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DLC Test in Hindi - रक्त मात्रा की निगरानी: डीएलसी टेस्ट के महत्व - MyHealth

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DLC Test in Hindi - रक्त मात्रा की निगरानी: डीएलसी टेस्ट के महत्व

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Komal Daryani
on Aug 9, 2023

Last Edit Made By Komal Daryani
on Jan 23, 2025

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डीएलसी टेस्ट यानी कि Differential Leukocyte Count Test इस टेस्ट से हमारे शरीर में टोटल वाइट ब्लड सेल्स (WBC) की काउंट कितनी है ये  पता चलता है। एक इंसान के शरीर में तीन तरह के सेल्स होते हैं रेड ब्लड सेल्स (RBC) मतलब कि लाल रक्त कोशिकाएं, वाइट ब्लड सेल्स (WBC) यानी कि सफेद रक्त कोशिकाएं और ब्लड प्लेटलेट्स (Blood Platelets)। डीएलसी वाइट ब्लड सेल्स का कॉम्पोनेंट है जिसे फाइटर सेल्स भी कहा जाता है जब हमारे शरीर में किसी भी तरह का कोई भी इंफेक्शन होता है तब WBC  एक्टिव हो जाते हैं और उस इंफेक्शन से लड़ते हैं मतलब की एक तरह से ये  फाइटर सेल्स है जो हमारे शरीर को इंफेक्शन से बचाता है। 

डब्ल्यूबीसी (WBC) हमारे शरीर में कैसे काम करते हैं?

डब्ल्यूबीसी हमारे शरीर को किसी भी तरह के खतरे से बचाते हैं ये एक तरह से फाइटर सेल्स का काम करते हैं।  हमारे शरीर में जब भी कोई इंफेक्शन होता है या जब भी कोई फॉरेन पार्टिकल्स बाहर से आता है तब हमारे शरीर में डब्ल्यूबीसी एक्टिवेट हो जाते हैं ये डब्ल्यूबीसी उन पार्टिकल्स का सामना करते हैं या उन फॉरेन पार्टिकल्स को खत्म कर देते हैं जिससे हमारे शरीर को किसी तरह की बीमारी न हो, पर काफी बार जब डब्ल्यूबीसी हमारे शरीर की रक्षा नहीं कर पाते हैं तो हमारे शरीर में बहुत गंभीर बीमारियां हो जाती हैं।

डब्ल्यूबीसी के प्रकार

  • लिम्फोसाइट
  • मोनोसाइट 
  • न्यूट्रोफिल
  • बेसोफिल्स 
  • इओसिनोफिल्स 

डीएलसी टेस्ट क्यों किया जाता है?

डीएलसी टेस्ट हमारे शरीर में टोटल वाइट ब्लड सेल्स की काउंट कितनी है ये पता करने के लिए कराया जाता है। डीएलसी टेस्ट एक जनरल स्क्रीनिंग के रूप में किया जाता है इस टेस्ट से दूसरी बीमारियों का भी पता लगाया जा सकता है,  अगर किसी को कोई  इंफेक्शन हुआ है या इंफेक्शन से होने वाली बीमारी का पता करने के लिए कराया जाता है, साथ ही ये टेस्ट बीमारी का लेवल पता करने के लिए भी कराया जाता है।

डीएलसी टेस्ट के कुछ जरूरी कारण 

बीमारी का पता करना : WBC टेस्ट खून में अलग-अलग  तरह के ल्यूकोसाइट्स यानी की (व्हाइट ब्लड सेल्स) की गिनती करता है। इस टेस्ट की  मदद से खून में अलग-अलग तरह की होने वाली  बीमारी जैसे इन्फेक्शन, एलर्जी, या अन्य असामान्य कंडीशंस का पता किया जा सकता है।

इन्फेक्शन की पहचान: WBC टेस्ट इन्फेक्शन को पहचानने में मदद कर सकता है। इन्फेक्शन के कारण व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ सकती है जिससे किस तरह का इन्फेक्शन है ये पहचान करने  में मदद मिलती है और साथ ही बीमारी के अनुसार रोगी का इलाज किया जाता है।

इम्यून सिस्टम से स्वास्थ्य का पता चलना: व्हाइट ब्लड सेल्स रक्त के इम्यून सिस्टम के जरुरी भाग होते हैं। डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट टेस्ट इम्यून सिस्टम की स्वास्थ्य को जांचने में मदद करता है, जिससे ये  पता चलता है कि किसी इंसान को किसी इन्फेक्शन या दूसरी समस्या से कितनी सुरक्षा है।

खून से जुड़ी बीमारियों की मॉनिटरिंग: डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट टेस्ट की मदद से  इंसान के खून की स्वास्थ्य की मॉनिटरिंग की जा सकती है। इससे खून से जुड़ी बीमारियों की पहचान और उनके इलाज में सुधार के लिए सही इलाज का फैसला लिया जा सकता है।

ऑपरेशन से पहले स्वास्थ्य जांच: अगर किसी इंसान को ऑपरेशन की जरूरत है, तो उससे पहले डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट टेस्ट कराना जरूरी होता है। इससे उसके खून की स्वास्थ्य की जांच की जा सकती है और ऑपरेशन के लिए तैयारी की जा सकती है।

इन सभी कारणों से, डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट टेस्ट खून और इम्यून सिस्टम की स्वास्थ्य के मॉनिटरिंग में एक जरुरी टेस्ट है जो अलग-अलग खून में  होने वाली बीमारियों और इन्फेक्शनों के ट्रीटमेंट में मदद करता है।

डीएलसी टेस्ट कैसे किया जाता है?

डीएलसी टेस्ट के लिए पहले ब्लड का सैंपल लिया जाता है फिर ब्लड सैंपल को लैब में टेस्टिंग के लिए भेजा जाता है। जिसमें डब्ल्यूबीसीएस (WBC) की संख्या को  ऑटोमेटेड मशीनों का इस्तेमाल करके गिना जाता है, साथ ही ये टेस्ट खून के अलग-अलग ल्यूकोसाइट्स संख्या का पता लगाता है जिससे बीमार इंसान के इम्यून सिस्टम की स्वस्थता का अनुमान लगाया जा सकता है। इसके बाद डीएलसी टेस्ट  की रिपोर्ट तैयार की जाती है टेस्ट के रिजल्ट के आधार पर डॉक्टर एक रिपोर्ट तैयार करते हैं जो बीमार इंसान के इलाज़ या जरुरी देखभाल के लिए मदद करता है। र् इस  रिपोर्ट से पता चलता है की इंसान के शरीर में मौजूद वाइट ब्लड सेल्स (WBC) की रेंज नार्मल है कि नहीं जो की 4000-11,000 (सेल्स /क्यूबिक मिलीमीटर ब्लड) होती है और साथ ही ये रिपोर्ट खून के अलग-अलग प्रकार के ल्यूकोसाइट्स इंसान के शरीर में कितना है यानी की मौजूदगी के प्रतिशत और दूसरी जरूरी जानकारी होती है।

डीएलसी के बढ़ने का कारण

इन्फेक्शन: आम तोर पर इन्फेक्शन के कारण व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ जाती है। इन्फेक्शन के साथ-साथ, ल्यूकोसाइट्स इंफेक्टेड जगह की ओर आकर्षित होते हैं और उन्हें ख़तम करने  का काम करते हैं।

इंफ्लेमेशन (Inflammation): कुछ ख़ास बीमारियों में, जैसे अर्थराइटिस और ब्रोंकाइटिस, के कारन शरीर के कुछ हिस्सों में इंफ्लेमेशन (सूजन) होती है। इन बीमारियों से लड़ने के लिए हमारा शरीर खून में व्हाइट ब्लड सेल्स की मात्रा बढ़ा देता हैं।

एलर्जी (Allergies): कुछ लोगों को अलग-अलग खाने के पदार्थों या मामूली चीजें से भी एलर्जी हो सकती है, जैसे कि पोलें, धूल या धूप जो व्हाइट ब्लड सेल्स के बढ़ जाने का कारण बन सकती हैं।

स्ट्रेस और अशांति (Stress and anxiety): लंबे समय तक तनाव या अशांति के अनुभव से भी व्हाइट ब्लड सेल्स की संख्या बढ़ सकती है।

ब्लड फ्लो में बदलाव: कुछ समय के लिए ब्लड फ्लो में बदलाव के कारण भी ल्यूकोसाइट्स की संख्या बढ़ सकती है। उदाहरण के लिए, जैसे की एक इंजेक्शन के कारण, रक्त के फ्लो में बदलाव हो सकता है।

इन सभी वजह से डीएलसी की बढ़ सकती है। डिफरेंशियल ल्यूकोसाइट काउंट के बढ़ने का कारण हमेशा बीमारी की गंभीरता पर निर्भर करता है। इसलिए, किसी भी ऐसी स्थिति में जब ब्लड टेस्ट  के नतीजे ठीक ना आये या असामान्य हों, तो इंसान को डॉक्टर को दिखाना चाहिए।

डीएलसी के प्रकार और नार्मल रेंज

न्यूट्रोफिल्स (Neutrophils): न्यूट्रोफिल्स व्हाइट ब्लड सेल्स के सबसे बड़े जरुरी ग्रुप हैं और इन्हें ग्रेन्यूलोसाइट्स के रूप में भी जाना जाता है। इनका जरुरी काम  इंफेक्शनों और बैक्टीरियल जैसी बीमारियों से लड़ाई करना होता है। नार्मल रेंज 2500-8000 per mm3 (55-70%)%

लिम्फोसाइट्स (Lymphocytes): लिम्फोसाइट्स व्हाइट ब्लड सेल्स के दूसरे सबसे बड़ा ग्रुप है। इन्हें टी-लिम्फोसाइट्स और बी-लिम्फोसाइट्स के रूप में अलग किया जा सकता है। टी-लिम्फोसाइट्स सेल-मीडिएटेड इम्यूनिटी के लिए जिम्मेदार होते हैं जबकि बी-लिम्फोसाइट्स एंटीबॉडी प्रोडक्शन के लिए जिम्मेदार होते हैं। नार्मल रेंज 1000-4000 per mm3 (20–40%)

मोनोसाइट्स (Monocytes): मोनोसाइट्स व्हाइट ब्लड सेल्स के तीसरा जरुरी ग्रुप हैं। ये बैक्टीरियल इंफेक्शनों और विरुसेस से लड़ने में मदद करते हैं और इन्हें "फैगोसाइट्स" भी कहा जाता है। नार्मल रेंज 100-700 per mm3 (2–8%)

एजिनोफिल्स (Eosinophils): एजिनोफिल्स व्हाइट ब्लड सेल्स के चौथा जरुरी ग्रुप हैं। ये एलर्जी और पैराजाईमेटिक (प्रोटोजोएजी) इंफेक्शनों के खिलाफ लड़ने में मदद करते हैं। नार्मल रेंज 50-500 per mm3 (1–4%)

बासोफिल्स (Basophils): बासोफिल्स व्हाइट ब्लड सेल्स के पांचवा जरुरी ग्रुप हैं। इनमें हिस्टामाइन और दूसरे केमिकल्स होते है जो एलर्जी और दूसरे इंफेक्शनों से लड़ने में मदद करते हैं। नार्मल रेंज 25-100 per mm3 (0.5-1%)

डीएलसी टेस्ट एक जरुरी टेस्ट है जो हमारे खून के व्हाइट ब्लड सेल्स (WBC) के अलग-अलग प्रकारों की गिनती करता है। ये सेल्स हमारे शरीर को इंफेक्शन और दूसरे खतरों से बचाने में मदद करते हैं और कई अलग-अलग बीमारियों के पता लगाने में भी मदद करते हैं। व्हाइट ब्लड सेल्स के बढ़ने या कम होने के अलग-अलग कारण हो सकते हैं, जिस पर डॉक्टर डीएलसी टेस्ट के रिपोर्ट के अनुसार सही इलाज का फ़ैसला करते  हैं। इसलिए, अगर आपके शरीर में कुछ अलग लगता है या अज़ीब महसूस होती है, तो आपको तुरंत डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और सही जांच और इलाज़ करवाना चाहिए।

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6 Comments

  • Fateh khan

    Oct 3, 2024 at 11:43 PM.

    Hello sir Good Morning Total W. B. C 15800 ESR 60 Platelet 82.0 S. G. P. T. (ALT) 74 hai mera mene doctor ko dikha medicine likha h SIR Koi ghabrane ki baat to nhi hai . Pichle 2 din se esa hua h

    • Myhealth Team

      Oct 4, 2024 at 5:21 PM.

      Good morning!

      Aapka Total WBC count 15800, ESR 60, platelet count 82.0, aur SGPT (ALT) 74 hai, jo kuch samasyaon ka sanket dete hain. Aapne doctor ko dikhaya hai, jo sahi hai. Unki di hui dawaiyan lena zaroori hai. Halankih yeh symptoms ghabrane wale ho sakte hain, lekin sahi treatment se aapki health sudhar sakti hai. Agar koi naya symptom ho, to turant doctor se sampark karein.

  • Rajender

    Aug 16, 2024 at 3:56 PM.

    Sar Mere dlc kam hai ulti aa rahi hai

    • MyHealth Team

      Aug 17, 2024 at 11:14 AM.

      Agar aapka DLC (Differential Leukocyte Count) kam hai aur aapko ulti aa rahi hai, to yeh kisi infection ya health issue ka sanket ho sakta hai. Is halat mein, turant doctor se salah leni chahiye taaki sahi diagnosis aur ilaaj ho sake.

  • Nakul singhal

    Jun 27, 2024 at 11:28 AM.

    Dlc bad jata hai bahut

    • MyHealth Team

      Jun 27, 2024 at 12:32 PM.

      Hi Nakul, DLC test badhne ka matlab hai ki aapke sharir mein kisi infection ya sujan ki sambhavna hai. Is par Doctor se salah lena uchit hai, jo sahi ilaj aur samasya ka pata laga sake.

  • Brajesh Kumar

    May 27, 2024 at 3:48 PM.

    Sir,mere bhai ka TLC test me 16900 aaya hai Iske liye kya karna hai our kaise sahi hoga

    • Myhealth Team

      May 28, 2024 at 7:17 PM.

      Aapke bhai ka TLC (Total Lymphocyte Count) 16,900 hai, jo ki normal range se jyada hai. Iska matalab ho sakta hai ki unka sharir samanya se adhik lymfositon ka utpadan kar raha hai, jo ki kisi tarah ke sankraman ya pratirodh ki nishchit sanket ho sakta hai. Is samasya ka mool karan janch aur nidan ke baad hi spasht hoga. Main paramarsh dena sakta hoon ki aap unhein kisi chikitsak se milne aur upayukt janch karvane ki salaah dein, jisse unka sthiti sahi se nirdharit aur samanya ho sake.

  • Deepak kumar

    May 24, 2024 at 5:05 AM.

    Good information mam

    • MyHealth Team

      May 24, 2024 at 12:39 PM.

      Hi Deepak, Thank You for Your Kind words, We are Glad You Liked it.

  • Md Ahmad raza

    Nov 26, 2023 at 8:21 AM.

    Powerful information mam

    • Myhealth Team

      Nov 29, 2023 at 1:08 PM.

      Thank you! If you have any specific questions or need more information, feel free to ask. I'm here to help!

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