Blood Culture Test in Hindi - अहम जानकारी और प्रक्रिया

Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Komal Daryani
on Jun 22, 2023
Last Edit Made By Komal Daryani
on Jan 23, 2025

किसी भी बीमारी का पता लगाने के लिए ब्लड टेस्ट कराया जाता है। लेकिन कभी-कभी डॉक्टर ब्लड कल्चर टेस्ट करने को कहते है, ब्लड कल्चर का मतलब होता है कि ब्लड में बैक्टीरिया या वायरस की खेती या पालन करना। जब रोगी में एंटीबायोटिक देने के बाद भी कोई सुधार नहीं होता, तब डॉक्टर ब्लड कल्चर टेस्ट करने को कहते हैं और उसके अनुसार मरीज को दवाइयां दी जाती है ।
ब्लड कल्चर टेस्ट क्या होता है?
किसी भी व्यक्ति के रक्त में बैक्टीरियल या फंगल इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए ब्लड कल्चर टेस्ट किया जाता है। इस टेस्ट के द्वारा डॉक्टर शरीर में पनप रहे इन्फेक्शन को सही तरीके से जान पाते हैं और उसके अनुसार दवा देकर सही इलाज कर पाते हैं।
ब्लड कल्चर क्या होता है?
ब्लड कल्चर टेस्ट में रक्त में मौजूद सूक्ष्म रोगाणु (germs) की मात्रा बढ़ाई जाती है, यानी कि उनकी खेती की जाती है। उन्हें पूरा बढ़ने का अवसर दिया जाता है ताकि रक्त में मौजूद बैक्टीरिया या फंगी किस प्रकार के हैं, यह मालूम किया जा सके। फिर सेंसिटिविटी टेस्टिंग की जाती है जिसके द्वारा यह मालूम किया जाता है कि मौजूद रोगाणु पर किस एंटीबायोटिक का असर होगा और किसका नहीं। इस तरह से डॉक्टर को सही दवा जानने में मदद मिलती है। डॉक्टर के लिए इलाज करना आसान हो जाता है और रोगी भी जल्दी स्वस्थ हो जाता है।
किन परिस्थितियों में ब्लड कल्चर टेस्ट कराया जाता है?
ब्लड कल्चर टेस्ट के द्वारा डॉक्टर को यह पता लगाने में मदद मिलती है कि व्यक्ति के शरीर में कोई ऐसा इन्फेक्शन तो नहीं पनप रहा है जिसकी वजह से पूरे शरीर में इंफेक्शन फैल रहा हो।
यदि किसी व्यक्ति के शरीर के अलग-अलग अंगों में संक्रमण हो और उस व्यक्ति में ऐसे लक्षण दिखाई दे जिससे बैक्टीरिया या फंगी के होने की संभावना हो, तब संक्रमण का पता लगाने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। यदि डॉक्टर को रोगी के रक्त में सेप्सिस (sepsis) या बैक्टीरिमिया (Bacteremia) जैसे गंभीर इन्फेक्शन के होने की संभावना नजर आती है जिसका असर शरीर के अंगों जैसे हार्ट, किडनी, फेफड़े, आंतें आदि पर पड़ता है, तब डॉक्टर ब्लड कल्चर करने के लिए कहता है। कुछ लक्षण जो रोगी में नजर आते हैं, इस प्रकार हैं:
जी मिचलाना, बुखार या ठंड लगना, थकान महसूस करना, कम पेशाब आना, दिमाग में भ्रम की स्थिति होना तथा सांस फूलना।
यदि इन्फेक्शन शरीर में बढ़ चुका है तो कुछ अन्य लक्षण भी दिखाई देते हैं। जैसे- शरीर के किसी भाग में सूजन होना, नसों में खून के छोटे-छोटे थक्के बनना, ब्लड प्रेशर कम हो जाना तथा शरीर के किसी भाग का ठीक से काम न करना या बिल्कुल काम ना करना।
यह टेस्ट तब भी कराया जाता है यदि किसी रोगी में इलाज के लिए दी गई एंटीबायोटिक दवाई देने के बाद भी कोई सुधार नहीं होता और बीमारी बनी रहती है, तब भी डॉक्टर ब्लड कल्चर करने को कहता है।
ब्लड कल्चर टेस्ट कराने से पहले
यह टेस्ट एक सामान्य रक्त जांच की तरह ही होता है इसमें पहले से किसी भी तरह की तैयारी करने की आवश्यकता नहीं होती है। लेकिन यदि आप किसी तरह के एंटीबायोटिक ले रहे हैं तो इसके बारे में डॉक्टर को बता दे तथा अपनी आखिरी खुराक लेने का समय भी बता दे। इसके साथ ही यदि आप किसी भी तरह के मल्टीविटामिन या कोई सप्लीमेंट्स का भी सेवन करते हैं तो उसके विषय में भी अपने डॉक्टर को अवश्य बताएं।
ब्लड कल्चर टेस्ट कैसे होता है?
एक चिकित्सा टेक्नीशियन हाथों में सेनिटाईज़ेड ग्लव्स पहनता है। आपकी बांह को साफ कर नस में एक पतली सूंई (syringe needle) डालकर ब्लड का एक नमूना लेता है। सही जांच के लिए दूसरी जगह से रक्त का एक नमूना ओर लिया जाता है।
रक्त के दोनों नमूनों को ब्रोथ लिक्विड के साथ एक बोतल में रखा जाता है। यह ब्रोथ लिक्विड रक्त में मौजूद जर्म्स की मात्रा बढ़ाने में मदद करता है। इसी को कल्चर कहते हैं। यहां अलग-अलग माध्यम से जर्म्स की मात्रा बढ़ाई जाती है। बैक्टीरिया या फंगी जैसे जर्म्स की ग्रोथ होने के बाद सेंसिटिविटी टेस्टिंग की जाती है जिसमें अलग-अलग एंटीबायोटिक होते हैं।
टेस्ट रिपोर्ट आने में कितना समय लगता है?
टेस्ट की रिपोर्ट को 24 घंटे में लैब से प्राप्त किया जा सकता है। लेकिन शरीर में संक्रमण किस प्रकार के बैक्टीरिया द्वारा हो रहा है इसकी पूरी जानकारी मालूम करने के लिए 48 से 72 घंटे तक का समय लग सकता है। कभी-कभी यह समय इससे अधिक भी लग सकता है। अधिकतर रक्त के नमूनों में कल्चर करने के बाद दो से तीन दिन के अंदर बैक्टीरिया दिखने लगते हैं | लेकिन कुछ ऐसे बैक्टीरिया होते हैं जिनमें 10 या इससे भी अधिक दिनों का समय लगता है और यदि फंगी है तो यह समय 30 दिन तक भी लग सकता है।
ब्लड कल्चर टेस्ट की रिपोर्ट को कैसे समझा जाता है?
ब्लड टेस्ट की रिपोर्ट कई बातों पर निर्भर करती है जैसे कि व्यक्ति की उम्र, स्वास्थ्य, लिंग, टेस्ट करने के तरीके आदि।
यदि टेस्ट की रिपोर्ट पॉजिटिव आती है तो इसका अर्थ है कि रक्त में जर्म्स मौजूद हैं, यानी के शरीर में इंफेक्शन है और अगर टेस्ट की रिपोर्ट नेगेटिव आती है, तो इसका अर्थ है कि रक्त में कोई इंफेक्शन नहीं है। कभी-कभी अधिक स्पष्टता जानने के लिए इस टेस्ट को दोबारा भी करवाया जाता है। इस रिपोर्ट की सही जानकारी प्राप्त करने के लिए डॉक्टर से परामर्श करना आवश्यक है।
हमें शरीर में हो रहे बदलाव को नजरअंदाज नहीं करना चाहिए | कभी-कभी यह लापरवाही हानिकारक भी हो जाती है। ब्लड कल्चर टेस्ट की मदद से इलाज सही और सटीक करने में मदद मिलती है। इसलिए ऐसे टेस्ट को करवाने में देरी नहीं करनी चाहिए और अपने डॉक्टर की सलाह को मानना चाहिए।
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1 Comments
Ajay Kumar
May 8, 2024 at 10:54 AM.
Blood for culture रिपोर्ट में रिजल्ट Sterile आया है तो इसका मतलब क्या है
Myhealth Team
May 9, 2024 at 6:49 PM.
"Blood for culture" रिपोर्ट में "Sterile" रिजल्ट का मतलब यह होता है कि किसी भी ब्लड सैंपल से कोई संक्रमणात्मक माइक्रोऑर्गेनिज्म नहीं मिला है। अर्थात, ब्लड सैंपल का परीक्षण साफ सुथरा है और कोई संक्रमण नहीं है। यह एक अच्छी खबर है, क्योंकि इससे संक्रमण की कोई वजह का पता चलता है और उपचार की जरूरत नहीं होती है।



