Potassium Test in Hindi: स्वास्थ्य जाँच में पोटैशियम स्तर की जांच करें

Medically Reviewed By
Dr Sohini Sengupta
Written By admin
on Feb 3, 2024
Last Edit Made By admin
on Jan 7, 2025

इंसान के शरीर का स्वास्थ्य बनाए रखने में मिनरल का जरुरी योगदान होता है, और पोटेशियम एक ऐसा मिनरल है जो शरीर के नार्मल कामों के लिए बहुत जरूरी है। यह आपके दिल की धड़कन, मांसपेशियों की कंडीशन और नर्व फंक्शन के लिए जरुरी होता है। बहुत ज्यादा या बहुत कम पोटेशियम शरीर के लिए हानिकारक हो सकता है, इसलिए पोटेशियम लेवल की देखभाल जरुरी है। पोटेशियम टेस्ट एक प्राइमरी इलाज हो सकता है जिसका मदद से पोटेशियम लेवल की जांच की जा सकती है, जिससे आपकी हेल्थ की निगरानी की जा सके। आगे हम पोटेशियम टेस्ट के इम्पोर्टेंस, तैयारी, और रिजल्ट्स के बारे में चर्चा करेंगे।
पोटेशियम टेस्ट क्या होता है?
पोटेशियम टेस्ट एक तरह का मेडिकल टेस्ट होता है, इस टेस्ट से शरीर में मौजूद पोटेशियम की मात्रा को चेक किया जाता है। ये टेस्ट फिजिकल हेल्थ की मॉनिटर करने और देखने के लिए किया जाता है। इस टेस्ट में इंसान के खून या मूत्र में मौजुद पोटेशियम की मात्रा को मापा जाता है, ताकी इलाज़ या डाइट की सलाह दी जा सके। पोटेशियम शरीर के सिस्टम्स और नार्मल फंक्शन्स के लिए जरुरी होता है, जैसे कि ये एनर्जी प्रोडक्शन, स्ट्रेस मैनेजमेंट और ब्लड प्रेशर की नार्मल फंक्शन्स में मददगार होता है। इसलिए सही पोटेशियम की मात्रा बनाए रखना जरुरी हो सकता है।
पोटेशियम टेस्ट कब कराया जाता है?
पोटेशियम टेस्ट करने की वजह ये हो सकती है :-
- सामान्य स्वास्थ्य जांच (Regular Health Checkup): अगर किसी इंसान को डॉक्टर की एडवाइस पर रेगुलर चेकअप करना पड़ता है, तो पोटेशियम की मात्रा का पता लगाने के लिए पोटेशियम टेस्ट भी किया जा सकता है।
- मांसपेशियों की कमजोरी (Asthenia): मांसपेशी कमजोरी, दर्द, या ऐंठन के लक्षण हो सकते हैं, और इसमें पोटेशियम की मात्रा का पता लगाना ज्यादा जरूरी हो सकता है।
- ब्लड प्रेशर (Hypertension): ब्लड प्रेशर के रोगियों में पोटेशियम की मात्रा की जरूरत होती है, क्योंकि ये ब्लड प्रेशर को कंट्रोल करने और काम करने में मददगार होता है।
- लो पोटेशियम (हाइपोकैलिमिया): हाइपोकैलिमिया के लक्षण जैसे कि ज्यादा थकान, दिल की धड़कन में बढ़ाव, या चक्कर आने पर पोटेशियम की मात्रा का पता लगाने के लिए टेस्ट किया जाता है।
- हाई पोटेशियम (हाइपरकेलेमिया): हाइपरकेलेमिया के लक्षण जैसे दिल की धड़कन में तेज़ी या शरीर में इलेक्ट्रोलाइट संतुलन में डिसरप्टिव होने पर भी पोटेशियम टेस्ट किया जाता है।
यदि आपको इनमें से कोई स्पेसिफिक प्रॉब्लम के लक्षण दिख रहे हैं, तो अपने डॉक्टर्स से एडवाइस ले करके पोटेशियम टेस्ट कराना चाहिए।
पोटेशियम टेस्ट की नॉर्मल रेंज क्या है?
पोटेशियम टेस्ट की नार्मल रेंज इंसान की उम्र और हेल्थ के ऊपर अलग-अलग हो सकती है। नॉर्मल तरीके से पोटेशियम की नार्मल रेंज ब्लड सीरम में 3.5 millimoles per liter (mmol/L) से लेकर 5.0 mmol/L तक होती हैं, ये रेंज आसानी से बदल सकती है कुछ कारणों से जैसे कि इंसान की एज, जेंडर और शरीर की फिजिकल स्थिति।
ये ध्यान रखना जरुरी है कि अलग-अलग लैबोरेट्रीज अलग वैल्यू का यूज़ कर सकती हैं। इस कारण से, आपको अपने डॉक्टर से अपने स्पेसिफिक रिजल्ट्स को एक्सप्लेन करने के लिए कहना चाहिए।
शरीर के हेल्थ से जुड़ी प्रोब्लेम्स जैसे कि हाई ब्लड प्रेशर, किडनी की बीमारी या डायबिटीज भी पोटेशियम की मात्रा को बदल सकती है इसलिए पोटेशियम टेस्ट के नतीजे को इंसान के शरीर और हेल्थ को देख कर डिटेक्ट किया जाता है।
पोटेशियम टेस्ट की तैयारी कैसे करें?
पोटेशियम टेस्ट की तैयारी करने के लिए ये कुछ तरीके हो सकते हैं:-
- डॉक्टर से सलाह ले:- सबसे पहले आपको अपने डॉक्टर से सलाह लेना चाहिए और उनसे पोटेशियम टेस्ट करवाने की सलाह लेनी चाहिए वे आपको सही डायरेक्शन देंगे।
- फास्टिंग ना करें:- पोटेशियम टेस्ट के दिन आपको फास्टिंग नहीं करना होगा आप आमतौर पर टेस्ट के लिए बिना किसी फास्टिंग के सैंपल दे सकते हैं।
- दवाइयां की जानकारी दें:- अगर आप किसी दवा को ले रहे हैं तो अपने डॉक्टर को इसके बारे में बताएं कुछ दवाइयां पोटेशियम के लेवल को बदल सकती है और आपके डॉक्टर को इसका ध्यान रखना होगा, सही रिजल्ट के लिए आपको ये चीज करनी होती है।
- डिहाइड्रेट रहे:- टेस्ट के दिन अपने शरीर को हमेशा डिहाइड्रेट रखें पानी पिए, लेकिन टेस्ट से कुछ घंटे पहले कम पानी पिए।
पोटेशियम टेस्ट कैसे किया जाता है?
पोटेशियम टेस्ट कैसे किया जाता है, इसके कुछ स्टेप्स हैं:-
- सैंपल कलेक्शन: पहले आपके डॉक्टर आपके खून का सैंपल लेंगे। आम तौर पर, सैंपल लेने के लिए आपके हाथों की नसों में एक सुई का इस्तेमाल होता है। इस सैंपल को लेबोरेटरी भेजा जाता है जहां पर पोटेशियम के लेवल का अनुमान लगाया जाता है।
- टेस्टिंग मेथड: ब्लड सैंपल पोटेशियम टेस्ट के लिए लेबोरेटरी में भेजा जाता है। यहां पर सैंपल को सेंट्रीफ्यूज मशीन में डाल कर अलग-अलग एलिमेंट्स में डिवाइड किया जाता है। फिर, पोटेशियम के लेवल की मात्रा को किसी ख़ास मशीन या डिवाइस से मापा जाता है।
- रिपोर्ट: टेस्ट रिपोर्ट आमतौर पर कुछ दिनों में अवेलेबल हो जाते हैं। रिपोर्ट्स में आपके पोटेशियम लेवल रिकॉर्ड होते हैं। आपके डॉक्टर आपकी रिपोर्ट समझेंगे और इलाज की सलाह देंगे, यदि आपके पोटेशियम का लेवल नॉर्मल से अलग है।
पोटेशियम टेस्ट एक ऑथेंटिक तरीके से आपके शरीर के इलेक्ट्रोलाइट बैलेंस का पता लगाने में मदद करता है। अगर आपको पोटेशियम टेस्ट में किसी भी तरह की अब्नोर्मलिटीज़ दिखाई देती है, तो आपके डॉक्टर से इलाज करना चाहिए। इसलिए, पोटेशियम टेस्ट के रिजल्ट्स को समझना जरुरी होता है।



