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MP Test in Hindi: मलेरिया की जांच और इसके महत्व

Lab Test In Hindi

MP Test in Hindi: मलेरिया की जांच और इसके महत्व

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Medically Reviewed By
Prof. Ashok Rattan

Written By Komal Daryani
on Aug 24, 2024

Last Edit Made By Komal Daryani
on Sep 16, 2024

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MP Test in Hindi
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MP टेस्ट क्या है?

मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है जो लाखों लोगों की जान लेती है। इसे पकड़ने के लिए डॉक्टर एमपी टेस्ट का इस्तेमाल करते हैं। एमपी टेस्ट यानी (Malaria Parasite Test) है। मलेरिया परजीवी टेस्ट एक ऐसी जांच है जो बताती है कि आपके खून में मलेरिया के कीटाणु हैं या नहीं। यह टेस्ट बहुत आसान और तेज होता है। इसमें डॉक्टर आपकी उंगली या कान से एक बूंद खून लेते हैं। फिर इस खून को एक काँच की पट्टी पर फैलाकर एक खास रंग से रंगते हैं। यह रंग मलेरिया के कीटाणुओं को अलग दिखने में मदद करता है। फिर एक विशेषज्ञ माइक्रोस्कोप से इस खून की जांच करता है। वह देखता है कि खून में मलेरिया के कीटाणु हैं या नहीं, और अगर हैं तो कितने हैं। यह जानकारी डॉक्टरों को यह तय करने में मदद करती है कि मरीज को मलेरिया है या नहीं, और अगर है तो कितना गंभीर है। एमपी टेस्ट मलेरिया का पता लगाने का सबसे आसान और सस्ता तरीका है, इसलिए दुनिया भर में इसका बहुत इस्तेमाल होता है।

MP टेस्ट क्यों जरूरी है?

मलेरिया एक खतरनाक बीमारी है जो मच्छरों से फैलती है। यह गर्भवती माँ से बच्चे में भी जा सकती है। इसके लक्षण आमतौर पर 1-3 हफ्ते में दिखते हैं, पर कभी-कभी एक साल तक भी छिपे रह सकते हैं।

  • सटीक निदान: मलेरिया के लक्षण कई अन्य बीमारियों से मिलते-जुलते हो सकते हैं। MP टेस्ट सटीक निदान सुनिश्चित करता है।
  • समय पर इलाज: जल्दी निदान से समय पर इलाज शुरू किया जा सकता है, जो जान बचाने में मदद कर सकता है।
  • उचित दवा का चयन: मलेरिया के अलग- अलग तरह के लिए अलग-अलग दवाएं होती हैं। MP टेस्ट से सही दवा चुनने में मदद मिलती है।
  • अनावश्यक दवाओं से बचाव: अगर टेस्ट नेगेटिव आता है, तो मरीज को अनावश्यक एंटी-मलेरिया दवाओं से बचाया जा सकता है।

मलेरिया के मुख्य लक्षण:

  • तेज बुखार और ठंड लगना
  • सिरदर्द और शरीर में दर्द
  • कमजोरी और थकान
  • उल्टी और मतली
  • एनीमिया (खून की कमी)
  • लिवर का बढ़ना
  • कुछ गंभीर मामलों में, मलेरिया दिमाग को भी नुकसान पहुंचा सकता है।

जो लोग मलेरिया वाले इलाकों में रहते हैं, उनके शरीर में इस बीमारी से लड़ने की ताकत बढ़ जाती है। लेकिन अगर वे किसी दूसरी जगह चले जाएं, तो यह ताकत कम हो सकती है।

एमपी टेस्ट इस बीमारी का पता लगाने का एक अच्छा तरीका है। अगर आपको ऊपर बताए गए लक्षण हों, या आप मलेरिया वाले इलाके से आए हों, तो यह टेस्ट जरूर करवाएं। जल्दी पता चलने से इलाज में मदद मिलती है और बीमारी ज्यादा बढ़ने से रुक जाती है।

एमिलेस परीक्षण किसके लिए निर्धारित है?

एमिलेस परीक्षण उन व्यक्तियों को निर्धारित किया जा सकता है जो हैंः

  • गॉलब्लैडर में पथरी 
  • शराब का ज्यादा सेवन
  • पेट की सर्जरी ओबीस/ मोटापा
  • ट्रामा (Trauma)
  • खून में कैल्शियम का उच्च स्तर 
  • ओवरएक्टिव पैराथायरायड ग्रंथियां
  • खून में ट्राइग्लिसराइड्स का उच्च स्तर
  • बार-बार संक्रमण से पीड़ित होना 
  • डिप्रेशन या तनाव 

MP टेस्ट कैसे किया जाता है?

MP टेस्ट की प्रक्रिया निम्नलिखित चरणों में होती है:

  • रक्त का नमूना लेना: मरीज की उंगली या कान की लो से एक छोटा सा रक्त का नमूना लिया जाता है।
  • स्लाइड तैयार करना: इस रक्त की एक पतली परत को काँच की स्लाइड पर फैलाया जाता है।
  • रंग लगाना: रक्त के नमूने को विशेष रंग से रंगा जाता है जो मलेरिया परजीवी को अलग दिखाता है।
  • माइक्रोस्कोपिक जांच: प्रशिक्षित तकनीशियन माइक्रोस्कोप के नीचे इस स्लाइड की जांच करते हैं।
  • परिणाम की व्याख्या: तकनीशियन परजीवियों की उपस्थिति, उनकी संख्या और प्रकार का निर्धारण करते हैं।

MP टेस्ट किसे कराना चाहिए?

  • मलेरिया के लक्षण वाले व्यक्ति: बुखार, ठंड लगना, पसीना आना, सिरदर्द, मांसपेशियों में दर्द जैसे लक्षण होने पर।
  • मलेरिया प्रभावित क्षेत्रों की यात्रा करने वाले: अगर आप हाल ही में किसी ऐसे क्षेत्र की यात्रा कर के आए हैं जहां मलेरिया आम है।
  • गर्भवती महिलाएं: गर्भावस्था में मलेरिया अधिक खतरनाक हो सकता है, इसलिए संदिग्ध मामलों में तुरंत जांच जरूरी है।
  • कमजोर प्रतिरक्षा प्रणाली वाले व्यक्ति: HIV/AIDS या अन्य बीमारियों के कारण जिनकी प्रतिरक्षा प्रणाली कमजोर है।
  • मलेरिया के इलाज के दौरान: यह देखने के लिए कि इलाज प्रभावी हो रहा है या नहीं।

MP टेस्ट के परिणाम

MP टेस्ट के परिणाम दो तरह के हो सकते हैं:

  • नेगेटिव: अगर रक्त के नमूने में कोई मलेरिया परजीवी नहीं पाया जाता।
  • पॉजिटिव: अगर रक्त के नमूने में मलेरिया परजीवी पाए जाते हैं। इस स्थिति में, रिपोर्ट में परजीवी की प्रजाति और संख्या का भी उल्लेख किया जाता है।

याद रखें, एक नेगेटिव परिणाम पूरी तरह से मलेरिया की संभावना को खारिज नहीं करता। कभी-कभी परजीवियों की संख्या इतनी कम हो सकती है कि वे माइक्रोस्कोप से न दिखाई दें। इसलिए अगर लक्षण बने रहते हैं, तो डॉक्टर कुछ दिनों बाद फिर से टेस्ट करवा सकते हैं।

MP टेस्ट की सीमाएं

हालांकि MP टेस्ट मलेरिया के निदान का एक प्रभावी तरीका है, फिर भी इसकी कुछ सीमाएं हैं:

  • कम संवेदनशीलता (Low sensitivity): अगर रक्त में परजीवियों की संख्या बहुत कम है, तो वे इस टेस्ट में नजर नहीं आ सकते।
  • विशेषज्ञता की आवश्यकता (Expertise required): इस टेस्ट के लिए अनुभवी तकनीशियनों की जरूरत होती है जो सही से परजीवियों की पहचान कर सकें।
  • समय लेने वाला: ये टेस्ट समय लेने वाला हो सकता है, खासकर जब बड़ी संख्या में नमूनों की जांच करनी हो।
  • संक्रमण के शुरुआती चरण में कम प्रभावी: संक्रमण के बिल्कुल शुरुआती चरण में परजीवियों की संख्या इतनी कम हो सकती है कि वे इस टेस्ट में न दिखाई दें।

MP टेस्ट या मलेरिया परीक्षण मलेरिया के निदान और प्रबंधन में एक जरूरी भूमिका निभाता है। ये एक सरल लेकिन प्रभावी टेस्ट है जो समय पर और सटीक निदान प्रदान करता है। हालांकि, जैसे हर चिकित्सा परीक्षण की अपनी सीमाएं होती हैं, वैसे ही इस टेस्ट की भी कुछ सीमाएं हैं। अगर आपको मलेरिया के लक्षण महसूस हो रहे हैं या आप हाल ही में किसी मलेरिया प्रभावित क्षेत्र की यात्रा करके आए हैं, तो तुरंत अपने डॉक्टर से संपर्क करें। वे आपकी स्थिति का मूल्यांकन करेंगे और आवश्यकता पड़ने पर MP टेस्ट की सलाह देंगे। याद रखें, मलेरिया एक गंभीर बीमारी है, लेकिन समय पर निदान और उचित इलाज से इसे प्रभावी ढंग से नियंत्रित किया जा सकता है। 

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