मोटे होने वाले थायराइड के लक्षण - जानें कारण और इलाज

Medically Reviewed By
Dr. Mayanka Lodha Seth
Written By Sheena Mehta
on Jul 7, 2025
Last Edit Made By Sheena Mehta
on Jul 7, 2025

जब किसी व्यक्ति का वजन बिना किसी खास वजह के बढ़ने लगे, जैसे शरीर फूला-फूला लगे, कपड़े टाइट हो जाएं या हर समय भारीपन महसूस हो, तो अक्सर मन में यह सवाल उठता है: क्या ये सिर्फ मोटापा है या थायरॉयड की कोई गड़बड़ी?
ऐसी स्थिति में खुद से अंदाजा लगाना सही तरीका नहीं होता। थायरॉयड और सामान्य मोटापा—दोनों के लक्षण कभी-कभी एक जैसे लग सकते हैं, लेकिन इनके कारण और इलाज एकदम अलग होते हैं।
इसलिए जरूरी है कि किसी भी इलाज या डाइट को अपनाने से पहले किसी अनुभवी डॉक्टर से जांच कराएं। सही वजह पता चलने पर ही आप अपने शरीर के साथ सही कदम उठा पाएंगे और स्वास्थ्य पर लंबे समय तक असर डालने वाली समस्याओं से बच सकेंगे।
थायराइड क्या है?
थायराइड एक छोटी सी तितली के आकार की ग्रंथि होती है जो गले के ठीक आगे, गले की हड्डी के पास पाई जाती है। यह ग्रंथि शरीर में T3 (Triiodothyronine) और T4 (Thyroxine) नाम के हार्मोन बनाती है, जो शरीर के मेटाबॉलिज्म यानी ऊर्जा खर्च करने की गति को नियंत्रित करते हैं।
जब यह ग्रंथि ठीक से काम नहीं करती और हार्मोन कम बनने लगते हैं, तो हाइपोथायरायडिज्म की स्थिति उत्पन्न होती है। इसका असर शरीर के हर हिस्से पर पड़ता है, खासकर मेटाबॉलिज्म पर, जिससे वजन तेजी से बढ़ने लगता है।
मोटे होने वाला थायराइड: हाइपोथायरायडिज्म
वजन बढ़ाने वाला थायराइड कौन सा होता है?
हाइपोथायरायडिज्म वह स्थिति है जब थायराइड ग्रंथि पर्याप्त मात्रा में हार्मोन नहीं बना पाती। इससे शरीर की कार्यप्रणाली धीमी हो जाती है और व्यक्ति को थकान, सुस्ती और वजन बढ़ने जैसे लक्षण दिखने लगते हैं।
यह एक साइलेंट बीमारी होती है, यानी यह धीरे-धीरे बढ़ती है और कई बार लोगों को काफी देर बाद पता चलता है कि उनकी मोटापे की असली वजह यही है।
मोटे होने वाले थायराइड के लक्षण
अगर आप यह सोच रहे हैं कि कहीं आपका वजन थायराइड की वजह से तो नहीं बढ़ रहा, तो नीचे दिए गए लक्षणों पर ध्यान दीजिए:
वजन तेजी से बढ़ना
भूख न लगने के बावजूद भी वजन का बढ़ना हाइपोथायरायडिज्म का सबसे बड़ा संकेत हो सकता है। शरीर का मेटाबॉलिज्म धीमा पड़ने के कारण शरीर अधिक कैलोरी बर्न नहीं करता, जिससे वसा जमा होती जाती है।
थकान और कमजोरी
हर समय थका हुआ महसूस करना, छोटी-सी मेहनत में सांस फूलना या दिनभर आलस छाया रहना भी थायराइड के संकेत हो सकते हैं।
ठंड ज्यादा लगना
जब शरीर का तापमान नियंत्रित करने वाला सिस्टम धीमा हो जाए तो बिना मौसम के भी ठंड ज्यादा लगती है।
कब्ज
पाचन तंत्र की गति भी थायराइड से प्रभावित होती है। यदि लगातार कब्ज की शिकायत है, तो थायराइड जांच करवाना जरूरी है।
चेहरे और शरीर में सूजन
थायराइड कम होने से शरीर में फ्लूइड रिटेंशन होता है, जिससे चेहरे और पैरों में हल्की सूजन देखी जा सकती है।
बालों का झड़ना
थायराइड की समस्या बालों की जड़ों को कमजोर कर देती है। इससे बाल पतले, सूखे और झड़ने लगते हैं।
स्किन ड्राय और खुरदुरी होना
त्वचा का रूखा होना और नाखूनों का टूटना भी थायराइड के कारण हो सकता है।
याददाश्त कमजोर होना
थायराइड के हार्मोन मस्तिष्क की क्रियाओं पर भी असर डालते हैं, जिससे भूलने की आदत और एकाग्रता की कमी महसूस होती है।
मासिक धर्म की गड़बड़ी
महिलाओं में थायराइड हार्मोन की कमी के कारण पीरियड अनियमित हो सकते हैं या अधिक भारी ब्लीडिंग हो सकती है।
मूड स्विंग्स और डिप्रेशन
हार्मोन असंतुलन मानसिक स्थिति को भी प्रभावित करता है। थायराइड से पीड़ित लोग अक्सर चिड़चिड़ापन, चिंता और डिप्रेशन का अनुभव करते हैं।
थायरॉयड गड़बड़ी क्यों होती है?
थायरॉयड से जुड़ी समस्याएं कई कारणों से हो सकती हैं, और हर व्यक्ति में इसके पीछे की वजह अलग हो सकती है। नीचे कुछ आम कारण दिए गए हैं जो थायरॉयड ग्रंथि की कार्यप्रणाली को प्रभावित कर सकते हैं:
प्रतिरक्षा तंत्र में गड़बड़ी
कई बार शरीर की इम्यून सिस्टम ही गलती से थायरॉयड ग्रंथि पर हमला करने लगती है। इससे यह ग्रंथि या तो बहुत धीमी या बहुत तेज़ हो जाती है, जिससे शरीर के बाकी अंगों पर भी असर पड़ता है।
प्रसव के बाद हार्मोनल बदलाव
कुछ महिलाओं को डिलीवरी के बाद थायरॉयड संबंधी समस्याएं होने लगती हैं। इसे पोस्टपार्टम थायरॉयडाइटिस कहा जाता है और यह अस्थायी भी हो सकता है।
आनुवंशिक कारण
अगर परिवार में किसी को थायरॉयड की समस्या रही है, तो इस बीमारी की संभावना अगली पीढ़ी में भी हो सकती है।
कुछ खास दवाओं का प्रभाव
दिल की अनियमित धड़कन या कैंसर जैसी बीमारियों के इलाज में दी जाने वाली कुछ दवाएं थायरॉयड ग्रंथि के सामान्य कामकाज में रुकावट डाल सकती हैं।
आयोडीन की कमी
थायरॉयड हार्मोन के निर्माण के लिए आयोडीन जरूरी होता है। अगर शरीर को पर्याप्त आयोडीन नहीं मिल रहा है, तो थायरॉयड ग्रंथि कमजोर पड़ सकती है और हार्मोन का संतुलन बिगड़ सकता है।
इन कारणों को समझकर समय रहते इलाज शुरू करना बेहद जरूरी होता है ताकि थायरॉयड की समस्या बड़ी बीमारी का रूप न ले सके।
थायराइड की जांच कैसे कराएं?
अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षणों में से कुछ महसूस हो रहे हैं, तो आपको ब्लड टेस्ट कराना चाहिए जिसमें TSH (Thyroid Stimulating Hormone), T3 और T4 की जांच की जाती है।
TSH का स्तर बढ़ा हो और T3-T4 कम हों, तो यह हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है। सही डायग्नोसिस के लिए डॉक्टर से सलाह जरूरी है।
हाइपोथायरायडिज्म का इलाज
दवाएं: डॉक्टर आमतौर पर लेवोथायरॉक्सिन नाम की दवा लिखते हैं जो शरीर में T4 हार्मोन की कमी पूरी करती है।
नियमित ब्लड टेस्ट- हर 3-6 महीने में TSH की जांच जरूरी है ताकि दवा की मात्रा समायोजित की जा सके।
बचाव के उपाय -
रोजाना हल्की-फुल्की एक्सरसाइज
तनाव कम करना
नींद पूरी लेना (कम से कम 7–8 घंटे)
क्या थायराइड से मोटापा स्थायी होता है?
नहीं। अगर थायराइड को समय पर पहचाना जाए और सही इलाज शुरू किया जाए, तो वजन को कंट्रोल में लाया जा सकता है। दवाओं के साथ संतुलित आहार और एक्सरसाइज करने से वजन घटाना संभव है।
अगर आपका वजन बिना किसी खास कारण के लगातार बढ़ रहा है और साथ में थकान, सुस्ती, कब्ज या बाल झड़ने जैसे लक्षण भी दिख रहे हैं, तो यह सिर्फ मोटापा नहीं, हाइपोथायरायडिज्म हो सकता है।
इसलिए ज़रूरी है कि समय रहते जांच कराएं, डॉक्टर की सलाह लें और इलाज शुरू करें। थायराइड को नजरअंदाज करना सिर्फ मोटापा ही नहीं, बल्कि दूसरी गंभीर बीमारियों को भी न्योता देना हो सकता है।


