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लो बीपी: सामान्य स्तर, बीपी का स्तर कैसे पता करें, लो बीपी का प्राकृतिक रूप से इलाज करने के घरेलू उपाय - MyHealth

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लो बीपी: सामान्य स्तर, बीपी का स्तर कैसे पता करें, लो बीपी का प्राकृतिक रूप से इलाज करने के घरेलू उपाय

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Prekshi Garg
on Jun 6, 2022

Last Edit Made By Prekshi Garg
on Mar 18, 2024

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Low BP Normal Range, How to Detect, How to Treat Naturally at Home
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लो बीपी को हाइपोटेंशन (hypotension) के नाम से भी जाना जाता है। हाइपोटेंशन (hypotension) प्रणालीगत रक्तचाप (systemic blood pressure) में कमी के कारण होता है। स्वीकृत निम्न मान से नीचे रक्तचाप के मानों को लो बीपी माना जाता है।

वैसे तो लो बीपी का कोई सार्वभौमिक रूप (universally) से स्वीकृत मान नहीं है लेकिन इसका व्यापक रूप से स्वीकृत और काल्पनिक मान है 90/60 और इस मान से कम रक्त दबाव को लो बीपी माना जाता है।

आमतौर पर यह देखा गया है कि हाइपोटेंशन (hypotension) एक गुप्त स्थिति है और इसका मुख्य रूप से निदान नहीं किया जाता है क्योंकि यह एक लक्षण विहीन (asymptomatic) स्थिति है। इसका निदान केवल तभी किया जाता है जब किसी अन्य स्थिति का परीक्षण किया जाता है और रक्तचाप के स्तर को नियमित स्तर से कम मापा जाता है। कम रक्तचाप तब चिंता का विषय बन जाता है जब रक्त पंप करने का दबाव पर्याप्त नहीं है और महत्वपूर्ण अंग ऑक्सीजन युक्त रक्त (oxygen-rich blood) से वंचित हैं।

रक्तचाप का विनियमन (blood pressure regulation)

स्वायत्त तंत्रिका तंत्र (autonomic nervous system) रक्तचाप के नियमन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रक्तचाप के नियमन के दौरान सहानुभूति तंत्रिका तंत्र (sympathetic nervous system) और पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (parasympathetic nervous system) का संतुलन बना रहता है।

सहानुभूति तंत्रिका तंत्र (parasympathetic nervous system) रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जाना जाता है क्योंकि यह धमनियों (arteries) को संकुचित (narrow) कर हृदय गति (heart rate) को बढ़ाता है।

पैरासिम्पेथेटिक तंत्रिका तंत्र (parasympathetic nervous system) रक्तचाप को काफी कम कर देता है क्योंकि यह धमनी (arteries) को शिथिल (relaxation) करता है जिस से रक्त वाहिकाएं ( blood vessel) का व्यास (diameter) बढ़ जाता है परिणामस्वरूप रक्तचाप में कमी आ जाती है।

लो बीपी या हाइपोटेंशन के विभिन्न प्रकार (different Types of Low BP or Hypotension)

रक्तचाप या हाइपोटेंशन (hypotension) दो प्रकार के होते हैं:

#1. एब्सोल्यूट हाइपोटेंशन (Absolute hypotension): ब्लड प्रेशर जो 90/60 एमएमएचजी (पारा का मिलीमीटर) से नीचे होता है, एब्सोल्यूट हाइपोटेंशन (absolute hypotension) कहलाता है।

#2. ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension): यदि व्यक्ति के बैठने या लेटने की स्थिति से खड़े होने के तीन मिनट के भीतर रक्तचाप कम हो जाता है तो इसे ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) के रूप में जाना जाता है। डायस्टोलिक (निचला) दबाव  में 20 एमएमएचजी या उससे अधिक जबकि सिस्टोलिक दबाव में 10 एमएमएचजी या उससे अधिक की गिरावट को ऑर्थोस्टेटिक हाइपोटेंशन (Orthostatic hypotension) माना जाता है। इस प्रकार के हाइपोटेंशन को पोस्टुरल हाइपोटेंशन (postural hypotension) के रूप में भी जाना जाता है क्योंकि यह मुद्रा में परिवर्तन से जुड़े होते हैं।

रक्तचाप को कैसे मापे? (How To Measure Blood Pressure?)

रक्तचाप की माप में सिस्टोलिक (systolic) और डायस्टोलिक (diastolic) रक्तचाप को मापना शामिल है।

#1. सिस्टोलिक ब्लड प्रेशर (Systolic Blood Pressure)

जब भी दिल धड़कता है तो धमनियों (arteries) पर पड़ने वाले दबाव को सिस्टोलिक दबाव (Systolic pressure) कहा जाता है। सिस्टोलिक दबाव (Systolic pressure) को मापने के लिए चिकित्सक पारा आधारित (mercury-based) बीपी उपकरण का उपयोग करते है जो हाथ पर दबाव बनाता है जिसकी मदद से चिकित्सक सिस्टोलिक दबाब को माप पाते है|

#2. डायस्टोलिक रक्तचाप (Diastolic Blood Pressure)

दिल की धड़कन के बीच धमनियों में दबाव के माप को डायस्टोलिक रक्तचाप (Diastolic Blood Pressure) कहा जाता है। चिकित्सक डायस्टोलिक दबाव (Diastolic pressure) को मापने के लिए नाड़ी की जांच करते है जब बीपी तंत्र का क्लफ (cleft) डिफ्लेट (deflated) हो जाता है। इसलिए, डायस्टोलिक दबाव (Diastolic pressure) वह माप है जो चिकित्सक द्वारा क्लफ डिफ्लेट के रूप में नाड़ी की जांच से मापा जाता है।

आजकल तकनीको में विकास की मदद से, आधुनिक ब्लड प्रेशर मशीनें उपलब्ध हैं जो रक्तचाप की जांच को आसान बनाता हैं।

लो बीपी के कुछ लक्षण (Some symptoms of low BP)

जैसा कि हम पहले बात कर चुके है की कम रक्तचाप लक्षण विहीन (asymptomatic) है। लेकिन कुछ ऐसे संकेत हैं जिन पर ध्यान देने से लो बीपी की समस्या का संकेत मिल सकता हैं। इसमें हल्कापन और चक्कर आना शामिल है। कम रक्तचाप की स्थिति में कई रोगी बेहोश जो जाते है।

कम रक्तचाप के कई अन्य संबंधित लक्षण हैं, इन संबंधित लक्षणों में छाती में दर्द, सांस फूलना या सांस लेने में तकलीफ, अतालता (arrhythmia) या अनियमित दिल की धड़कन, और कभी-कभी 101 डिग्री फ़ारेनहाइट से अधिक बुखार, गंभीर से मध्यम सिरदर्द, कठोर गर्दन और पीठ दर्द, लगातार ऊपरी पीठ दर्द, गीली खांसी, दस्त , मतली (nausea), डिसुरिया (dysuria), थकान, जैसे लक्षण शामिल हैं।

कुछ कारक जो रक्तचाप को प्रभावित करते है (Some factors that affect blood pressure)

बीपी को प्रभावित करने वाले कुछ कारक के नाम है

  • चिकित्सा का इतिहास (medical history)
  • आयु
  • आनुवंशिक कारक

निम्न और उच्च रक्तचाप में क्या अंतर् हैं (What is the difference between low and high blood pressure)

हाइपोटेंशन (Hypotension) और हाइपरटेंशन (hypertension) दो विपरीत स्थितियां हैं।

  • हाइपरटेंशन (hypertension): जब रक्तचाप 120/90 से ज्यादा होता है तो उसे उच्च रक्तचाप या हाइपरटेंशन (hypertension) के रूप में भी जाना जाता है
  • हाइपोटेंशन (Hypotension) : जब रक्तचाप 90/60 से कम होता है तो उसे निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन (Hypotension) के रूप में जाना जाता है

आहार और जीवनशैली में बदलाव करे और लो बीपी का इलाज करे (Adop dietary and lifestyle changes and treat low BP)

आपके रक्तचाप को नियंत्रित करने में आपकी मदद करने के लिए आहार एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है। रक्तचाप को सामान्य बनाए रखने के लिए यह महत्वपूर्ण है कि आप अपने लक्षणों और अपने रक्तचाप की निगरानी करें ताकि उन आहार परिवर्तनों को स्पष्ट किया जा सके जो रक्तचाप को सामान्य करने में मदद करते हैं।

अगर आपको नहीं पता की लो बीपी में क्या करें (what to do in low Blood Pressure) तो निचे सूचीबद्ध किये पंक्तियों को ध्यान से पढ़े

  • लो बीपी के इलाज के लिए अधिक तरल पदार्थ पीने की सलाह दी जाती है क्योंकि निर्जलीकरण (dehydration) से रक्त की मात्रा में कमी आती है। इसके परिणामस्वरूप रक्तचाप सामान्य स्तर से कम हो जाता है। इसलिए चिकित्सक अधिक तरल पदार्थ पीने की सलाह देते हैं। साथ ही चिकित्सक शारीरिक व्यायाम के दौरान निर्जलीकरण (dehydration) से बचने की भी सलाह देते है|
  • लो बीपी के इलाज के लिये विटामिन बी-12 से भरपूर खाद्य पदार्थों का सेवन करने की सलाह दी जाती है। विटामिन बी-12 की कमी से एक निश्चित प्रकार का एनीमिया होता है, जिसके परिणामस्वरूप निम्न रक्तचाप और थकान होती है। जिन खाद्य पदार्थों में विटामिन बी -12 की अच्छी मात्रा होती है उनमें अंडे, मांस आदि शामिल हैं। शाकाहारी लोग आहार के माध्यम से बी -12 की कमी को पूरा करने के लिए टोफू (tofu) और फोर्टिफाइड अनाज (fortified cereals) को अपने आहार में शामिल कर सकते हैं।
  • वह खाद्य पदार्थ जिस में उच्च मात्रा में फोलेट (folate) पाया जाता है वे रक्तचाप को सामान्य करने के लिए जाने जाते हैं। फोलेट की कमी से एनीमिया होता है जो आगे चलकर बीपी लो का कारण (bp low reason) बनता है। फोलेट (folate) से भरपूर खाद्य पदार्थ शतावरी (asparagus), फलियां (beans), नींबू, संतरा, पत्तेदार हरी सब्जियां और अंडे हैं।
  • नमक के सेवन से रक्तचाप में वृद्धि होता है इसलिए उच्च रक्तचाप के रोगियों को नमक का सेवन कम करने की सलाह दी जाती है। निम्न रक्तचाप के रोगी प्राकृतिक नमक युक्त खाद्य पदार्थ (natural salt-rich foods) जैसे पनीर और जैतून (olives) खा सकते हैं।
  • कैफीन (Caffeine) रक्तचाप को बढ़ाने के लिए जाना जाता है। इसलिए अगर रक्तचाप अचानक कम हो जाता है, तो कॉफ़ी (coffee) पिने की सलाह दी जाती है| कॉफी ब्लड सर्कुलेशन को बढ़ाता है जिस से रक्तचाप में भी बढ़ोतरी होती है|

नोट- अब आप जानते हैं कि लो बीपी की स्थिति में क्या करना चाहिए (what to do in low Blood Pressure)| तो इन का पालन करें और स्वस्थ रहे| 

कम रक्तचाप और गर्भावस्था के बीच संबंध (relation between low blood pressure and pregnancy)

गर्भवती महिलाओं और विकासशील भ्रूण पर लो बीपी का प्रभाव चिकित्सा प्रणाली में सबसे अधिक चर्चा वाले विषयों में से एक है। विभिन्न अध्ययनों से पता चला है कि  रक्तचाप में कमी का गर्भवती महिलाओं पर नकारात्मक प्रभाव पड़ता है।

गर्भवती महिलाओं में गर्भावस्था के दौरान कुछ शारीरिक और पैथोफिजियोलॉजिकल (pathophysiological) परिवर्तन होते है जिसकी वजह से उनके शारीरिक कार्यों में परिवर्तन आते हैं जिसके परिणामस्वरूप रक्तचाप कम हो सकता है। अक्सर यह देखा गया है कि गर्भावस्था के दौरान कुछ लक्षण जैसे रक्तचाप में कमी एक से अधिक बार महसूस किया जा सकता है, लेकिन ये लक्षण गर्भावस्था के बाद खुद ही गायब हो जाते हैं।

रक्तचाप में कमी और खराब प्रसवकालीन परिणामों के बीच एक संबंध है जो साक्ष्य आधारित है। और ऐसा माना जाता है कि गर्भावस्था के दौरान निम्न रक्तचाप का सीधा संबंध नवजात शिशु के वजन से होता है|  विभिन्न अध्ययनों ने साबित किया है कि गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप में कमी एक गंभीर समस्या हो सकती है। 

गर्भावस्था के अंतिम चरण में, खड़े होने के समय महिलाओं के धमनी पर पड़ने वाला औसत दबाव का सीधा संबंध शिशु के वजन से होता है। यह देखा गया है कि खड़े होने पर रक्तचाप में गिरावट महसूस करने वाले महिलाओं ने जन्म के समय कम वजन वाले बच्चों को जन्म दिया है।

निष्कर्ष (conclusion)

निम्न रक्तचाप या हाइपोटेंशन (hypotension) आमतौर पर एक लक्षण विहीन (asymptomatic) स्थिति होती है जब तक कि किसी सहवर्ती स्थिति (concomitant condition) के कारण इसका पता नहीं लगाया जाता है। बीपी लो होने के कई कारण (bp low reason) होते हैं। कम रक्तचाप का इलाज चिकित्सक उचित दवा तथा रोगी के आहार और जीवन शैली में संशोधन कर, कर सकते हैं।

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