डबल मार्कर टेस्ट: (Double Marker Test in Hindi) कॉस्ट और अन्य महत्वपूर्ण बातें

Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra
Written By Srujana Mohanty
on May 23, 2022
Last Edit Made By Srujana Mohanty
on Jan 8, 2025

एक डॉक्टर आमतौर पर फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान डबल मार्कर टेस्ट निर्धारित करता है। यह एक ऐसा टेस्ट है जो बताता है की बढ़ते भ्रूण में कोई क्रोमोसोमल असामान्यताएं तो नहीं हैं। वैसे यह टेस्ट सभी महिलाओं के लिए सुझाया गया है, लेकिन 35 से अधिक उम्र की महिलाओं को विशेष रूप से इसे करने की सलाह दी जाती है क्योंकि उम्र के साथ जेनेटिक एब्नार्मेलिटीज वाले बच्चे का गर्व धारण करने का खतरा बढ़ जाता है।
चलिए देखते हैं डबल मार्कर टेस्ट क्या है और इसके परिणाम क्या हैं?
डबल मार्कर टेस्ट वास्तव में क्या है?
डबल मार्कर परीक्षण एक ऐसा टेस्ट है जो भ्रूण में बीमारियों या जन्मजात समस्याओं को देखने के लिए के लिए फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान किया जाता है। इस टेस्ट के दौरान दो प्रमुख हार्मोन के स्तर की जाँच की जाती है: फ्री बीटा ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन और गर्भावस्था से जुड़े प्लाज्मा प्रोटीन-ए। परीक्षण आमतौर पर गर्भावस्था के सप्ताह 11-14 में किया जाता है।
एक महिला को डबल मार्कर टेस्ट कब करवाना चाहिए?
अधिकांश गर्भवती महिलाओं के लिए डबल मार्क टेस्ट एक नियमित डायग्नोस्टिक असेसमेंट है। हालांकि, कुछ महिलाओं को जन्मजात विकलांग बच्चों के होने का अधिक खतरा होता है, जिसके लिए डबल मार्कर टेस्ट की आवश्यकता होती है।
- महिला की उम्र 35 वर्ष से अधिक है। जैसे-जैसे मां की उम्र बढ़ती है, भ्रूण में जन्मजात असामान्यताएं होने की संभावना अधिक होती है।
- जन्मजात विकृतियों का पारिवारिक इतिहास है।
- यदि मां को डायबिटीज है या इंसुलिन रेजिस्टेंस का पारिवारिक इतिहास है, तो भ्रूण में क्रोमोसोमल एब्नार्मेलिटीज मिल सकती हैं।
यह क्यों किया जाता है?
डबल मार्कर टेस्ट कई तरह की बीमारियों के खिलाफ भ्रूण की प्रेडिक्शन करने में काफी सफल होता है जैसे
- एडवर्ड सिंड्रोम: यह 18 के ट्राइसॉमी (क्रोमोजोम 18 की तीन कॉपी) के कारण होता है, जो सामान्य मानसिक स्वास्थ्य पर गंभीर प्रभाव डाल सकता है, जिसमें डेवलपमेंटल डिसऑर्डर्स और विभिन्न मौखिक समस्याएं शामिल हैं। इनका पता डबल मार्कर टेस्ट से लगाया जा सकता है।
- डाउन्स सिन्ड्रोम: यह क्रोमोसोम 21 की ट्राइसॉमी है। इसमें कई कॉग्निटिव, बिहेवियरल और मेडिकल परेशानियां होती हैं। परीक्षण यह निर्धारित करने में भी सहायक होता है कि क्या बच्चे को मांसपेशियों की हानि होगी, गर्दन के पीछे अत्यधिक त्वचा का विकास होगा, या छोटी गर्दन होगी।
- माइक्रोसेफली डिटेक्शन: परीक्षण भ्रूण में सिर के दोषों का पता लगा सकता है, जैसे कि माइक्रोसेफली, जिसमें सिर अविकसित और छोटा होता है। यह पटाऊ सिंड्रोम के साथ पैदा हुए शिशुओं में देखा जाता है (13 का ट्राइसॉमी)।
- माइक्रोगैनेथिया डिटेक्शन: डबल मार्कर टेस्ट से नवजात शिशुओं में असामान्य जबड़े और धनुषाकार रीढ़ के साथ माइक्रोगैथिया की सफलतापूर्वक जांच की जा सकती है।
डबल मार्कर टेस्ट की क्या कॉस्ट है?
डबल मार्कर टेस्ट अफॉर्डेबल कॉस्ट मैं हो जाता है क्योंकि यह एक साधारण गर्भावस्था परीक्षण है जो स्क्रीनिंग के लिए आवश्यक है। भारत में डबल मार्कर टेस्ट की अंतिम कॉस्ट शहर, प्रयोगशालाओं, परीक्षण की उपलब्धता और गुणवत्ता और डायग्नोस्टिक सेंटर मान्यता के आधार पर भिन्न होती है। एवरेज,लागत INR 1500 और INR 3500 के बीच हो सकती है।
विभिन्न शहरों में रेडक्लिफ लैब्स डबल मार्कर टेस्ट की कीमत
| City Name | Discounted Price |
| Delhi | ₹2249 |
| Noida | ₹2249 |
| Mumbai | ₹2249 |
| Bangalore | ₹2249 |
| Kolkata | ₹2149 |
| Pune | ₹2249 |
| Lucknow | ₹2400 |
| Ahmedabad | ₹2249 |
| Hyderabad | ₹2249 |
| Chennai | ₹2249 |
| Gurgaon | ₹2249 |
| Jaipur | ₹2400 |
| Faridabad | ₹2249 |
| Indore | ₹2400 |
| Patna | ₹2400 |
डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम?
डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम आम तौर पर दो अलग-अलग श्रेणियों में रखे जाते हैं।
| रिस्क | हॉर्मोन कंसंट्रेशन | अनुमान |
| कम रिस्क /स्क्रीन नेगेटिव | HCG का स्तर लगभग 25700-288000 mIU/ml है पीएपीपी - A 1 MoM (माध्यिका के गुणक) है | यहां हार्मोनल कंसंट्रेशन सामान्य के करीब है। क्रोमोसोमल असामान्यता वाले बच्चे की कम संभावना। |
| मध्यम से उच्च/स्क्रीन पॉजिटिव | सामान्य स्तरों से अत्यधिक | नॉन इनवेसिव प्रीनेटल टेस्टिंग या एमनियोसेंटेसिस जैसे अतिरिक्त निर्णायक परीक्षण किए जाने चाहिए |
डबल मार्कर टेस्ट कराने के फायदे ( Benefits of Getting Double marker test in Hindi )
डबल मार्कर टेस्ट गर्भवती महिलाओं के लिए महत्वपूर्ण जांच है, यह टेस्ट hCG और PAPP-A की मात्रा का पता करता है, जो यह दिखाते हैं कि बच्चे में कोई जेनेटिक समस्या है या नहीं।
1. जेनेटिक समस्याओं का पता चलता है
डबल मार्कर टेस्ट से यह पता चलता है कि बच्चे को डाउन सिंड्रोम जैसी कोई समस्या तो नहीं है।
2. जल्दी पहचान
यह टेस्ट गर्भावस्था के 11 से 14 हफ्ते के बीच किया जाता है, जिससे जल्दी पता चलता है अगर कोई समस्या हो।
3. मानसिक शांति
टेस्ट के अच्छे परिणाम से मां को मानसिक शांति मिलती है कि बच्चा स्वस्थ है।
4. मां की सेहत पर ध्यान
यह टेस्ट मां की सेहत की जानकारी भी देता है और अगर किसी और समस्या का संकेत मिलता है, तो उसका इलाज पहले से किया जा सकता है।
5. सुरक्षित तरीका
डबल मार्कर टेस्ट एक सुरक्षित रक्त परीक्षण है, जिसमें मां और बच्चे को कोई नुकसान नहीं होता।
6. आगे की योजना
अगर टेस्ट से किसी समस्या का पता चलता है, तो डॉक्टर आगे की जांच करके सही इलाज की योजना बना सकते हैं।
डबल मार्कर टेस्ट में पाई जाने वाली असामान्यताओं के संकेत (Signs of abnormalities found in double marker test in Hindi )
डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम में कुछ असामान्यताएं हो सकती हैं, जो गर्भवती महिला के लिए चिंता का कारण बन सकती हैं। ये असामान्यताएं कुछ विशेष स्वास्थ्य समस्याओं का संकेत देती हैं, जिनमें शामिल हैं:
- डाउन सिंड्रोम (Down Syndrome): यह एक जन्मजात विकार है जिसमें बच्चे का शारीरिक और मानसिक विकास सामान्य से धीमा होता है।
- ट्राईसॉमी 18 (Trisomy 18): इस विकार में भ्रूण ( fetus ) में गुणसूत्रों (chromosomes )की संख्या में असामान्यता होती है, जिससे बच्चे में गंभीर शारीरिक और मानसिक समस्याएं हो सकती हैं।
- ट्राईसॉमी 13 (Trisomy 13): इस स्थिति में भी गुणसूत्रों (chromosomes ) में असामान्यता होती है, जो गंभीर जन्म दोषों और बच्चे के जीवन की कम अवधि का कारण बन सकती है।
- न्यूरेल ट्यूब डिफेक्ट (Neural Tube Defect): इसमें भ्रूण ( fetus ) के मस्तिष्क या रीढ़ की हड्डी का विकास ठीक से नहीं होता, जिससे जन्म के बाद शारीरिक समस्याएं हो सकती हैं।
सारांश
असामान्यताओं की जल्द पहचान करने के लिए डबल मार्कर टेस्ट एक आवश्यक टेस्ट है, हालांकि यह अनिवार्य नहीं है। टेस्ट करवाने से अतिरिक्त जानकारी मिल सकती है जो आपकी गर्भावस्था की प्रगति और आपकी गर्भावस्था के समग्र प्रबंधन में मदद कर सकती है।
सामान्य प्रश्न:
1 .NT स्कैन और डबल मार्कर टेस्ट में क्या अंतर है?
एनटी स्कैन गर्भावस्था के फर्स्ट ट्राइमेस्टर के दौरान किया जाने वाला एक अन्य डायग्नोस्टिक टेस्ट है। यह एक प्रकार का अल्ट्रासाउंड है जिसमें डाउन सिंड्रोम जैसी असामान्यताओं के लिए भ्रूण की जांच की जाती है। डबल मार्कर टेस्ट की तुलना में एनटी स्कैन आमतौर पर कम प्रभावी होता है। यह वास्तविक समय में भ्रूण की छवियां उत्पन्न करता है। दूसरी ओर, डबल मार्कर टेस्ट, एक रक्त टेस्ट है जो मां के रक्त में भ्रूण में जन्मजात असामान्यताओं की तलाश करता है। आमतौर पर, स्पष्ट अंतर्दृष्टि प्राप्त करने के लिए ये दोनों टेस्ट फर्स्ट ट्राइमेस्टर में एक साथ किए जाते हैं।
2 .मुझे कितने दिनों में डबल मार्कर टेस्ट रिपोर्ट मिल जाएगी?
विभिन्न टेस्ट लैबोरेट्रीज अलग-अलग समय सीमा में टेस्ट के परिणाम प्रदान करती हैं। यदि आप रेडक्लिफ के साथ एक टेस्ट बुक करते हैं, तो आप अपने टेस्ट के 24-48 घंटों के अंदर अपनी डबल मार्कर टेस्ट रिपोर्ट छवियां प्राप्त कर सकते हैं। रेडक्लिफ फ्री होम सैंपल कलेक्शन के साथ जल्दी रिपोर्ट देने की सुविधा प्रदान करती है।
3. डबल मार्कर टेस्ट 100% सटीक है या नहीं?
नहीं, डबल मार्कर टेस्ट 100% सटीक नहीं होता। यह केवल स्क्रीनिंग परीक्षण है, जो संभावित जोखिम का संकेत देता है। अगर परिणाम असामान्य होते हैं, तो अन्य टेस्ट से इसकी पुष्टि की जाती है।
4. डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम में यदि कोई समस्या न हो, तो क्या इसका मतलब है कि बच्चा पूरी तरह स्वस्थ है?
अगर डबल मार्कर टेस्ट के परिणाम सामान्य होते हैं, तो इसका मतलब यह नहीं है कि बच्चा पूरी तरह से स्वस्थ है, बल्कि इसका मतलब है कि जोखिम कम है। किसी अन्य जन्मजात समस्या के लिए अतिरिक्त परीक्षण की आवश्यकता हो सकती है।
5. डबल मार्कर टेस्ट के बाद मुझे क्या करना चाहिए?
डबल मार्कर टेस्ट के बाद अगर परिणाम सामान्य होते हैं, तो आपको अपनी गर्भावस्था की देखभाल और डॉक्टर की सलाह के अनुसार आहार और जीवनशैली पर ध्यान देना चाहिए। यदि परिणाम असामान्य होते हैं, तो डॉक्टर से बात करें और आवश्यक परीक्षण करवाएं।
6. डबल मार्कर टेस्ट और एनआईपीटी में क्या अंतर है?
डबल मार्कर टेस्ट केवल एक स्क्रीनिंग टेस्ट है, जो संभावित जोखिम का संकेत देता है। जबकि एनआईपीटी (Non-invasive Prenatal Testing) एक अधिक सटीक और जोखिम-मुक्त रक्त परीक्षण है, जो गर्भवती महिला के रक्त से बच्चे के डीएनए का विश्लेषण करता है और क्रोमोसोमल असामान्यताओं की पहचान करता है।



