Creatinine Test in Hindi: जानें इसके महत्व और उपयोग
Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma
Written By Kirti Saxena
on Mar 27, 2024
Last Edit Made By Kirti Saxena
on Apr 1, 2024
क्रिएटिनिन एक तरह का वेस्ट मटेरियल होता है। यह तब बनता है जब शरीर के कुछ मांसपेशी ऊतक टूट जाते हैं। हर इंसान के ब्लड में क्रिएटिनिन होता है। Creatinine test बहुत समय से चल रहे किडनी रोग, किडनी विकार की स्क्रीनिंग, किडनी फ़ैल होना यह जांचने के लिए किया जाता है। इसके अलावा हार्ट और लिवर से जुड़ी बीमारी से किडनी पर क्या प्रभाव पड़ता है इसकी जांच के लिए भी क्रिएटिनिन टेस्ट किया जाता है। इसे क्रिएटिनिन सीरम टेस्ट के नाम से भी जानते हैं।
क्रिएटिनिन टेस्ट क्या है
क्रिएटिनिन टेस्ट यह जाँचता है कि किडनी ब्लड से वेस्ट मटेरियल को फ़िल्टर करने का काम सही से कर रही है या नहीं। स्वस्थ गुर्दे ब्लड से क्रिएटिनिन को फ़िल्टर करते हैं। जो यूरिन के साथ शरीर से वेस्ट मटेरियल के रूप में बाहर निकल जाता है। Creatinine test ब्लड और यूरिन के सैंपल से क्रिएटिनिन के लेवल को मापता है। किडनी में किसी तरह की समस्या होने पर ब्लड में क्रिएटिनिन बनने लगता है और जो यूरिन में कम रिलीज हो सकता है। अगर खून में या यूरिन में क्रिएटिनिन का लेवल नार्मल नहीं होता है और बहुत ज्यादा होता है तो यह एक तरह से किडनी की बीमारी की ओर इशारा करता है।
क्रिएटिनिन क्लीयरेंस के नार्मल लेवल क्या हैं?
क्रिएटिनिन क्लीयरेंस भी क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट की तरह ही एक टेस्ट है। जो किडनी फंक्शन को estimate करने के लिए उपयोग किया जाता है। इस टेस्ट से पता चलता है की किडनी किसी फिक्स टाइम पीरियड में क्रिएटिनिन को कितनी अच्छी तरह फ़िल्टर करते हैं। ब्लड सैंपल के बजाय, क्रिएटिनिन क्लीयरेंस 24 घंटे के यूरिन सैंपल में क्रिएटिनिन की माप और उसी समय लिए गए ब्लड सैंपल से निर्धारित किया जाता है।
उम्र के अनुसार क्रिएटिनिन क्लीयरेंस की नॉर्मल वैल्यू कुछ इस तरह होती है।
- 18 से 29 साल की उम्र के लोगों में 78 से 161 एमएल/मिनट/बीएसए क्रिएटिनिन क्लीयरेंस
- 30 से 39 साल की उम्र के लोगों में 72 से 154 एमएल/मिनट/बीएसए क्रिएटिनिन क्लीयरेंस
- 40 से 49 साल की उम्र के लोगों में वर्ष 67 से 146 एमएल/मिनट/बीएसए क्रिएटिनिन क्लीयरेंस
- 50 से 59 साल की उम्र के लोगों में 62 से 139 एमएल/मिनट/बीएसए क्रिएटिनिन क्लीयरेंस
- 60 से 72 साल की उम्र के लोगों में 56 से 131 एमएल/मिनट/बीएसए क्रिएटिनिन क्लीयरेंस
नार्मल क्रिएटिनिन लेवल कितना होता है
वयस्क पुरुषों में नार्मल क्रिएटिनिन लेवल 0.7 से 1.3 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर (डीएल) और वयस्क महिलाओं में 0.6 से 1.1 मिलीग्राम प्रति डेसीलीटर होता है। अलग - अलग लैब में जाँच करने पर इसके मान में नार्मल अंतर हो सकता है।
एक किडनी वाले व्यक्ति का क्रिएटिनिन लेवल 1.8 या 1.9 हो सकता है। क्रिएटिनिन लेवल उम्र के हिसाब से भी अलग-अलग होता है क्योंकि वयस्कों की तुलना में बच्चों और शिशुओं में क्रिएटिनिन स्तर कम होता है।
क्रिएटिनिन टेस्ट क्यों किया जाता है
डॉक्टर आपको आगे बताये गए कारणों की वजह से क्रिएटिनिन टेस्ट करने के लिए बोल सकते हैं।
- भूख ना लगना
- रूखी त्वचा, खुजली होना या सुन्नता
- नींद ना आने की समस्या
- हाथों और पैरों में सूजन या पलकों में सूजन
- सांस लेने में कठिनाई आना
- थकान रहना
- मांसपेशियों में ऐंठन होना
- पेशाब कम या ज्यादा होना
- अचानक वज़न घटना
इसके अलावा नीचे दिए गए कारण भी क्रिएटिनिन टेस्ट करने की वजह बनते हैं।
- किडनी की बीमारी का ट्रीटमेंट करना या ट्रीटमेंट में कितनी प्रोग्रेस हो रही है उसे मॉनिटर करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है।
- अगर आपको किडनी की बीमारी के लक्षण है तो इसका निदान करने के लिए किडनी ट्रांसप्लांट के फंक्शन को मॉनिटर करने के लिए किया जाता है।
- यदि आपको डायबिटीज, हाई ब्लड प्रेशर या ऐसी स्थितियां हैं जो किडनी रोग के खतरे को बढ़ाती हैं, तो ऐसे में किडनी की बीमारी की जांच करने के लिए यह टेस्ट करते हैं।
- दवाओं के साइड इफेक्ट्स को मॉनिटर करना जिनमें किडनी के डैमेज या किडनी फंक्शन में बदलाव शामिल हो सकता है।
क्रिएटिनिन लेवल कैसे मापते हैं
क्रिएटिनिन लेवल को ब्लड या यूरिन में मापते हैं। किडनी फंक्शन का बिल्कुल सही माप इस कैलकुलेशन से लगाया जाता है कि किडनी शरीर से कितना क्रिएटिनिन फ़िल्टर कर रही है। इसे क्रिएटिनिन क्लीयरेंस कहा जाता है।
क्रिएटिनिन क्लीयरेंस इन दो तरीकों से मापी जाती है।
क्रिएटिनिन लेवल को सीरम (ब्लड) की मदद से रोगी के वजन और उम्र का उपयोग करके एक फार्मूला से कैलकुलेट किया जाता है। इसका फार्मूला यह होता है की मरीज की जो उम्र होती है उतने साल को किलोग्राम में उसके वजन से गुणा करके 140 से घटा दिया जाता है (महिलाओं के लिए 0.85 गुणा) जिसे एमजी/डीएल में सीरम क्रिएटिनिन लेवल के 72 गुना से डिवाइड किया जाता है।
क्रिएटिनिन क्लीयरेंस को 24 घंटे का यूरिन सैंपल इकट्ठा करके और ब्लड सैंपल को डायरेक्ट मापा जा सकता है। यूरिन और ब्लड दोनों में क्रिएटिनिन लेवल को डिफाइन और तुलना की जाती है।
क्रिएटिनिन टेस्ट से पहले की तैयारी
वैसे तो आपको कुछ ख़ास नहीं करना है पर डॉक्टर आपको बताएंगे कि क्रिएटिनिन टेस्ट से पहले क्या करना चाहिए और क्या नहीं। टेस्ट के 24 घंटे पहले तक मांस न खाने के लिए कहा जा सकता है। क्योंकि मांस क्रिएटिनिन लेवल को बढ़ा सकता है। यह आपके eGFR रिजल्ट को प्रभावित कर सकता है। साथ ही टेस्ट के कुछ देर पहले भी आपको कुछ भी ना खाने पिने की सलाह दी जाती है।
अगर क्रिएटिनिन को सीएमपी या बीएमपी टेस्ट के हिस्से के रूप में मापा जा रहा है, तो टेस्ट से पहले 12 घंटे तक कुछ भी खाना या पीना नहीं है। कुछ दवाएं और सप्लीमेंट्स भी टेस्ट के रिजल्ट को प्रभावित कर सकते हैं। इसलिए आप जो भी दवाएं लेते हैं उनके बारे में को जरूर बताये। जब तक आपको डॉक्टर इन दवाओं को लेने से मना नहीं करें तब तक दवाएं बंद नहीं करनी चाहिए।
क्रिएटिनिन टेस्ट रिस्क
क्रिएटिनिन ब्लड टेस्ट में बहुत कम जोखिम होता है। एक छोटी सुई की मदद से आपकी बांह की नस से थोड़ा सा ब्लड लिया जाएगा। सुई से हल्की सी चुभन महसूस हो सकती है। जहां सुई लगाई गई थी वहां हल्का दर्द हो सकता है जो की थोड़ी ही देर में ठीक भी हो जाता है। इस टेस्ट में पांच मिनट से भी कम समय लगता है।
Conclusion
किडनी की बहुत सी बिमारियों की जांच करने के लिए यह टेस्ट किया जाता है। अगर आपको भी किडनी से जुड़ी कोई बीमारी है या पहले से आपका किडनी की बिमारी का इलाज चल रहा है तो आपको क्रिएटिनिन टेस्ट करवाना चाहिए। ताकि आपको पता रहे की आपके इलाज में कितना फायदा हो रहा है।