Fever in Hindi: बुखार के कारण, लक्षण और उपचार
Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Kirti Saxena
on May 31, 2024
Last Edit Made By Kirti Saxena
on May 31, 2024
शरीर के तापमान का नार्मल से हाई होने का मतलब है फीवर होना। ज्यादातर यह किसी इन्फेक्शन की वजह से होता है। तेज़ बुखार जो 41.5°C से ज्यादा हो तो यह खतरनाक होता है। वैसे तो बुखार कुछ दिनों में ठीक भी हो जाता है। लेकिन बहुत से बच्चों और वयस्कों के लिए बुखार असुविधा पैदा कर देता है। 42.4°C या इससे ज्यादा का बुखार बुजुर्गों के मस्तिष्क को नुकसान पहुंचा सकता है। अगर परेशानी ज्यादा है तो आप डॉक्टर की मदद जरूर लें। वायरल बीमारियों की वजह से होने वाले बुखार को एंटीबायोटिक दवाओं से ठीक करने की कोशिश ना करें बल्कि डॉक्टर को दिखाएं।
बुखार के लक्षण
हर व्यक्ति के शरीर का तापमान अलग-अलग होता है। एक औसत तापमान 98.6 F (37 C) होता है। 100 F (37.8 C) या इससे ज्यादा तापमान को बुखार माना जाता है। अगर आपको इस तरह के लक्षण महसूस हो रहे हैं तो यह बुखार के लक्षण है।
- कमज़ोरी आना
- सिरदर्द होना
- पसीना आना
- डिहाइड्रेशन
- ठंड लगना और कंपकंपी होना
- मांसपेशियों में दर्द होना
- चिड़चिड़ापन बने रहना
- भूख ना लगना
बुखार के प्रकार
जिस तरह का बुखार होता है डॉक्टर उसके बारे में बताते हैं।
- प्रेषित (Remittent) - यह बुखार चढ़ता-उतरता रहता है, लेकिन तापमान हमेशा नार्मल से ज्यादा रहता है।
- रुक-रुक कर) - इस बुखार के साथ शरीर का तापमान बढ़ जाता है। जो दिन के समय थोड़ा लो हो जाता है। यह अंतर थोड़ी सी बढ़ोतरी से लेकर 2 डिग्री फ़ारेनहाइट तक हो सकता है।
- निरंतर या बने रहने वाला - शरीर का तापमान पूरे दिन एक जैसा रहता है।
- पुनरावर्तन (Relapsing) - तापमान नॉर्मल रहने के कुछ दिनों या हफ्तों के बाद बुखार फिर से आता है जो की बढ़ा हुआ रहता है।
- अतिव्यस्तता (Hectic) - इससे पूरे दिन तापमान में 2 डिग्री फ़ारेनहाइट या उससे ज्यादा का उतार-चढ़ाव होता है। इसमें ठंड भी लग सकती हैं और पसीना भी आता है।
संक्रमण भी बुखार का कारण
किसी तरह का संक्रमण होना भी बुखार का कारण होता है।
- हीट स्ट्रोक - इसमें बिना पसीने के बुखार आता है।
- पुरानी बीमारियाँ - जैसे रुमेटीइड गठिया और अल्सरेटिव कोलाइटिस।
- वायरस से होने वाली बीमारियाँ - जैसे सर्दी, फ्लू, कोविड -19
- दवाएं - कुछ लोगों को विशेष दवाओं के साइड इफ़ेक्ट हो जाते हैं। जिससे बुखार आने के चांसेस रहते हैं।
- बैक्टीरिया से होने वाली बीमारियाँ - जैसे टॉन्सिलिटिस, निमोनिया या यूरिनरी ट्रैक्ट इन्फेक्शन।
- कुछ उष्णकटिबंधीय बीमारियाँ - जैसे मलेरिया जिससे टाइफाइड बुखार भी हो सकता है।
बुखार से रोकथाम
संक्रामक रोगों के जोखिम को कम करके बुखार को रोका जा सकता है। आगे बताये गए सुझाव मदद कर सकते हैं।
- मास्क पहने और सामाजिक दूरी बनाएं रखे।
- बच्चों को हाथों को अच्छी तरह से धोना सिखाएं।
- बच्चे के साथ या किसी के भी साथ बुखार से पीड़ित व्यक्ति को अपने बर्तन, बोतलें, कप शेयर नहीं करना चाहिए।
- साबुन और पानी हमेशा पास में नहीं होता है। इसलिए हैंड सैनिटाइज़र हमेशा साथ में रखें।
- इन्फ्लूएंजा और कोविड -19 जैसी संक्रामक बीमारियों के लिए जरुरी टीका लगवाएं।
- नाक, मुंह या आंखों को छूने से बचे। इससे वायरस और बैक्टीरिया शरीर में पहुंचकर इन्फेक्शन पैदा कर सकते हैं।
- हाथों को बार-बार धोएं खाने से पहले, भीड़ में जाने के बाद, किसी बीमार व्यक्ति से मिलने के बाद, शौचालय का उपयोग करने के बाद, जानवरों को सहलाने के बाद।
- खांसते समय अपना मुंह और छींकते समय अपनी नाक ढक लें अगर संभव हो तो दूसरों से दूर हो जाएं।
बुखार के लिए सेल्फ ट्रीटमेंट कैसे करें
- तरल पदार्थ ज्यादा पिएं पानी भी ज्यादा से ज्यादा पिएं।
- बुखार आने पर खूब आराम करें।
- चाय, कॉफ़ी और शराब ना पिएं इससे डिहाइड्रेशन हो सकता है।
- बुखार आने पर तापमान को कम करने के लिए पेरासिटामोल या इबुप्रोफेन लें सकते हैं।
- ठंडे पानी से नहाने से बचे इससे स्किन ब्लड वेसल्स को जकड़ देती है जिससे शरीर की गर्मी फँस जाती है। ठंड की वजह से कंपकंपी भी हो सकती है।
डॉक्टर को कब दिखाएं
बुखार में कब डॉक्टर को दिखाना चाहिए।
अगर वयस्क को 103 डिग्री फ़ारेनहाइट (39.4 डिग्री सेल्सियस) से कम बुखार है तो यह खतरनाक नहीं है। लेकिन इससे ऊपर होने पर आपको डॉक्टर को दिखाना चाहिए। बच्चों को बुखार आने पर इस स्थिति में डॉक्टर से इलाज करवाना चाहिए यदि :
- इबुप्रोफेन या एसिटामिनोफेन लेने के बाद भी बुखार कम नहीं होने पर।
- बुखार 104 डिग्री फ़ारेनहाइट (40 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा होने पर।
- सांस लेने में और यूरिन करने में परेशानी आना।
- गले में गंभीर खराश, गले में सूजन या कान में दर्द।
- गर्दन में अकड़न आना।
- होंठ नीले पड़ जाने पर।
- उल्टी होना।
- दौरे आना।
- खांसी या खांसी के साथ खून आना।
- बुखार के साथ सिरदर्द होना।
- त्वचा पर चकत्ते, छाले।
- पेट दर्द होना।
जटिलताएँ या जोखिम
बुखार का इलाज न करने पर रिस्क उठानी पड़ सकती है। 105.8 डिग्री फ़ारेनहाइट (41 डिग्री सेल्सियस) से ज्यादा का बुखार खतरनाक हो सकता है। शरीर का तापमान इस स्तर तक जाने पर शरीर के अंग ख़राब होने लगेंगे और आख़िरी में ख़राब हो जायेंगे। मध्यम बुखार भी फेफड़ों या हृदय रोग वाले वयस्कों के लिए खतरनाक हो सकता है। बुखार के कारण सांस लेने की दर और हार्ट रेट बढ़ जाती है।
बुखार का निदान
डॉक्टर आपके शरीर के तापमान की जांच करेंगे। उसके बाद बुखार का निदान कर सकते हैं। लेकिन वह पहले बुखार आने के कारण का निदान करेंगे। इसके लिए डॉक्टर आपकी जांच करेंगे और आपसे किसी दूसरे लक्षण के बारे में और उसके लिए आपने क्या ट्रीटमेंट करवाया था यह पूछेंगे।
यदि आपको हाल ही में कोई इन्फेक्शन हुआ था या आपकी हाल ही में सर्जरी हुई है और किसी एक जगह में दर्द या सूजन है, तो इसका मतलब है कि आपको किसी तरह का इन्फेक्शन है।
डॉक्टर आपको इन टेस्ट को करवाने के लिए सलाह दे सकते हैं।
Conclusion
ज्यादातर मामलों में बुखार जल्दी ही ठीक हो जाता है। जिसमें किसी मेडिकल देखभाल की भी जरूरत नहीं होती है। अगर किसी में गंभीर लक्षण दिख रहे हैं या इम्यून सिस्टम कमजोर है तो उन्हें डॉक्टर को जरूर दिखाना चाहिए। अपने मन से किसी भी तरह की दवाओं का सेवन नहीं करना चाहिए। वरना बुखार बिगड़ भी सकता है और ठीक होने में टाइम भी लग सकता है।