Lymphocytes in Hindi: आपकी प्रतिरक्षा प्रणाली का अहम हिस्सा
Medically Reviewed By
Dr. Geetanjali Gupta
Written By Muskan Taneja
on Sep 10, 2024
Last Edit Made By Muskan Taneja
on Sep 10, 2024
लिम्फोसाइट्स क्या हैं?
लिम्फ़ोसाइट्स, हमारे शरीर के सुरक्षा प्रणाली की एक जरुरी हिस्सा है जो कि बैक्टीरिया, वायरस, और अन्य हानिकारक आक्रमणकारियों को पहचानते हैं और उनसे लड़ने में मदद करते हैं। लिम्फोसाइट्स हमारे खून में पाए जाने वाले सफेद रक्त कोशिकाओं का एक प्रकार हैं। ये हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली (immune system) का एक ज़रूरी हिस्सा हैं। इन्हें हमारे शरीर के रक्षक भी कहा जा सकता है, जो हमारे शरीर को बीमारी और संक्रमण से लड़ने में मदद करती है। ये छोटी-छोटी कोशिकाएँ हमारे शरीर में घूमती रहती हैं और हर वक्त नज़र रखती हैं कि कहीं कोई बाहरी हमलावर तो नहीं आ गया।
लिम्फोसाइट्स को मुख्य रूप से दो प्रकारों में बाँटा जा सकता है:
- B-लिम्फोसाइट्स: ये एंटीबॉडी बनाने में मदद करते हैं। एंटीबॉडी वे प्रोटीन हैं जो बैक्टीरिया और वायरस जैसे हानिकारक तत्वों को पहचानते और उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं।
- T-लिम्फोसाइट्स: ये सीधे तौर पर संक्रमित कोशिकाओं पर हमला करते हैं और उन्हें नष्ट करते हैं। साथ ही, ये B-लिम्फोसाइट्स को भी सहायता प्रदान करते हैं।
टी कोशिकाएं और बी कोशिकाएं कैसे काम करती हैं?
टी कोशिकाएं और बी कोशिकाएं दोनों आपके शरीर की रक्षा करने में मदद करती हैं। वे अलग-अलग तरीके से काम करती हैं:
टी कोशिकाएं:
- ये बीमारी फैलाने वाली कोशिकाओं को मारती हैं।
- शरीर की रक्षा प्रणाली को नियंत्रित करती हैं।
- कुछ अलग-अलग प्रकार की टी कोशिकाएं होती हैं जैसे :
- कुछ सीधे बीमारी वाली कोशिकाओं को मारती हैं।
- कुछ दूसरी रक्षा कोशिकाओं की मदद करती हैं।
- कुछ रक्षा प्रणाली को शांत करने में मदद करती हैं।
बी कोशिकाएं:
- ये बीमारी पैदा करने वाले तत्वों (एंटीजन) को पहचानती हैं।
- हर एंटीजन के लिए खास एंटीबॉडी बनाती हैं।
- दो तरह से काम करती हैं:
- पहली बार किसी एंटीजन से मिलने पर धीरे-धीरे एंटीबॉडी बनाती हैं।
- अगर वही एंटीजन फिर आता है, तो जल्दी से एंटीबॉडी बनाती हैं।
दोनों मिलकर आपको बीमारियों से बचाती हैं और आपको स्वस्थ रखने में मदद करती हैं।
लिम्फोसाइट्स क्यों जरूरी हैं?
आइए समझें कि लिम्फोसाइट्स हमारे लिए इतने महत्वपूर्ण क्यों हैं:
- रोगों से बचाव: लिम्फोसाइट्स हमें कई तरह के संक्रमणों और बीमारियों से बचाते हैं। चाहे वो साधारण सर्दी-जुकाम हो या फिर कोई गंभीर बीमारी, लिम्फोसाइट्स हमेशा मोर्चे पर डटे रहते हैं।
- कैंसर से लड़ाई: T-लिम्फोसाइट्स कैंसर कोशिकाओं को पहचानने और उन्हें नष्ट करने में मदद करते हैं। वे शरीर की अपनी कोशिकाओं की भी जाँच करते हैं कि कहीं वे कैंसर कोशिका तो नहीं बन गई हैं।
- याददाश्त: लिम्फोसाइट्स की एक खास बात यह है कि वे पुराने दुश्मनों को याद रखते हैं। इसी वजह से जब हम किसी बीमारी से एक बार ठीक हो जाते हैं, तो दोबारा उस बीमारी से जल्दी नहीं होते।
- टीकों की कार्यप्रणाली: टीके इसी सिद्धांत पर काम करते हैं। वे लिम्फोसाइट्स को एक बीमारी के बारे में सिखाते हैं, ताकि अगर वह बीमारी कभी आए तो हमारा शरीर उससे लड़ने के लिए तैयार रहे।
- शरीर का संतुलन: लिम्फोसाइट्स न सिर्फ बाहरी खतरों से लड़ते हैं, बल्कि वे हमारे शरीर के अंदर भी संतुलन बनाए रखने में मदद करते हैं।
लिम्फोसाइट्स से जुड़ी कुछ समस्याएँ
जैसे हर अच्छी चीज़ के साथ कुछ समस्याएँ भी जुड़ी होती हैं, वैसे ही लिम्फोसाइट्स के साथ भी कुछ परेशानियाँ हो सकती हैं:
- ल्यूकीमिया (Leukemia): ये एक तरह का रक्त कैंसर है जिसमें असामान्य लिम्फोसाइट्स बहुत तेज़ी से बढ़ने लगते हैं।
- लिम्फोमा (Lymphoma): इस बीमारी में लिम्फोसाइट्स अनियंत्रित रूप से बढ़ने लगते हैं और ट्यूमर बना लेते हैं।
- ऑटोइम्यून रोग: कभी-कभी लिम्फोसाइट्स गलती से शरीर के अपने ही अंगों को दुश्मन समझ लेते हैं और उन पर हमला कर देते हैं। इससे रूमेटोइड आर्थराइटिस जैसी बीमारियाँ हो सकती हैं।
- एड्स: HIV वायरस T-लिम्फोसाइट्स पर हमला करता है, जिससे शरीर की रक्षा प्रणाली कमजोर हो जाती है।
लिम्फोसाइट्स कैसे बनाए रखें ?
अब जब हमने जान लिया कि लिम्फोसाइट्स कितने महत्वपूर्ण हैं, तो यह भी जानना ज़रूरी है कि हम इनकी देखभाल कैसे कर सकते हैं:
- स्वस्थ आहार: फल, सब्जियाँ, और पौष्टिक भोजन खाएँ। ये लिम्फोसाइट्स को मज़बूत बनाते हैं।
- व्यायाम: नियमित व्यायाम से न सिर्फ शरीर, बल्कि लिम्फोसाइट्स भी मज़बूत होते हैं।
- तनाव कम करें: ज्यादा तनाव लिम्फोसाइट्स को कमजोर बना सकता है। योग, ध्यान या अपने पसंदीदा काम करके तनाव कम करें।
- नींद: पर्याप्त नींद लें। नींद के दौरान लिम्फोसाइट्स ज्यादा सक्रिय होते हैं और शरीर की मरम्मत करते हैं।
- धूम्रपान छोड़ें: धूम्रपान लिम्फोसाइट्स को नुकसान पहुँचाता है। इसे छोड़ना स्वास्थ्य के लिए बहुत फायदेमंद है।
लिम्फोसाइट्स कहां स्थित होते हैं?
लिम्फोसाइट्स का जन्म और विकास आपके अस्थि मज्जा में होता है। परिपक्व होने के बाद, ये आपके रक्तप्रवाह में प्रवेश करते हैं। आप इन्हें अपने रक्त और लसीका तंत्र के सभी भागों में पा सकते हैं। कुछ लिम्फोसाइट्स थाइमस ग्रंथि में जाकर टी कोशिकाएँ बनते हैं, जबकि अन्य लिम्फ नोड्स और अंगों में जाकर बी कोशिकाएँ बनते हैं।
लिम्फोसाइट्स कैसे दिखते हैं?
लिम्फोसाइट्स लाल रक्त कोशिकाओं से बड़े होते हैं, लेकिन फिर भी वे सूक्ष्म होते हैं। प्रत्येक छोटे लिम्फोसाइट के केंद्र में एक बड़ा नाभिक होता है। नाभिक गहरे बैंगनी रंग का होता है। आस-पास का जेली जैसा द्रव (साइटोप्लाज्म) बैंगनी रंग का होता है।
लिम्फोसाइट्स की सामान्य सीमा
- वयस्कों में (In adults): हर 1 माइक्रोलीटर रक्त में 1,000 से 4,800 लिम्फोसाइट्स
- बच्चों में (In children): हर 1 माइक्रोलीटर रक्त में 3,000 से 9,500 लिम्फोसाइट्स
- श्वेत रक्त कोशिकाओं का लगभग 20% से 40% लिम्फोसाइट्स होते हैं
लिम्फोसाइट्स के उच्च स्तर (लिम्फोसाइटोसिस)
लिम्फोसाइटोसिस आमतौर पर किसी संक्रमण या बीमारी के कारण होता है। कुछ गंभीर कारण हो सकते हैं:
- हेपेटाइटिस
- उपदंश
- मोनोन्यूक्लिओसिस
- क्षय रोग
- एचआईवी और एड्स
- हाइपोथायरायडिज्म
- काली खांसी, टोक्सोप्लाज़मोसिस या साइटोमेगालोवायरस जैसे संक्रमण
- रक्त कैंसर जैसे कि लिम्फोमा या ल्यूकेमिया
लिम्फोसाइट्स के निम्न स्तर (लिम्फोसाइटोपेनिया)
लिम्फोसाइटोपेनिया के कारण हो सकते हैं:
- एचआईवी या एड्स
- क्षय रोग या टाइफाइड बुखार
- वायरल हेपेटाइटिस
- हॉजकिन रोग जैसे रक्त संबंधी रोग
- ल्यूपस जैसे स्वप्रतिरक्षी रोग
- कुछ दुर्लभ वंशानुगत स्थितियाँ
- विकिरण या कीमोथेरेपी उपचार
लिम्फोसाइट संबंधित समस्याओं के लक्षण
लिम्फोसाइटोसिस और लिम्फोसाइटोपेनिया अकेले आमतौर पर कोई लक्षण नहीं देते। लेकिन अगर ये किसी गंभीर बीमारी के कारण हों, तो निम्न लक्षण हो सकते हैं:
- सूजी हुई लिम्फ नोड्स
- रात का पसीना
- बुखार
- पेट में दर्द
- भूख में कमी
- सांस लेने में कठिनाई
लिम्फोसाइट्स हमारे शरीर की प्रतिरक्षा प्रणाली का जरूरी हिस्सा हैं, जो हमें अलग-अलग बीमारियों और संक्रमणों से बचाते हैं। ये कोशिकाएँ बैक्टीरिया, वायरस और कैंसर जैसी समस्याओं से लड़ने में मदद करती हैं। स्वस्थ जीवन शैली, जैसे कि पौष्टिक आहार, नियमित व्यायाम, पर्याप्त नींद और तनाव कम करना, लिम्फोसाइट्स को मजबूत बनाए रखने में मदद कर सकता है। हालाँकि, कभी-कभी लिम्फोसाइट्स से जुड़ी समस्याएँ भी हो सकती हैं, जैसे ल्यूकीमिया या ऑटोइम्यून रोग। इसलिए, शरीर के इस महत्वपूर्ण हिस्से की देखभाल करना बेहद जरूरी है।