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40 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए 5 जरूरी जाँच, खतरनाक बीमारियों के बारे में देते हैं संकेत - MyHealth

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40 की उम्र के बाद महिलाओं के लिए 5 जरूरी जाँच, खतरनाक बीमारियों के बारे में देते हैं संकेत

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Srujana Mohanty
on Sep 19, 2022

Last Edit Made By Srujana Mohanty
on Mar 18, 2024

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काम और घर के बीच संतुलन सुनिश्चित करने के लिए महिलाएं लगातार करतब दिखा रही हैं और योग्य रही हैं। महिलाओं के पास अक्सर एक बड़ी काम की सूची होती है, जिसमें उनके नियमित स्वास्थ्य जांच (health checkups) के अलावा अन्य सभी चीजें शामिल होती हैं।

आपको पता होना चाहिए कि जैसे-जैसे महिलाएं की उम्र बढ़ती जाती हैं, उन्हें कई तरह की स्वास्थ्य स्थितियों (health conditions) का सामना करना पड़ता है। यदि कोई अंतर्निहित स्वास्थ्य समस्या मौजूद है, तो नियमित जांच से शीघ्र निदान (diagnosis) सुनिश्चित होता है। इसे ऐसे समझें जैसे आप अपनी कार के लिए नियमित रखरखाव जांच करते हैं ताकि यह सुनिश्चित हो सके कि यह सुचारू रूप से चलती है।

परीक्षणों (tests) का एक समूह है जो कुछ चिकित्सीय स्थितियों (medical conditions) का जल्दी पता लगा सकता है। अपने स्वास्थ्य के बारे में सक्रिय रहने से कई स्वास्थ्य समस्याओं को रोका जा सकता है और बाद में व्यापक उपचार के लिए आपको परेशानी, समय और धन की आवश्यकता होगी।

जैसे जैसे महिला की उम्र बढ़ती जाती हैं उन्हें बहुत सारी स्वास्थ्य समस्यों का सामना करना पड़ता हैं जैसे मोटापा, उच्च रक्तचाप, ब्रैस्ट कैंसर, उच्च कोलेस्ट्रॉल का स्तर इत्यादि। अतः एक महिला को नियमित रूप से अपने स्वास्थ्य की जांच नियमित समय पर करवाते रहना चाहिए रेडक्लिफ लैब्स आपको घर बैठे टेस्ट बुक करने और रिपोर्ट प्राप्त करने की सुबिधा देता तो आज ही अपना टेस्ट बुक करें और एक स्वास्थ्य जीवनशैल बिताएंरेडक्लिफ लैब्स से टेस्ट बुक करने के लिए अभी कॉल करें @92-895-89001

5 टेस्ट जो एक महिला को निश्चित रूप से करना चाहिए (5 tests a woman should definitely do)

यहां नियमित चिकित्सा जांच (medical check-up) परीक्षणों (tests) की एक सूची दी गई है, जिन्हें आपको 40 वर्ष की आयु के बाद करना चाहिए।

1. थायराइड परीक्षण (Thyroid Test)

कई महिलाओं को अस्पष्टीकृत (unexplained) वजन बढ़ने, बालों के झड़ने (hair loss), भंगुर नाखून (brittle nails) और थकान (fatigue) की शिकायत होती है। इसका एक सामान्य कारण निष्क्रिय थायराइड (thyroid) या हाइपोथायरायडिज्म (hypothyroidism) है। यह ग्रंथि T3, T4 और TSH हार्मोन (hormones) को स्रावित करती है और शरीर के चयापचय (metabolism) को नियंत्रित करने के लिए जिम्मेदार है।

कोई भी परिवर्तन (या तो कम या ज्यादा हार्मोन उत्पादन) शरीर में गंभीर परिवर्तन का कारण बन सकता है। गर्भावस्था (pregnancy), प्रसव (childbirth), स्तनपान (breastfeeding) और मीनोपॉज (menopause) के दौरान प्रमुख हार्मोनल परिवर्तनों (hormonal changes) के कारण महिलाओं को इसका खतरा अधिक होता है। 40 साल की उम्र के बाद हर 5 साल में एक बार यह जाँच करवाने की सलाह दी जाती है।

2. मधुमेह और उच्च रक्तचाप के लिए स्क्रीनिंग (Screening for diabetes and high blood pressure)

मधुमेह (diabetes) और उच्च रक्तचाप (high blood pressure) जैसी चिकित्सा स्थितियां (medical conditions) तेजी से सामान्य हो गई हैं और पहले की तुलना में बहुत कम उम्र में इसका पता लगाया जा रहा है। इन स्थितियों का एक महिला के स्वास्थ्य पर उनके जीवन के विभिन्न चरणों (गर्भावस्था, प्रसवोत्तर और स्तनपान, और मीनोपॉज) के माध्यम से दीर्घकालिक जटिलताओं (complications) के साथ जबरदस्त प्रभाव हो सकता है।

रक्त चाप (Blood pressure) को रक्तदाबमापी (sphygmomanometer) के माध्यम से मापा जाता है और रक्त शर्करा (blood sugar) को 2 घंटे के शर्करा टॉलरेंस जाँच (sugar tolerance test) (ओजीटी) के माध्यम से मापा जाता है जो आपके रक्त चाप (blood pressure) को निर्धारित करता है।

3. मैमोग्राम से स्तनों की पूरी जांच करें (Complete Breast Examining with a Mammogram)

आसानी से पहचाने जाने योग्य होने के बावजूद, भारत में कैंसर (cancer) से होने वाली मौतों का दूसरा प्रमुख कारण स्तन कैंसर (breast cancer) है। यह अनुशंसा की जाती है कि प्रत्येक महिला को नियमित रूप से स्तन कैंसर (breast cancer) की जांच करवानी चाहिए।

जैसे-जैसे उम्र के साथ स्तन कैंसर (breast cancer) का खतरा बढ़ता जाता है, 40 वर्ष से अधिक उम्र की प्रत्येक महिला को सालाना मैमोग्राम (mammogram) करवाना चाहिए। जितनी जल्दी इस खतरनाक बीमारी (dangerous disease) का पता चल जाता है, उसके ठीक होने की संभावना उतनी ही अधिक होती है।

मैमोग्राम (mammogram) स्तन ऊतक (breast tissue) का एक विशेष एक्स-रे (X-ray) होता है और आमतौर पर एक डिजिटल होता है। यह उन सभी महिलाओं के लिए अनुशंसित है जिनकी उम्र 40 वर्ष से अधिक है, या इससे पहले यदि आपके पास स्तन कैंसर (breast cancer) का पारिवारिक इतिहास है।

किसी विशेषज्ञ द्वारा वार्षिक परीक्षा के साथ-साथ हर महीने एक पूर्ण स्तन (breast) स्व-परीक्षा (स्व-परीक्षा) की जानी चाहिए। दर्द (pain), कोमलता (tenderness), गांठ (lumps), निप्पल की स्थिति (nipple position) या किसी भी तरह के स्राव के लिए स्तनों (breast) की जांच की जाती है। जब संदेह हो, तो पेशेवर (professional) डॉक्टर से मदद लेना हमेशा बेहतर होता है।

4. श्रोणि परीक्षा और पैप स्मीयर (Pelvic Exam and Pap Smear)

40 साल की उम्र के बाद, यह हमेशा सलाह दी जाती है कि आप समय-समय पर अपने स्त्री रोग विशेषज्ञ (gynecologist) से मिलें और पूरी पेल्विक परीक्षा (pelvic exam) और पैप स्मीयर (Pap smear) जाँच करवाएं। सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) भारतीय महिलाओं में मौत का एक प्रमुख और रोके जाने योग्य कारण है।

एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) के जरिए सर्वाइकल कैंसर (Cervical cancer) को रोका जा सकता है। टीकाकरण (vaccination) जितना जल्दी होगा उतना ही बेहतर होगा, यही कारण है कि इंडियन एकेडमी ऑफ पीडियाट्रिक्स कमेटी ऑन इम्यूनाइजेशन (Indian Academy of Pediatrics Committee on Immunization) (आईएपीसीओआई) 14 साल से कम उम्र की लड़कियों के लिए अपनी "विशेष स्थिति टीके (Special Situation Vaccines) / वैकल्पिक टीके" (Alternative Vaccines) के तहत एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) की सिफारिश करता है।

एचपीवी वैक्सीन (HPV vaccine) को दो के रूप में दिया जाता है। दो-खुराक (dose) की खुराक (dose), छह महीने के अलावा और 15 साल और उससे अधिक उम्र के लोगों के लिए, टीका (vaccine) तीन-खुराक (dose) वाले आहार में दिया जाता है।

हालांकि, टीका (vaccinated) लगाए जाने के बावजूद, 21 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाओं या यौन सक्रिय (sexually active) होने के 3 साल के भीतर पैप स्मीयर परीक्षण (Pap smear test) की सलाह दी जाती है।

ध्यान दें: पैप स्मीयर (Pap smear) करवाने से पहले, अपनी नियुक्ति से एक या दो दिन पहले संभोग (intercourse) करने या योनि दवाओं (vaginal medications) का उपयोग करने से बचें। इसके अलावा, गांठ (lumps), वृद्धि (growths), मस्से (warts) और किसी भी असामान्य निर्वहन को देखने के लिए एक पूर्ण श्रोणि परीक्षा (pelvic exam) भी की जानी चाहिए।

5. कोलेस्ट्रॉल के स्तर की जाँच करें (Check Cholesterol Levels)

यह परीक्षण (test) अच्छे और बुरे कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) के स्तर के साथ-साथ ट्राइग्लिसराइड्स (triglycerides) और कुल कोलेस्ट्रॉल स्तर (total cholesterol level) की जाँच करता है। कोलेस्ट्रॉल (cholesterol) एक वसा अणु (fat molecule) है, जो उच्च स्तर में मौजूद होने पर, रक्त वाहिकाओं (blood vessels) में जमा हो सकता है और उम्र के साथ हृदय रोग (heart disease) और स्ट्रोक (stroke) का खतरा बढ़ा सकता है।

इस परीक्षण (test) के लिए बिना पानी या भोजन के 12 घंटे उपवास (fast) करना आवश्यक है। यह 40 वर्ष की आयु के बाद सलाह दी जाती है और 5 साल में एक बार किया जाना चाहिए यदि पिछले परीक्षण (test) के परिणाम सामान्य श्रेणी (normal range) में थे।

हालांकि, उच्च कोलेस्ट्रॉल के स्तर (high cholesterol level) के मामले में या जिन महिलाओं में जोखिम कारक (risk factors) हैं (जैसे हृदय रोग का पारिवारिक इतिहास, उच्च कोलेस्ट्रॉल (high cholesterol) स्तर, उच्च रक्तचाप, स्ट्रोक, आदि), नियमित जांच (regular check-ups), यानी हर 6 महीने में एक बार आवश्यक है।

सामान्य प्रश्न (FAQ’s)

#1. 40 की उम्र में मुझे कौन से चिकित्सा परीक्षण की आवश्यकता है? (What medical tests do I need at 40?)

नीचे कुछ टेस्ट दिए गए हैं जो 40 की उम्र की हर महिला को जरूर करवाना चाहिए इन टेस्टों के नाम हैं:-

  • पूर्ण रक्त गणना (complete blood count)
  • ब्लड ग्रुपिंग (Blood Grouping)
  • आरएच टाइपिंग (RH typing)
  • छाती का एक्स - रे (chest X-ray)
  • नियमित मूत्र जांच (regular urine test)
  • फ़ास्टिंग ब्लड शुगर (fasting blood sugar)
  • पोस्ट-प्रैंडियल ब्लड शुगर (post-prandial blood sugar)
  • पूरे पेट का अल्ट्रासाउंड (Full abdominal ultrasound)
#2. महिलाओं के लिए कौन से टेस्ट महत्वपूर्ण हैं? (Which tests are important for women?)

मैमोग्राम (Mammograms), कोलेस्ट्रॉल स्क्रीनिंग (cholesterol screening), और पैप स्मीयर (Pap smear)- ये कुछ ऐसी परीक्षाएं हैं जो एक महिला के स्वास्थ्य के लिए आवश्यक हैं। इनके अलावा कुछ टेस्टों के नाम हैं जो एक महिला को अवश्य करवाने चाहिए जी की हैं:-

  • अस्थि घनत्व स्क्रीनिंग (Bone Density Screening)
  • रक्त ग्लूकोज परीक्षण (Blood glucose test)
  • कोलन कैंसर स्क्रीनिंग (colon cancer screening)
  • बॉडी मास इंडेक्स (body mass index)

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