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प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test in Hindi): महत्व, प्रक्रिया और सामान्य स्तर

Lab Test In Hindi

प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test in Hindi): महत्व, प्रक्रिया और सामान्य स्तर

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Medically Reviewed By
Dr Divya Rohra

Written By Komal Daryani
on Nov 28, 2024

Last Edit Made By Komal Daryani
on Nov 28, 2024

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प्रोलैक्टिन टेस्ट (Prolactin Test in Hindi): महत्व, प्रक्रिया और सामान्य स्तर
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प्रोलैक्टिन टेस्ट एक खून की जांच है, जिससे शरीर में प्रोलैक्टिन नामक हार्मोन के स्तर का पता लगाया जाता है। यह हार्मोन मुख्य रूप से पिट्यूटरी ग्लैंड (पीनियल ग्रंथि) द्वारा बनाया जाता है और इसका मुख्य काम महिलाओं में दूध उत्पादन को नियंत्रित करना है।

हालांकि, प्रोलैक्टिन हार्मोन का महत्व सिर्फ स्तनपान तक सीमित नहीं है। यह पुरुषों और महिलाओं दोनों में अन्य कार्यों को भी प्रभावित करता है, जैसे प्रजनन क्षमता, मासिक धर्म चक्र, और सेक्स हार्मोन का संतुलन। अगर शरीर में प्रोलैक्टिन का स्तर सामान्य से अधिक या कम हो, तो यह कई स्वास्थ्य समस्याओं का कारण बन सकता है।

प्रोलैक्टिन हार्मोन क्या है?

प्रोलैक्टिन हार्मोन मुख्य रूप से महिलाओं में प्रेग्नेंसी और स्तनपान के दौरान सक्रिय होता है। इसका काम मां के शरीर में दूध उत्पादन को बढ़ाना है। हालांकि, यह हार्मोन पुरुषों और गैर-गर्भवती महिलाओं में भी पाया जाता है और निम्नलिखित कार्य करता है:

  1. महिलाओं में:
    • मासिक धर्म चक्र को नियमित रखना।
    • प्रजनन क्षमता को बनाए रखना।

  2. पुरुषों में:
    • टेस्टोस्टेरोन हार्मोन का संतुलन बनाए रखना।
    • शुक्राणु उत्पादन में मदद करना।

प्रोलैक्टिन टेस्ट क्यों किया जाता है?

डॉक्टर निम्नलिखित स्थितियों में प्रोलैक्टिन टेस्ट की सलाह देते हैं:

1. महिलाओं में:

  • मासिक धर्म में गड़बड़ी।
  • प्रेग्नेंसी में दिक्कत या बांझपन।
  • गर्भावस्था के बिना स्तनों से दूध निकलना।
  • लंबे समय तक सिरदर्द या धुंधला दिखना (पिट्यूटरी ग्लैंड से संबंधित समस्याओं का संकेत)।

2. पुरुषों में:

  • सेक्स ड्राइव (कामेच्छा) में कमी।
  • इरेक्टाइल डिसफंक्शन (लिंग की समस्या)।
  • टेस्टोस्टेरोन का स्तर कम होना।

3. सभी के लिए:

  • पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर का संदेह।
  • थायरॉइड से जुड़ी समस्याएं।
  • लगातार तनाव या डिप्रेशन।

प्रोलैक्टिन टेस्ट की प्रक्रिया

यह एक साधारण खून की जांच है, जिसमें निम्नलिखित स्टेप्स शामिल हैं:

  1. टेस्ट से पहले की तैयारी:
    • टेस्ट आमतौर पर सुबह के समय किया जाता है, क्योंकि उस समय प्रोलैक्टिन का स्तर सबसे ज्यादा होता है।
    • टेस्ट से एक दिन पहले भारी व्यायाम, तनाव, या ज्यादा शारीरिक गतिविधि से बचें।
    • टेस्ट से कम से कम 8-12 घंटे पहले कुछ न खाएं।
  2. ब्लड सैंपल लेना:
    • डॉक्टर या लैब तकनीशियन आपकी बांह से खून का सैंपल लेते हैं।
    • यह प्रक्रिया 5-10 मिनट में पूरी हो जाती है।
  3. परिणाम:
    • सैंपल की जांच के बाद 24-48 घंटे में परिणाम मिल जाता है।

प्रोलैक्टिन टेस्ट के सामान्य स्तर

महिलाओं में:

  • गैर-गर्भवती महिलाओं में: 4.8 से 23.3 नैनोग्राम/मिलीलीटर (ng/mL)।
  • गर्भवती महिलाओं में: 34 से 386 ng/mL।

पुरुषों में:

  • सामान्य स्तर: 2.1 से 17.7 ng/mL।

बच्चों में:

  • 3 से 20 ng/mL।

प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ने के कारण (हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया)

अगर प्रोलैक्टिन का स्तर सामान्य से अधिक हो, तो इसे हाइपरप्रोलैक्टिनेमिया कहते हैं। इसके कारण निम्नलिखित हो सकते हैं:

  1. पिट्यूटरी ग्लैंड में ट्यूमर (प्रोलैक्टिनोमा):
    • यह ट्यूमर प्रोलैक्टिन का अत्यधिक उत्पादन करता है।

  2. थायरॉइड की समस्या:
    • हाइपोथायरॉइडिज्म में प्रोलैक्टिन का स्तर बढ़ सकता है।

  3. दवाइयों का असर:
    • कुछ एंटीडिप्रेसेंट, एंटीप्साइकोटिक दवाएं, और ब्लड प्रेशर की दवाएं।

  4. गर्भावस्था और स्तनपान:
    • इन स्थितियों में प्रोलैक्टिन का स्तर स्वाभाविक रूप से बढ़ा होता है।

  5. किडनी या लिवर की समस्या।

प्रोलैक्टिन का स्तर कम होने के कारण

प्रोलैक्टिन का स्तर सामान्य से कम होना भी समस्याएं पैदा कर सकता है। इसके कारण निम्न हो सकते हैं:

  1. पिट्यूटरी ग्लैंड का सही से काम न करना।
  2. कुछ हार्मोनल असंतुलन।
  3. अत्यधिक तनाव।

प्रोलैक्टिन टेस्ट के फायदे

  • यह हार्मोन असंतुलन की पहचान करने में मदद करता है।
  • महिलाओं में बांझपन या मासिक धर्म की समस्याओं का कारण पता चलता है।
  • पिट्यूटरी ग्लैंड से संबंधित बीमारियों का निदान करने में सहायक है।
  • थायरॉइड या अन्य हार्मोनल गड़बड़ियों का पता लगाने में मदद करता है।

प्रोलैक्टिन लेवल को संतुलित रखने के उपाय

1. संतुलित आहार लें:

  • ताजे फल, सब्जियां, और प्रोटीन से भरपूर आहार लें।
  • जंक फूड और शुगर का सेवन कम करें।

2. तनाव को कम करें:

  • ध्यान और योग करें।
  • पर्याप्त नींद लें।

3. दवाइयों का सही इस्तेमाल:

  • डॉक्टर की सलाह के बिना कोई भी दवा न लें।

4. शारीरिक गतिविधि बढ़ाएं:

  • नियमित व्यायाम से हार्मोन संतुलित रहते हैं।

निष्कर्ष

प्रोलैक्टिन टेस्ट हार्मोनल समस्याओं का पता लगाने का एक महत्वपूर्ण तरीका है। यह महिलाओं और पुरुषों दोनों में प्रजनन स्वास्थ्य और हार्मोनल संतुलन को समझने में मदद करता है। अगर आपको मासिक धर्म की अनियमितता, गर्भधारण में दिक्कत, या सेक्स ड्राइव में कमी जैसी समस्याएं हो रही हैं, तो प्रोलैक्टिन टेस्ट कराना फायदेमंद हो सकता है।

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