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Jaundice Meaning in Hindi: जानें जॉन्डिस के लक्षण, कारण, और उपचार

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Jaundice Meaning in Hindi: जानें जॉन्डिस के लक्षण, कारण, और उपचार

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Meenakshi
on Apr 29, 2024

Last Edit Made By Meenakshi
on Apr 29, 2024

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Jaundice
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पीलिया क्या है? (Jaundice Meaning in Hindi)

Jaundice जिसे हिंदी में पीलिया, कहा जाता है | एक आम स्वास्थ्य समस्या है जिसमें त्वचा और आँखों का रंग पीला हो जाता है | पीलिया या जॉन्डिस एक ऐसी स्थिति है जिसमें रक्त में बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है, जिससे रक्त की सफेदी में पीलापन दिखाई देता है। 

इससे शरीर की त्वचा, मुँह, नखून, और आंखों का पीला होना शुरू हो जाता है। अधिकतम मामलों में, यह तब होता है जब हेमोग्लोबिन के उत्पादन में समस्या होती है

क्यों होता है पीलिया (Jaundice ) ? क्या है पीलिया के लक्षण ? पीलिया (जॉन्डिस) में क्या खाएं, और कोन से खाने से करे परहेज? आज ये सभी प्रश्नो के उत्तर हम आपको अपने ब्लॉग के माध्यम से देंगे |

क्यों होता है पीलिया (Jaundice causes

पीलिया (जॉन्डिस) कई विभिन्न कारणों से हो सकता है, जो शरीर में बिलीरुबिन के स्तर को बढ़ा देते हैं। बिलीरुबिन एक प्रकार का पिगमेंट है जो लाल रक्त को गुलाबी मसूढ़े में परिणत करता है

कुछ प्रमुख कारण निम्नलिखित हैं:

लिवर की समस्याएं: लिवर के किसी भी रोग जैसे कि हेपेटाइटिस, सिरोसिस, और लिवर संक्रमण की वजह से पीलिया हो सकता है। इन समस्याओं के कारण लिवर बिलीरुबिन को निष्कासित करने में समर्थ नहीं होता है, जिससे इसका स्तर बढ़ जाता है।

गलब्लैडर समस्याएँ: गलब्लैडर से संबंधित समस्याएँ जैसे कि पथरी और कैंसर भी पीलिया का कारण बन सकती हैं। जब गलब्लैडर में बिलीरुबिन का सही से प्रसार नहीं होता, तो यह शरीर में जमा हो जाता है।

रक्त की समस्याएँ: कुछ रक्त की बीमारियाँ भी पीलिया का कारण बन सकती हैं।

अल्पाहार या भूख की कमी: अगर आप खाना कम खाते हैं या भूख नहीं लगती, तो यह भी पीलिया का कारण बन सकता है।

आणविक कारण: कुछ आणविक कारण भी हो सकते हैं, जैसे कि जन्म से होने वाली विकृति या पाचन तंत्र की समस्याएँ।

क्या है पीलिया के लक्षण? (Jaundice Symptoms)

पीलिया के लक्षण व्यक्ति के शारीरिक और मानसिक स्वास्थ्य को प्रभावित कर सकते हैं। ये लक्षण अलग-अलग लोगों में अलग-अलग तरीके से प्रकट हो सकते हैं और उनकी गंभीरता भी विभिन्न हो सकती है।

त्वचा और आँखों का पीलापन: जॉन्डिस के लक्षण में सबसे प्रमुख लक्षण है त्वचा और आँखों का पीलापन। यह लक्षण उस समय प्रकट होता है जब बिलीरुबिन का स्तर शरीर में बढ़ जाता है और इसे रक्त में अधिक मात्रा में बनाने वाले किडनी के कारण निकाला नहीं जा पाता। इससे त्वचा और आँखों का पीलापन दिखाई देता है। यह लक्षण सबसे पहले पहचाना जाता है और इसे नजरअंदाज नहीं किया जाना चाहिए।

पेट में दर्द या सूजन: कुछ लोगों को पीलिया होने पर पेट में दर्द या सूजन की समस्या हो सकती है। यह सूजन पेट के निचले हिस्से में या ऊच्च अवस्थित पेटाखी में हो सकता है और अक्सर तेज़ या तकलीफदेह होता है। इसके साथ ही, पेट में दर्द की समस्या भी हो सकती है | 

पाचन संबंधी समस्याएं: जॉन्डिस के साथ, पाचन संबंधी समस्याएं हो सकती हैं। उल्टियाँ, दस्त, या पेट में गैस की समस्या का सामान्य अनुभव होता है। यह सामान्य लक्षण होते हैं जो पीलिया के साथ हो सकते हैं।

चक्कर आना या उलझन: जॉन्डिस के माध्यम से, चक्कर आने का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण अक्सर शारीरिक तंगी या संतुलन के बदलाव के कारण हो सकता है और कई बार व्यक्ति को अस्थिर महसूस होता है।

बुखार या थकान: बुखार और थकान की समस्या हो सकती है। इसके साथ ही, यह समस्याएं व्यक्ति को कमजोर और थका-हारा महसूस करा सकती हैं, जो दिनचर्या को प्रभावित कर सकता है।

पेट में खुजली: जॉन्डिस के लक्षणों में से एक और सामान्य लक्षण है पेट में खुजली का अनुभव। खुजली का कारण बिलीरुबिन के उच्च स्तर की वजह से होता है, जो त्वचा में बदलावों को उत्पन्न कर सकता है।

मूत्र में गहरा रंग: जब बिलीरुबिन का स्तर बढ़ जाता है, तो मूत्र का रंग भी गहरा हो जाता है। मूत्र का रंग गहरा पीला या गहरा हलका हो सकता है, और इसे जॉन्डिस का एक प्रमुख संकेत माना जाता है।

पोतास्सियम या अवसादन: जॉन्डिस के लक्षणों में से एक और हो सकता है पोतास्सियम या अवसादन की समस्या। यह लक्षण उत्पन्न होता है जब शरीर में बिलीरुबिन के स्तर में बढ़ाव होता है और शरीर के ऊतकों को ठीक से काम करने की क्षमता में कमी आती है।

बालों और नाखूनों में पीलापन: जॉन्डिस के माध्यम से, बालों और नाखूनों में भी पीलापन का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण त्वचा के पीलापन के साथ हो सकता है या अलग-अलग रूप में दिख सकता है।

कमर में दर्द या असहनीयता: कुछ लोगों को पीलिया होने पर कमर में दर्द या असहनीयता का अनुभव हो सकता है। यह लक्षण गैलब्लैडर या किडनी के संबंधित समस्याओं के कारण हो सकता है।

यदि आपको इनमें से किसी भी लक्षण का अनुभव होता है, तो डॉक्टर से संपर्क करें और सही निदान और उपचार के लिए सलाह लें।

पीलिया (जॉन्डिस) में क्या खाएं, और कोन से खाने से करे परहेज?

पीलिया (जॉन्डिस) में सही आहार और उपचार की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। यहाँ पीलिया में सेहतमंद खाने और परहेज़ के बारे में कुछ महत्वपूर्ण सुझाव हैं:

क्या खाएं:

पर्याप्त पानी: पीलिया में पर्याप्त पानी पीना बेहद महत्वपूर्ण होता है। यह शरीर के बिलीरुबिन को शुद्ध करने में मदद करता है और शरीर को हाइड्रेटेड रखता है।

प्रोटीन-रिच आहार: अच्छे प्रोटीन स्रोत जैसे कि दूध, दही, पनीर, अंडे, मछली, दालें, और सोया उत्पादों को अपने आहार में शामिल करें।

सब्जियाँ और फल: ताज़ा सब्जियाँ और फल जैसे कि पपीता, आम, सेब, केला, गाजर, खीरा, और पालक जॉन्डिस के मरीज़ों के लिए उपयोगी होते हैं।

अजवाइन: अजवाइन पेट संबंधी समस्याओं को दूर करने में मदद कर सकता है।

प्राकृतिक औषधि: घरेलू नुस्खे जैसे कि काली मिर्च, गर्म पानी और शहद मिश्रित पानी, नारियल पानी, और काला नमक जॉन्डिस के इलाज में मदद कर सकते हैं।

परहेज़:

अल्कोहल: पीलिया में अल्कोहल से दूर रहें, क्योंकि यह लिवर को अधिक बुरी तरह से प्रभावित कर सकता है।

अजीनोमोटो: अजीनोमोटो जैसे प्रकार के पैकेटेड खाद्य पदार्थों से बचें, क्योंकि इसमें अधिक मात्रा में नमक होता है जो लिवर को अत्यधिक प्रभावित कर सकता है।

बाहर का खाना: तला हुआ, फ्राइड, या अत्यधिक तेलीय खाना पीलिया में सही नहीं होता है।

ऊपरी तेल: घी, मक्खन, तेल, और अन्य ऊपरी तेलों का उपयोग कम करें।

ऊपरी मिठाई: अत्यधिक मिठाई और तले हुए खाद्य पदार्थों का सेवन न करें।

पीलिया के इलाज के साथ-साथ सही आहार भी महत्वपूर्ण है, लेकिन इससे पहले आपको अपने चिकित्सक से परामर्श करना चाहिए।

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