंटीजेन) की मौजूदगी को खोजता है। 
  • एंटीबॉडी टेस्ट: यह टेस्ट इंसान के ब्लड एंटीबॉडीज की मौजूदगी को खोजता है, इसे ब्लड टेस्ट करके किया जाता है।

वायरल मार्कर क्यों किया जाता है?

यदि आप किसी भी हेपेटाइटिस के लक्षणों जैसे कि पीलिया, भूख न लगना, मतली, उल्टी, पेट में दर्द, बुखार, या गहरे रंग का urin, हो रहा है, जो हेपेटाइटिस बी संक्रमण के कारण हो सकता है, तो तुरंत अपने डॉक्टर से सलाह लें।

  • आपके चिकित्सक को संदेह हो कि आपको एचआईवी हो सकता है
  • आप नियमित डायलिसिस करवा रहे हों
  • आपने कभी गलत तरीके से इंजेक्शन लगाए हों
  • आपने किसी हेपेटाइटिस बी, सी, या एचआईवी संक्रमित व्यक्ति के साथ बार-बार संपर्क किया हो
  • यदि आप में क्रोनिक हेपेटाइटिस के लक्षण दिख रहे हैं तो यह हेपेटाइटिस सी इन्फेक्शन का संकेत हो सकता है

वायरल मार्कर टेस्ट के लिए तैयारी कैसे करें?

वायरल मार्कर टेस्ट के लिए किसी तरह की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। हालांकि, कई बार डॉ इन चीज़ों को ध्यान में रखने की सलाह दे सकते हैं।

  • टेस्ट से तुरंत खाने पीने से मना कर सकते हैं।
  • टेस्ट से पहले नशीले पदार्थ के सेवन से परहेज।
  • टेस्ट से कुछ देर पहले व्यायाम करने से मना कर सकते हैं।
  • टेस्ट से पहले दवाई के सेवन से बचें।

वायरल मार्कर टेस्ट से पहले बरती जाने वाली सावधानियां

वायरल मार्कर टेस्ट से पहले बरती जाने वाली सावधानियां कुछ इस प्रकार है।

  • पहली सावधानी यह सुनिश्चित करना है कि जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है उसे कोई सक्रिय वायरल संक्रमण नहीं है। इसमें फ्लू, सर्दी या हर्पीस जैसे संक्रमण शामिल हैं। यदि जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है उसे सक्रिय वायरल संक्रमण है, तो परीक्षण के परिणाम गलत हो सकते हैं।
  • एक और सावधानी जो बरतनी चाहिए वह यह सुनिश्चित करना है कि जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है वह गर्भवती नहीं है। ऐसा इसलिए है क्योंकि गर्भावस्था के दौरान शरीर में हार्मोन की उपस्थिति से परीक्षण के परिणाम प्रभावित हो सकते हैं।
  • यह सुनिश्चित करना महत्वपूर्ण है कि जिस व्यक्ति का परीक्षण किया जा रहा है वह कोई दवा नहीं ले रहा है जो परीक्षण के परिणामों को प्रभावित कर सकता है। कॉर्टिकोस्टेरॉइड्स या इम्यूनोसप्रेसेन्ट्स जैसी दवाएं परीक्षण की सटीकता में हस्तक्षेप कर सकती हैं।

वायरल मार्कर टेस्ट की लागत

वायरल मार्कर टेस्ट की लागत विभिन्न कारकों पर निर्भर करती है, जैसे कि देश, विशेषज्ञता, और प्रयोग किए जाने वाले विभिन्न प्रकार के टेस्ट। वायरल मार्कर टेस्ट की लागत में विभिन्न खर्चे शामिल हो सकते हैं, जैसे कि:

  • टेस्ट के प्रकार: वायरल मार्कर टेस्ट के प्रकार के आधार पर लागत भिन्न हो सकती है। पीसीआर टेस्ट और एंटीजन टेस्ट जैसे टेस्ट की लागत अलग होती है।
  • परीक्षण के स्थान: अस्पतालों, लैबों, या विशेषज्ञ के क्लिनिक में परीक्षण कराने की लागत भी भिन्न हो सकती है।
  • परीक्षण के तत्व: जिस टेस्ट में खास उपकरण और रसायनों की आवश्यकता होती है, उसकी लागत भी भिन्न होती है।
  • स्थानिक प्रणाली और नियामक प्रणाली: कुछ देशों और क्षेत्रों में सरकारी या निजी स्वास्थ्य सेवाओं के तहत परीक्षण की लागत में अंतर हो सकता है।

सामान्य रूप से, वायरल मार्कर टेस्ट की लागत तीन-चार सौ रुपये से लेकर हजार रुपये तक हो सकती है, विशेष प्रकार के टेस्ट और संदर्भों के आधार पर। यह अधिकतम स्वास्थ्य सेवा प्रदाताओं और उपलब्धता के आधार पर भी भिन्न हो सकती है।

वायरल मार्कर परीक्षण वायरल संक्रमण का निदान करने, रोग की प्रगति की निगरानी करने, उपचार रणनीतियों का निर्धारण करने और प्रतिरक्षा प्रतिक्रियाओं का आकलन करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। परीक्षण का चयन संदिग्ध वायरस के प्रकार, संक्रमण की अवस्था और नैदानिक संदर्भ पर निर्भर करता है।

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