Fever in Hindi- बुखार क्या है? कारण, लक्षण और घरेलू इलाज

Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Kirti Saxena
on May 31, 2024
Last Edit Made By Kirti Saxena
on Jul 8, 2025

Fever in Hindi: अक्सर मौसम बदलने के समय बुखार होना आम बात है। ज़्यादातर मामलों में ये वायरल फीवर होता है जो 2–3 दिन में अपने आप ठीक हो जाता है। लेकिन अगर बुखार लंबे समय तक रहे, बार-बार आए या बहुत तेज़ हो, तो ये मलेरिया, डेंगू, टायफाइड या किसी और बीमारी का संकेत भी हो सकता है।
शरीर के तापमान का नार्मल से हाई होने का मतलब है फीवर होना। ज्यादातर यह किसी इन्फेक्शन की वजह से होता है। तेज़ बुखार जो 41.5°C से ज्यादा हो तो यह खतरनाक होता है। वैसे तो बुखार कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है। लेकिन बहुत से बच्चों और वयस्कों के लिए बुखार असुविधा पैदा कर देता है।
42.4°C या इससे ज्यादा का बुखार बुजुर्गों के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर परेशानी ज्यादा है तो आप डॉक्टर की मदद जरूर लें। वायरल बीमारियों की वजह से होने वाले बुखार को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक करने की कोशिश ना करें बल्कि डॉक्टर को दिखाएं।
बुखार के लक्षण ( Symptoms of Fever in Hindi )
हर व्यक्ति के शरीर का तापमान अलग-अलग होता है। एक औसत तापमान 98.6 F (37 C) होता है। 100 F (37.8 C) या इससे ज्यादा तापमान को बुखार माना जाता है। अगर आपको इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो यह बुखार के लक्षण है।
कमज़ोरी आना
बुखार होने पर शरीर थका-थका और सुस्त लगने लगता है। थोड़ा सा काम करने पर ही शरीर जवाब देने लगता है। यह इसलिए होता है क्योंकि शरीर अपनी ऊर्जा संक्रमण से लड़ने में लगा देता है।
सिरदर्द होना
बुखार के दौरान सिर भारी लग सकता है या लगातार दर्द बना रह सकता है। यह दर्द हल्का या तेज़ हो सकता है और कभी-कभी आँखों के आसपास भी महसूस होता है। यह लक्षण वायरल या बैक्टीरियल संक्रमण में आम होता है।
पसीना आना
शरीर का तापमान बढ़ने के बाद जब वह खुद को ठंडा करने की कोशिश करता है, तो पसीना आता है। कई बार बहुत ज्यादा पसीना आ सकता है, जिससे कपड़े तक भीग सकते हैं।
डिहाइड्रेशन
बुखार में पसीना अधिक आता है, शरीर का तापमान बढ़ा रहता है, और भूख-प्यास कम लगती है, जिससे शरीर में पानी की कमी हो जाती है। इससे मुँह सूखना, पेशाब कम आना और थकावट जैसी स्थिति हो सकती है।
ठंड लगना और कंपकंपी होना
बुखार शुरू होते समय अक्सर ठंड लगती है और शरीर कांपने लगता है, जबकि अंदरूनी तापमान बढ़ा हुआ होता है। यह शरीर के तापमान को और बढ़ाने की प्रक्रिया का हिस्सा होता है।
मांसपेशियों में दर्द होना
बुखार में शरीर की मांसपेशियाँ अकड़ जाती हैं और दर्द होने लगता है। पीठ, पैरों और हाथों में भारीपन और दर्द महसूस होता है, जिससे चलना-फिरना मुश्किल हो सकता है।
चिड़चिड़ापन बने रहना
बुखार के दौरान शरीर असहज रहता है, जिसकी वजह से व्यक्ति जल्दी झुंझलाता है या बात-बात पर गुस्सा करने लगता है। बच्चों में यह लक्षण ज़्यादा देखने को मिलता है।
भूख ना लगना
बुखार में भूख कम लगना या बिल्कुल भी भूख न लगना आम बात है। शरीर थका होता है और पाचन तंत्र भी सुस्त हो जाता है, जिससे खाना खाने का मन नहीं करता।
बुखार के प्रकार ( Types of Fever in Hindi )
जिस तरह का बुखार होता है डॉक्टर उसके बारे में बताते हैं।
प्रेषित (Remittent)
यह बुखार चढ़ता-उतरता रहता है, लेकिन तापमान हमेशा नार्मल से ज्यादा रहता है।
रुक-रुक कर
इस बुखार के साथ शरीर का तापमान बढ़ जाता है। जो दिन के समय थोड़ा लो हो जाता है। यह अंतर थोड़ी सी बढ़ोतरी से लेकर 2 डिग्री फ़ारेनहाइट तक हो सकता है।
निरंतर या बने रहने वाला
शरीर का तापमान पूरे दिन एक जैसा रहता है।
पुनरावर्तन (Relapsing)
तापमान नॉर्मल रहने के कुछ दिनों या हफ्तों के बाद बुखार फिर से आता है जो की बढ़ा हुआ रहता है।
अतिव्यस्तता (Hectic)
इससे पूरे दिन तापमान में 2 डिग्री फ़ारेनहाइट या उससे ज्यादा का उतार-चढ़ाव होता है। इसमें ठंड भी लग सकती हैं और पसीना भी आता है।
संक्रमण भी बुखार का कारण
किसी तरह का संक्रमण होना भी बुखार का कारण होता है।
हीट स्ट्रोक
इसमें बिना पसीने के बुखार आता है।
पुरानी बीमारियाँ
जैसे रुमेटीइड गठिया और अल्सरेटिव कोलाइटिस।
वायरस से होने वाली बीमारियाँ
जैसे सर्दी, फ्लू, कोविड -19
दवाएं
कुछ लोगों को विशेष दवाओं के साइड इफ़ेक्ट हो जाते हैं। जिससे बुखार आने के चांसेस रहते हैं।
बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियाँ
जैसे टॉन्सिलिटिस, निमोनिया या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन।
कुछ उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ
जैसे मलेरिया जिससे टाइफाइड बुखार भी हो सकता है।
बुखार से रोकथाम ( Prevention of Fever in Hindi )
संक्रामक रोगों के जोखिम को कम करके बुखार को रोका जा सकता है। आगे बताये गए सुझाव मदद कर सकते हैं।
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मास्क पहने और सामाजिक दूरी बनाएं रखे।
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बच्चों को हाथों को अच्छी तरह से धोना सिखाएं।
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बच्चे के साथ या किसी के भी साथ बुखार से पीड़ित व्यक्ति को अपने बर्तन, बोतलें, कप शेयर नहीं करना चाहिए।
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साबुन और पानी हमेशा पास में नहीं होता है। इसलिए हैंड सैनिटाइज़र हमेशा साथ में रखें।
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इन्फ्लूएंजा और कोविड -19 जैसी संक्रामक बीमारियों के लिए जरुरी टीका लगवाएं।
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नाक, मुंह या आंखों को छूने से बचे। इससे वायरस और बैक्टीरिया शरीर में पहुंचकर इन्फेक्शन पैदा कर सकते हैं।
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हाथों को बार-बार धोएं खाने से पहले, भीड़ में जाने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद, शौचालय का उपयोग करने के बाद, जानवरों को सहलाने के बाद।
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खांसते समय अपना मुंह और छींकते समय अपनी नाक ढक लें अगर संभव हो तो दूसरों से दूर हो जाएं।
बुखार के लिए सेल्फ ट्रीटमेंट कैसे करें
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तरल पदार्थ ज्यादा पिएं पानी भी ज्यादा से ज्यादा पिएं।
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बुखार आने पर खूब आराम करें।
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चाय, कॉफ़ी और शराब ना पिएं इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
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बुखार आने पर तापमान को कम करने के लिए पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन लें सकते हैं।
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ठंडे पानी से नहाने से बचे इससे स्किन ब्लड वेसल्स को जकड़ देती है जिससे शरीर की गर्मी फँस जाती है। ठंड की वजह से कंपकंपी भी हो सकती है।
बुखार का घरेलू इलाज
1. गुनगुने पानी की पट्टियाँ (Wet Cloth Strips)
बुखार तेज़ हो तो माथे पर गुनगुने पानी की पट्टियाँ रखें। इससे शरीर का तापमान धीरे-धीरे कम होता है। ठंडे पानी की बजाय गुनगुना पानी ज़्यादा प्रभावी होता है।
2. तुलसी की चाय (Tulsi Tea)
तुलसी के पत्तों को उबालकर पीना बुखार में बेहद फायदेमंद होता है। इसमें एंटी-बैक्टीरियल और एंटी-वायरल गुण होते हैं जो इंफेक्शन से लड़ने में मदद करते हैं।
3. नींबू-पानी और नारियल पानी
बुखार में डिहाइड्रेशन हो जाता है, इसलिए नींबू-पानी और नारियल पानी पीना बेहद लाभकारी होता है। ये शरीर को ठंडक देते हैं और इलेक्ट्रोलाइट्स की कमी को भी पूरा करते हैं।
4. हल्दी वाला दूध (Golden Milk)
हल्दी में मौजूद करक्यूमिन तत्व बुखार और शरीर के दर्द से राहत दिलाता है। रात को सोने से पहले गुनगुने दूध में आधा चम्मच हल्दी डालकर पिएं।
5. हल्का और सुपाच्य भोजन
बुखार के समय भारी खाना न खाएं। खिचड़ी, दाल-चावल, उबली हुई सब्ज़ियाँ या सूप जैसे हल्के भोजन से शरीर को एनर्जी मिलती है और पाचन पर ज़ोर नहीं पड़ता।
6. भरपूर आराम करें
शरीर को आराम की सबसे ज़्यादा ज़रूरत बुखार में होती है। ज़्यादा मोबाइल या टीवी से बचें, और जितना हो सके नींद लें। शरीर खुद को रिपेयर तभी कर पाएगा जब उसे पूरा आराम मिलेगा।
7. खुद से दवाइयाँ न लें
अगर बुखार 3 दिन से ज़्यादा बना रहे या बहुत तेज़ हो, तो घरेलू उपायों के बजाय तुरंत डॉक्टर से सलाह लें।
डॉक्टर को कब दिखाएं ( When to See a Doctor )
बुखार में कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
अगर वयस्क को 103 डिग्री फ़ारेनहाइट (39.4 डिग्री सेल्सियस) से कम बुखार है तो यह खतरनाक नहीं है। लेकिन इससे ऊपर होने पर आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बच्चों को बुखार आने पर इस स्थिति में डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए यदि :
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इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन लेने के बाद भी बुखार कम नहीं होने पर।
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बुखार 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा होने पर।
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सांस लेने में और यूरिन करने में परेशानी आना।
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गले में गंभीर खराश, गले में सूजन या कान में दर्द।
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गर्दन में अकड़न आना।
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होंठ नीले पड़ जाने पर।
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उल्टी होना।
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दौरे आना।
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खांसी या खांसी के साथ खून आना।
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बुखार के साथ सिरदर्द होना।
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त्वचा पर चकत्ते, छाले।
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पेट दर्द होना।
जटिलताएँ या जोखिम
बुखार का इलाज न करने पर रिस्क उठानी पड़ सकती है। 105.8 डिग्री फ़ारेनहाइट (41 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा का बुखार खतरनाक हो सकता है। शरीर का तापमान इस स्तर तक जाने पर शरीर के अंग ख़राब होने लगेंगे और आख़िरी में ख़राब हो जायेंगे। मध्यम बुखार भी फेफड़ों या हृदय रोग वाले वयस्कों के लिए खतरनाक हो सकता है। बुखार के कारण सांस लेने की दर और हार्ट रेट बढ़ जाती है।
बुखार का निदान
डॉक्टर आपके शरीर के तापमान की जांच करेंगे। उसके बाद बुखार का निदान कर सकते हैं। लेकिन वह पहले बुखार आने के कारण का निदान करेंगे। इसके लिए डॉक्टर आपकी जांच करेंगे और आपसे किसी दूसरे लक्षण के बारे में और उसके लिए आपने क्या ट्रीटमेंट करवाया था यह पूछेंगे।
यदि आपको हाल ही में कोई इन्फेक्शन हुआ था या आपकी हाल ही में सर्जरी हुई है और किसी एक जगह में दर्द या सूजन है, तो इसका मतलब है कि आपको किसी तरह का इन्फेक्शन है।
डॉक्टर आपको इन टेस्ट को करवाने के लिए सलाह दे सकते हैं।
Conclusion
ज्यादातर मामलों में बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है। जिसमें किसी मेडिकल देखभाल की भी जरूरत नहीं होती है। अगर किसी में गंभीर लक्षण दिख रहे हैं या इम्यून सिस्टम कमजोर है तो उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। अपने मन से किसी भी तरह की दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। वरना बुखार बिगड़ भी सकता है और ठीक होने में टाइम भी लग सकता है।