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लगले में इन्फेक्शन के लक्षण- जाने लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

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गले में इन्फेक्शन के लक्षण- जाने लक्षण, कारण और घरेलू उपचार

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Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra

Written By Muskan Taneja
on Nov 25, 2024

Last Edit Made By Muskan Taneja
on Nov 25, 2024

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गले में इन्फेक्शन के लक्षण
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Symptoms of throat infection in Hindi: क्या आपने महसूस किया है कि गले में दर्द, सूजन, और खराश जैसी समस्याएं!! यह बदलते मौसम के कारण हो सकती हैं, लेकिन ये समस्याएं तब अधिक बढ़ जाती हैं, जब आप संक्रमण या बैक्टीरिया के संपर्क में आते हैं।

यदि आप किसी ऐसे व्यक्ति के करीब जाते हैं, जो पहले से ही संक्रमित है, तो आपके गले में संक्रमण का खतरा बढ़ सकता है। यही कारण है कि यह जानना बहुत जरूरी है कि गले में संक्रमण कैसे होता है। इसके लक्षण क्या होते हैं, और इसे ठीक करने के घरेलू उपाय कौन-कौन से हो सकते हैं। आइए, इस ब्लॉग के माध्यम से इन सभी पहलुओं को विस्तार से जानते हैं।

गले में इन्फेक्शन के 5 लक्षण ( 5 Symptoms of a Throat Infection )

गले में इन्फेक्शन एक आम समस्या है जो किसी भी उम्र के व्यक्ति को हो सकती है। यह न सिर्फ गले में जलन और दर्द पैदा करता है, बल्कि अगर समय रहते इसका इलाज न किया जाए तो यह गंभीर रूप भी ले सकता है।

गले में इन्फेक्शन के लक्षण अलग-अलग तरीके से दिख सकते हैं, और हर व्यक्ति में यह लक्षण अलग-अलग होते हैं। इसलिए, इस ब्लॉग का मुख्य उद्देश्य यह है कि हम गले में इन्फेक्शन के लक्षणों को पहचानें और सही समय पर सही उपचार करवाने के महत्व को समझें।

गले में दर्द

गले में इन्फेक्शन होने पर सबसे सामान्य लक्षण गले में दर्द या जलन महसूस होना है। यह दर्द हल्के से लेकर गंभीर हो सकता है और बोलने या निगलने में कठिनाई का कारण बन सकता है।

खांसी और बुखार

अक्सर गले में इन्फेक्शन के साथ खांसी और बुखार की समस्या भी होती है। यह इन्फेक्शन वायरल या बैक्टीरियल हो सकता है, और खांसी और बुखार इसके सामान्य संकेत होते हैं।

स्वाद और गंध की कमी

गले में इन्फेक्शन होने पर अक्सर स्वाद और गंध की क्षमता प्रभावित होती है। खाने का स्वाद सही से नहीं आता और सांस में बदबू आ सकती है।

स्वर में बदलाव

गले के इन्फेक्शन से आवाज में भी बदलाव हो सकता है। अगर इन्फेक्शन गंभीर हो, तो आवाज फटी-फटी या भरी हुई महसूस हो सकती है।

सिर दर्द और मांसपेशियों में दर्द

गले में इन्फेक्शन के साथ सिर दर्द और शरीर में दर्द भी हो सकते हैं। यह बुखार के साथ सामान्य रूप से होता है।

गले में इन्फेक्शन के 5 कारण ( 5 Causes of Throat Infection ) 

हालाँकि गले में इन्फेक्शन का मुख्य कारण सर्दियों का मौसम होता है, लेकिन कुछ और भी कारण हैं जिनका ध्यान देना जरूरी और अत्यंत आवश्यक है। आइए जानते हैं गले में इन्फेक्शन के 5 मुख्य कारण, जिससे आप जानकर गले में इन्फेक्शन से बच सकते हैं!!आइए जानते हैं गले में इन्फेक्शन के 5 प्रमुख कारण:

वायरल संक्रमण

गले में इन्फेक्शन का सबसे आम कारण वायरल संक्रमण होता है। सामान्य सर्दी, फ्लू और कोविड-19 जैसी बीमारियाँ वायरल संक्रमण के कारण होती हैं। इनसे गले में सूजन, जलन, और दर्द हो सकता है।

बैक्टीरियल संक्रमण

जब गले में बैक्टीरिया जैसे स्टेफाइलोकोकस या स्ट्रेप्टोकोकस का संक्रमण हो जाता है, तो इससे गले में तेज दर्द और गले की सूजन होती है। इसे 'स्ट्रेप थ्रोट' कहा जाता है, जो एक सामान्य बैक्टीरियल इन्फेक्शन है।

एलर्जी

गले में इन्फेक्शन का एक कारण एलर्जी भी हो सकती है। धूल, धुएं, पराग या किसी खाद्य पदार्थ से एलर्जी गले की मांसपेशियों को प्रभावित कर सकती है, जिससे गला बैठ सकता है और इन्फेक्शन हो सकता है।

धूम्रपान और शराब का सेवन

धूम्रपान और अत्यधिक शराब का सेवन गले की सुरक्षा प्रणाली को कमजोर करता है, जिससे गले में इन्फेक्शन का खतरा बढ़ जाता है। यह न केवल गले के अंदरूनी हिस्से को नुकसान पहुंचाता है, बल्कि शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली को भी प्रभावित करता है।

खराब आहार और निर्जलीकरण

सही आहार और हाइड्रेशन की कमी से शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर हो सकती है। जब शरीर में पानी की कमी होती है, तो गले की म्यूकस मेम्ब्रेन सूख जाती है, जिससे गले में इन्फेक्शन होने का खतरा बढ़ जाता है।

गले के इन्फेक्शन को ठीक करने के 7 घरेलू उपाय ( गले के संक्रमण को ठीक करने के घरेलू उपाय  )

आइए जानते हैं कुछ ऐसे उपायों के बारे में जो गले के इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद कर सकते हैं:

गर्म पानी और नमक से गरारे

गरम पानी में नमक डालकर गरारे करने से गले की सूजन और दर्द में राहत मिलती है। नमक में एंटीसेप्टिक गुण होते हैं, जो बैक्टीरिया और वायरस को नष्ट करने में मदद करते हैं।

शहद और अदरक का मिश्रण

शहद और अदरक का सेवन गले की खराश और इन्फेक्शन को कम करने में मदद करता है। अदरक में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जबकि शहद गले को सुकून प्रदान करता है। इसे गर्म पानी में मिला कर पिएं।

तुलसी के पत्ते

तुलसी के पत्तों में एंटीऑक्सीडेंट्स और एंटीबैक्टीरियल गुण होते हैं जो गले के इन्फेक्शन को दूर करने में मदद करते हैं। आप तुलसी के पत्तों को उबाल कर इसका काढ़ा बना सकते हैं या ताजे पत्तों को चबाकर भी खा सकते हैं।

लहसुन का सेवन

लहसुन में एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुण होते हैं, जो गले के इन्फेक्शन को ठीक करने में मदद करते हैं। लहसुन का एक या दो कच्चे लौंग खा सकते हैं या इसे शहद के साथ सेवन कर सकते हैं।

गर्म पानी में नींबू का रस

नींबू में विटामिन C भरपूर मात्रा में होता है, जो इन्फेक्शन से लड़ने में मदद करता है। गर्म पानी में नींबू का रस और शहद मिला कर पिएं। यह गले को ठंडक देने के साथ-साथ इन्फेक्शन को भी कम करता है।

सेल्फ-मासाज और गर्म सिकाई

गले और गर्दन के आसपास हल्का मसाज करने से रक्त संचार बेहतर होता है और दर्द में राहत मिलती है। इसके बाद गीले कपड़े से गर्म सिकाई भी कर सकते हैं।

पानी की अधिकता

गले के इन्फेक्शन में शरीर को हाइड्रेटेड रखना बहुत जरूरी है। ज्यादा पानी पीने से गला साफ रहता है और इन्फेक्शन को जल्दी ठीक होने में मदद मिलती है।

FAQ

क्या गले के इन्फेक्शन में डॉक्टर के पास जाना जरूरी है?

यदि गले का इन्फेक्शन 3-4 दिनों से अधिक समय तक बना रहे, या बुखार बढ़ जाए, या निगलने में बहुत परेशानी हो, तो डॉक्टर से सलाह लेनी चाहिए। यह बैक्टीरियल इन्फेक्शन हो सकता है, जिसे एंटीबायोटिक्स की जरूरत हो सकती है।

क्या गले के इन्फेक्शन के दौरान तला हुआ खाना खाना ठीक है?

गले के इन्फेक्शन के दौरान तला हुआ और मसालेदार खाना खाने से गले में और अधिक जलन हो सकती है। इस समय हल्का और सादा भोजन करना बेहतर होता है।

गले के इन्फेक्शन से बचने के लिए क्या करना चाहिए?

गले के इन्फेक्शन से बचने के लिए हाथों को बार-बार धोना, व्यक्तिगत स्वच्छता बनाए रखना, ठंडी चीजों से बचना, और अपनी इम्यूनिटी को मजबूत रखना जरूरी है।

क्या गले के इन्फेक्शन में गर्म दूध पीना फायदेमंद है?

गर्म दूध में हल्दी या शहद मिलाकर पीने से गले की सूजन और खराश में राहत मिल सकती है। यह प्राकृतिक एंटीबैक्टीरियल और एंटीवायरल गुणों से भरपूर होता है।

गले के इन्फेक्शन में क्या चिकित्सकीय उपचार उपलब्ध हैं?

यदि गले के इन्फेक्शन के कारण बैक्टीरियल संक्रमण हो, तो एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता हो सकती है। डॉक्टर आपके लक्षणों के आधार पर उचित उपचार निर्धारित करेंगे।

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