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Pregnancy Test in Hindi: तरीका, परिणाम और महत्व

Pregnancy Test

Pregnancy Test in Hindi: तरीका, परिणाम और महत्व

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Medically Reviewed By
Dr. Geetanjali Gupta

Written By Sheena Mehta
on Aug 27, 2024

Last Edit Made By Sheena Mehta
on Aug 27, 2024

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Pregnancy Test in Hindi: तरीका, परिणाम और महत्व
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प्रेगनेंसी टेस्ट एक ऐसा टेस्ट है जिसका उपयोग प्रेगनेंसी की पुष्टि (Confirmation) करने के लिए किया जाता है। इससे पता चलता है कि किसी महिला के गर्भवती होने की संभावना है या नहीं। प्रेगनेंसी टेस्ट गर्भवती महिला के मूत्र या रक्त में एक विशेष हॉर्मोन, ह्यूमन कॉरियोनिक गोनाडोट्रॉपिन (HCG) की उपस्थिति को मापते हैं। HCG का प्रोडक्शन प्रेगनेंसी के दौरान होता है और इसके लेवल का माप कर के प्रेगनेंसी का पता लगाया जा सकता है। 

अगर आपको भी लग रहा है की आपके पीरियड्स मिस हो गए है तो आप भी अपना प्रेगनेंसी टेस्ट करवाएं और यदि आपको इसकी जानकारी नहीं है तो आज का यह ब्लॉग Pregnancy test in Hindi आपके बहुत काम आएगा। 

प्रेगनेंसी टेस्ट क्या है? 

गर्भावस्था परीक्षण करके यह पता लगाया जाता है की कोई महिला प्रेग्नेंट है या नहीं अगर किसी महिला को लग रहा है की उसके पीरियड्स मिस हो गए है और वो प्रेग्नेंट है तो उन्हें प्रेगनेंसी टेस्ट करके चेक करना चाहिए। प्रेगनेंसी टेस्ट में HCG (ह्यूमन कोरियोनिक गोनाडोट्रोपिन) हार्मोन का टेस्ट किया जाता है। यह हार्मोन गर्भवती महिलाओं के मूत्र या ब्लड में पाया जाता है। जब अंडाणु पुरुष के शुक्राणु के साथ मिल जाता है और गर्भवती होने की स्थिति बनती है तो शरीर HCG हार्मोन का प्रोडक्शन करता है।

प्रेगनेंसी टेस्ट में किस हार्मोन के स्तर की जाँच की जाती है?

प्रेगनेंसी टेस्ट में HCG की बढ़ी हुई क्वांटिटी का पता लगाया जाता है। HCG लेवल तेजी से बढ़ता है जो की गर्भावस्था के पहले हफ्तों में थोड़े दिनों में दोगुना हो जाता है। प्लेसेंटा एचसीजी का प्रोडक्शन करता है। केवल गर्भवती महिलाओं में ही प्लेसेंटा होता है जो एक निषेचित अंडे के आपकी गर्भाशय की दीवार से जुड़ता है जिसके तुरंत बाद विकसित होता है।

प्रेगनेंसी टेस्ट के प्रकार

  1. यूरिन टेस्ट मूत्र परीक्षण: यह टेस्ट घर पर आसानी से किया जा सकता है। इसमें टेस्ट के स्ट्रिप पर यूरिन की कुछ बूंदें डालकर HCG हार्मोन की उपस्थिति की जाँच की जाती है। यदि हार्मोन मौजूद होता है तो रिजल्ट पॉजिटिव होता है।
  2. ब्लड टेस्ट: यह टेस्ट लैब में किया जाता है और यह ज्यादा सटीक होता है। इसमें दो प्रकार के ब्लड टेस्ट होते हैं
  3. क्वालिटेटिव टेस्ट: ये टेस्ट सिर्फ यह बताता है कि क्या HCG हार्मोन मौजूद है या नहीं।
  4. क्वांटिटेटिव टेस्ट: यह HCG हार्मोन की क्वांटिटी को मापता है, जिससे प्रेगनेंसी की स्थिति के बारे में ज्यादा जानकारी मिलती है।
  5. होम प्रेगनेंसी टेस्ट: होम प्रेगनेंसी टेस्ट का उपयोग महिलाएं प्रेगनेंसी की संभावना की जाँच के लिए घर पर ही कर सकती हैं। यह टेस्ट बहुत ही सरल और सुविधाजनक होता है।

होम प्रेगनेंसी टेस्ट के काम करने का तरीका:

टेस्ट की विधि: आप सुबह के समय पहली बार पेशाब करने के बाद टेस्ट करते हैं क्योंकि सुबह की पहली पेशाब में HCG की क्वांटिटी ज्यादा होती है।

टेस्ट स्ट्रिप या किट: टेस्ट किट में एक स्ट्रिप या कार्ड होता है, जिस पर पेशाब डालनी होती है। इसके बाद कुछ मिनटों में रिजल्ट सामने आता है। 

टेस्ट का रिजल्ट:

Positive (सकारात्मक): यदि दो लाइनें (एक कण्ट्रोल और एक टेस्ट लाइन) दिखाई देती हैं, तो इसका मतलब है कि आप प्रेग्नेंट हो सकती हैं।

Negative (नकारात्मक): यदि केवल एक कण्ट्रोल लाइन दिखाई देती है, तो इसका मतलब है कि आप प्रेग्नेंट नहीं हैं।

Invalid (अवैध): अगर कोई भी लाइन नहीं आती है या लाइनें धुंधली होती हैं, तो टेस्ट का रिजल्ट मान्य नहीं हो सकता और आपको टेस्ट को दोबारा करने की सलाह दी जाती है।

यदि प्रेगनेंसी टेस्ट पॉजिटिव आता है, तो अपनी प्रेगनेंसी की पुष्टि के लिए आप डॉक्टर से संपर्क करें और आगे के लिए उचित कदम उठाएं।

प्रेगनेंसी के लक्षण 

प्रेगनेंसी के लक्षण हर व्यक्ति में अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन कुछ सामान्य गर्भावस्था के लक्षण में शामिल हैं।

  • मिस्ड पीरियड: ये प्रेगनेंसी के लक्षण में सबसे आम शुरुआती लक्षण है। यदि आपकी मासिक धर्म चक्र नियमित है और अचानक बंद हो जाता है, तो यह प्रेगनेंसी का संकेत हो सकता है।
  • मतली और उल्टी: इसे अक्सर "सुबह की बीमारी" कहा जाता है। प्रेगनेंसी के शुरुआती महीनों में मतली और उल्टी की समस्या हो सकती है, जिसे अक्सर मॉर्निंग सिकनेस कहा जाता है, हालांकि यह दिन के किसी भी समय हो सकती है।
  • ब्रेस्ट में बदलाव: ब्रेस्ट कोमल, सूजे हुए या दर्द वाले हो सकते हैं और काले पड़ सकते हैं।
  • थकावट: गर्भावस्था के दौरान हार्मोनल बदलावों के कारण थकावट और एनर्जी की कमी महसूस हो सकती है। असामान्य रूप से थकान महसूस होना।
  • बार-बार पेशाब आना: पेशाब बार - बार आती है खासकर शुरुआती स्टेज में।
  • मूड स्विंग्स: हार्मोनल उतार-चढ़ाव के कारण मूड स्विंग्स होते हैं।
  • ऐंठन: पीरियड्स की ऐंठन के समान हल्की ऐंठन।
  • सिरदर्द: हार्मोनल बदलाव के कारण सिरदर्द हो सकता है।
  • कब्ज: हार्मोनल बदलावों के कारण पाचन तंत्र पर असर पड़ सकता है, जिससे कब्ज या गैस की समस्या हो सकती है।
  • बार-बार पेशाब आना: गर्भावस्था के दौरान बढ़ती गर्भाशय की वजह से पेशाब ज्यादा बार आ सकती है।
  • खाना या गंध के प्रति संवेदनशीलता: कुछ महिलाएं गर्भावस्था के दौरान कुछ विशेष खाद्य पदार्थों और गंधों के प्रति संवेदनशील हो सकती हैं।
  • अधिक वेट गेन या पेट का बढ़ना: गर्भावस्था के दौरान पेट का आकार बढ़ता है और वजन बढ़ सकता है।
  • आवश्यकता से ज्याद नींद: थकावट और हार्मोनल बदलावों के कारण ज्यादा नींद आ सकती है।

यदि किसी के मन में कोई सवाल है कि वे प्रेग्नेंट हैं तो होम प्रेगनेंसी टेस्ट करने और हेल्थ केयर प्रोवाइडर से सलाह लेने से पुष्टि और आगे के लिए सलाह मिल सकती है।

प्रेगनेंसी टेस्ट करने का सही समय

प्रेगनेंसी टेस्ट करने का सबसे अच्छा समय आपके पीरियड्स चूकने के बाद होता है। सबसे सटीक रिजल्ट्स के लिए आपका पीरियड टाइम छूटने के बाद कम से कम एक सप्ताह तक इंतजार करने के लिए कहा जाता है। बहुत जल्दी टेस्ट करने पर रिजल्ट गलत हो सकता है क्योंकि प्रेगनेंसी हार्मोन (एचसीजी) का लेवल पता लगाने के लिए तब हार्मोन ज्यादा नहीं हो सकता है।

सुबह सबसे पहले जब यूरिन सबसे अधिक गाढ़ी हो तो टेस्ट करने से भी सटीकता में सुधार हो सकता है। सुबह के समय पहला मूत्र (early morning urine) सबसे सटीक होता है, क्योंकि इसमें HCG की मात्रा अधिक होती है।

यदि आपको नेगेटिव रिजल्ट मिलता है लेकिन फिर भी लग रहा है कि आप गर्भवती हो सकती हैं तो कुछ दिन रुके और फिर से टेस्ट करें। यदि प्रेगनेंसी टेस्ट रिजल्ट पॉजिटिव आता है, तो यह प्रेगनेंसी का संकेत होता है। लेकिन किसी भी सवाल के लिए डॉक्टर से सलाह लेना हमेशा अच्छा होता है।

Conclusion:

अगर आपको जरा सा भी संदेह है की आप प्रेग्नेंट है तो अपना प्रेगनेंसी टेस्ट जरूर करवाएं आप चाहे तो पहले घर पर भी प्रेगनेंसी टेस्ट करके चेक कर सकती है। अगर रिजल्ट invalid है फिर भी संदेह बना हुआ है तो डॉक्टर से प्रेगनेंसी टेस्ट करवाएं। रिजल्ट आने पर आगे क्या करना है इसके बारे में अपने डॉक्टर या अपने किसी साथी से बात करें। 

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