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Torch Test in Hindi: टॉर्च टेस्ट क्या है, कैसे और क्यों किआ जाता है

Lab Test In Hindi

Torch Test in Hindi: टॉर्च टेस्ट क्या है, कैसे और क्यों किआ जाता है

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Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra

Written By Komal Daryani
on Apr 29, 2024

Last Edit Made By Komal Daryani
on Apr 29, 2024

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Torch Test in Hindi
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टॉर्च टेस्ट एक तरह का स्क्रीनिंग टेस्ट है। जब एक प्रेग्नेंट महिला को किसी बैक्टीरिया का इन्फेक्शन हो जाता है तो ये इन्फेक्शन गर्भ में पल रहे बच्चे को भी हो सकता है। इस इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए ही टॉर्च टेस्ट किया जाता है। प्रेगनेंसी के 3 से 4 महीनों के समय में भ्रूण को जल्दी इन्फेक्शन होने के चांसेस रहते हैं। और ये टेस्ट शिशु में टॉर्च इन्फेक्शन का पता लगाने के लिए किया जाता है।

टॉर्च टेस्ट क्या है 

टॉर्च स्क्रीन से प्रेग्नेंट महिलाओं में इन्फेक्शन का पता लगाया जाता है। क्योंकि प्रेगनेंसी के समय भ्रूण में इन्फेक्शन फ़ैल सकता है। तो इस टेस्ट से इन्फेक्शन का तुरंत पता करके उसका इलाज करके नवजात शिशुओं में कॉम्पलीकेशन को रोका जा सकता है। अगर किसी महिला में प्रेगनेंसी के समय कुछ बीमारियों के सिंप्टोम्स दिखाई देते हैं तो ये दूसरे एजेंट्स को भी पैदा कर सकते हैं। ये बीमारियां नाल को पार कर सकती हैं और नवजात शिशु में जन्म दोष पैदा कर सकती हैं। 

टॉर्च बीमारियों के बारे में जाने 

टॉर्च टेस्ट उन इन्फेक्शन का इलाज करने में मदद करता है जो प्रेगनेंसी के समय अजन्मे बच्चे को नुकसान पहुंचा सकते हैं। TORCH में पांच अलग-अलग इन्फेक्शन का एक छोटा रूप है।

टोक्सोप्लाज़मोसिज़: टोक्सोप्लाज़मोसिज़ एक परजीवी के कारण होने वाला इन्फेक्शन है। ये परजीवी बिल्ली के मल से निकलता है। अजन्मे बच्चों में जन्म से ही टोक्सोप्लाज़मोसिज़ हो सकता है। अगर इसका इलाज न किया जाये तो बौद्धिक विकलांगता, अंधापन, बहरापन और दौरे भी पड़ सकते हैं।

सिफलिस के साथ दूसरे: सिफलिस यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infection) है जो प्रेगनेंसी के समय मां से अजन्मे बच्चे में फैल सकता है। सिफलिस के कारण बच्चा मृत पैदा हो सकता है। इससे जन्म के समय बच्चे का कम वजन, समय से पहले जन्म होना, बहरापन और जन्म दोष भी हो सकता है।

रूबेला: रूबेला एक तरह का वायरल इन्फेक्शन है। जिसे जर्मन खसरा भी कहा जाता है। ये इन्फेक्शन छींकने या खांसने से एक आदमी से दूसरे आदमी में आसानी से फैल सकता है। आज के समय में रूबेला ज्यादा कॉमन नहीं है। क्योंकि इसकी वैक्सीन है जो इससे बचाती है। लेकिन फिर भी प्रेग्नेंट महिला लोगों से इन्फेक्टेड होकर ये वायरस अजन्मे बच्चे तक पहुंचा सकती है। रूबेला के कारण मिसकैरेज, समय से पहले बच्चे का जन्म या मृत बच्चे का जन्म हो सकता है। इससे शिशु के हार्ट, आईसाइट, सुनने की क्षमता में भी समस्याएं हो सकती हैं।

साइटोमेगालोवायरस (सीएमवी): ये एक तरह का हर्पीस वायरस है। ये इन्फेक्शन जन्म से ही फैलता है। महिलाओं में ये सेक्सुअल कांटेक्ट या शारीरिक तरल पदार्थ जैसे सीएमवी वाले व्यक्ति की लार के कांटेक्ट में आने से सीएमवी से इंफेक्शन हो सकता है। साइटोमेगालोवायरस शिशुओं में लम्बे समय की समस्याएं पैदा कर सकता है। जैसे आईसाइट प्रॉब्लम, सुनने में परेशानी और मेन्टल डेवलपमेंट से जुड़ी समस्याएं।

हर्पीस सिम्प्लेक्स: हर्पीस सिम्प्लेक्स वायरस किसी इन्फेक्टेड आदमी के साथ सेक्सुअल कांटेक्ट से प्रेग्नेंट महिला में फ़ैल सकता है। यदि मां इन्फेक्टेड है तो ये वायरस डिलीवरी के समय बच्चे में फैल सकता है। शिशुओं में एचएसवी से जन्म के समय बच्चे का कम कम वजन, मिसकैरेज होना और समय से पहले भी बच्चे का जन्म हो सकता है साथ ही आंखों और मुंह में घाव हो सकते हैं और बच्चे के दिमाग और अंगों को नुकसान हो सकता है।

बच्चे को टॉर्च संक्रमण कैसे होता है 

बच्चे के शरीर में तीन तरह से टॉर्च इन्फेक्शन फ़ैल सकता है।

डिलीवरी के समय: जन्म के समय जन्म नहर (birth canal) से निकलने पर बच्चा टॉर्च इंफेक्शन से इन्फेक्टेड हो सकता है।

जन्म के बाद: जो महिलाएं ब्रेस्टफीडिंग करवाती है तो दूध के थ्रू भी बच्चे को इन्फेक्शन हो सकता है।

प्लेसेंटा से: प्रेगनेंसी के समय कुछ बीमारियां आपके ब्लड फ्लो से प्लेसेंटा के थ्रू बच्चे के ब्लड में पहुंच जाती हैं। प्लेसेंटा बच्चे को ऑक्सीजन, न्यूट्रिएंट्स और ब्लड प्रोवाइड करता है।

टॉर्च टेस्ट कैसे करते है 

हेल्थ केयर प्रोवाइडर टॉर्च टेस्ट में ब्लड का सैंपल लेते हैं। ब्लड को आपकी बांह की नस से लिया जाता है। इसके लिए आपको लैब जाना होगा। और एक फ्लेबोटोमिस्ट आपका ब्लड निकालेंगे। वो उस जगह को साफ़ करेंगे जहां से ब्लड निकालना है। और एक सुई की मदद से ब्लड को निकालेंगे। ब्लड को एक ट्यूब या एक छोटे कंटेनर में इकट्ठा करेंगे। ब्लड निकालने की वजह से उस जगह पर आपको तेज चुभन महसूस हो सकती है। इस तरह ब्लड सैंपल ले लिया जाता है।

टॉर्च टेस्ट रिजल्ट का क्या मतलब है

टॉर्च टेस्ट का रिजल्ट जेंडर, हेल्थ हिस्ट्री, उम्र पर डिपेंड करता है। जिससे की इसका रिजल्ट अलग हो सकता है। साथ ही टेस्ट का रिजल्ट लैब के अकॉर्डिंग भी अलग - अलग हो सकते हैं। हेल्थ केयर प्रोवाइडर से पूछे कि आपके टेस्ट रिजल्ट का क्या मतलब है।

टॉर्च टेस्ट के रिजल्ट बताते हैं कि क्या आपको इनमें से कोई भी इन्फेक्शन है। टेस्ट का रिजल्ट नार्मल है तो इसका मतलब है की आपको किसी तरह का वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी नहीं है। टेस्ट का रिजल्ट पॉजिटिव है तो इसका मतलब है की आपको इनमें से 1 या ज्यादा वायरस, बैक्टीरिया या परजीवी हैं।

टॉर्च इन्फेक्शन के लक्षण 

टॉर्च इन्फेक्शन में कुछ इस तरह के लक्षण शामिल होते हैं।

  • जन्म के समय बच्चे का कम वजन
  • बुखार आना, सुस्ती बनी रहना
  • छोटे लाल या भूरे धब्बे होना 
  • खाने में परेशानी
  • माइक्रोसेफली (एक छोटा सिर)
  • पेटेंट डक्टस आर्टेरीओसस (पीडीए)
  • पीलिया होना 
  • मोतियाबिंद होना 
  • नीले या बैंगनी रंग के धब्बे (ब्लूबेरी रैश)
  • सुनने की क्षमता कम 
  • हेपटॉप्लेनोमेगाली (लिवर का बढ़ना)

2 साल की उम्र के बाद टॉर्च इन्फेक्शन में ये सिंप्टोम्स शामिल हो जाते हैं।

  • सीखने में कठिनाई 
  • सुनने की क्षमता में कमी
  • विज़न कम होना 
  • दौरे आना 

Conclusion

टॉर्च टेस्ट, इन्फेक्शन को पैदा करने वाले रोगजनक की पहचान करने में मदद करता है की ये रोगजनक है या नहीं। ये रोग यौन संचारित संक्रमण (sexually transmitted infection) और अनचाही परेशानी का कारण बनते हैं। प्रेगनेंसी से जुड़ी परेशानी को रोकने के लिए टॉर्च टेस्ट किया जाता है। इससे अजन्मे बच्चे या नवजात शिशु को हेल्थ से जुड़ी बीमारियों और कठिनाई से बचाया जा सकता है।

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