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डायबिटीज नियंत्रण के लिए कटहल का आटा: यहां बताया गया है कि शोध क्या कहता है| - MyHealth

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डायबिटीज नियंत्रण के लिए कटहल का आटा: यहां बताया गया है कि शोध क्या कहता है|

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Medically Reviewed By
Dr. Ragiinii Sharma

Written By Srujana Mohanty
on Oct 18, 2022

Last Edit Made By Srujana Mohanty
on Mar 17, 2024

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Jackfruit-Flour
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यह निस्संदेह काफी चिंताजनक है जब आंकड़े बताते हैं कि वर्ष 2030 तक भारत में लगभग 100 मिलियन लोग टाइप -2 डायबिटीज से प्रभावित होंगे। टाइप -2 डायबिटीज मेलिटस क्रोनिक मेटाबोलिक डिसऑर्डर है जो ब्लड ग्लूकोस के स्तर को बढ़ाता है, जिसे हाइपरग्लाइसीमिया (hyperglycemia) कहा जाता है और इसका ट्रीटमेंट और मैनेजमेंट मुश्किल हो जाता है।

हाल के एक अध्ययन का निष्कर्ष है कि टाइप-2 डायबिटीज को मैनेज करने के लिए कटहल का आटा मेडिकल नुट्रिशन थेरेपी में एक फायदेमंद इन्क्लूजन ( beneficial inclusion)है।

मुख्य रूप से दुनिया के ट्रॉपिकल क्षेत्रों में पाया जाने वाला कटहल भारत के पश्चिमी घाटों में (Western Ghats)उगाया जाने वाला एक बहुत ही सामान्य फल है। इसे कच्चा या सब्जी के रूप में खाया जाता है और पूरी तरह से पकने पर फल के रूप में भी खाया जाता है।

चूंकि पके कटहल में शुगर लेवल बहुत अधिक होता है, इसलिए टाइप-2 डायबिटीज के रोगियों में इसे खाने को लेकर चिंता होती है। हालांकि,दूसरी तरफ, कटहल कैरोटेनॉयड्स(carotenoids), प्रोएंथोसायनिडिन (proanthocyanidin), फ्लेवोनोइड्स(flavonoids),वोलेटाइल एसिड(volatile acids), स्टेरोल्स(sterols) और टैनिन (tannins)से समृद्ध (enriched)होता है।

इसमें फाइटोकेमिकल्स(phytochemicals) की उपस्थिति के कारण, साइंटिफिक रिसर्च इसके एंटी -डायबिटीज गुणों का पता लगाते हैं।

बिवोरो और अन्य द्वारा रिपोर्ट किया गया कि इन केमिकल्स की क्रिया का प्राइमरी मोड ब्लड स्ट्रीम में लिपिड पेरोक्साइड (lipid peroxide) के फार्मेशन को रोकना है। इन निष्कर्षों के कारण, केरल के रीसर्चर्स ने टाइप -2 डायबिटीज रोगियों के लिए चावल के एक शक्तिशाली विकल्प के रूप में कटहल के पोषण और ग्लाइसेमिक वैल्यू पर ध्यान दिया। इसमें कटहल के मौसम में एंटीडायबिटिक मेडिकेशन्स की कम डिमांड और आवश्यकता को दिखाया गया।

डायबिटीज रोगियों के स्वास्थ्य पर कटहल के उपयोग और प्रभावों का पता लगाने के लिए, वास्तविक फल के बजाय कटहल के आटे के प्रभावों का आकलन करने के लिए एक और अध्ययन किया गया।

यह अध्ययन आंध्र प्रदेश के श्रीकाकुलम में राजीव गांधी आयुर्विज्ञान संस्थान( Rajiv Gandhi Institute of Medical Sciences) में एक रैंडम , डबल-ब्लाइंड रिपोर्ट थी। टेस्ट्स में शामिल सभी विषयों को कंप्यूटर-आधारित, पूर्व निर्धारित रैंडमाइजेशन तकनीक का उपयोग करके रेंडमाइज(randomized) किया गया और फिर दो ग्रुप में विभाजित किया गया।

ग्रुप ए(Group A)

चावल और गेहूं के आटे से बने नाश्ते और रात के खाने के साथ 15 ग्राम हरे कटहल का आटा मिलाया | 

ग्रुप बी (कण्ट्रोल ग्रुप )(Group B(control Group))

चावल और गेहूं के आटे से बने नाश्ते और रात के खाने के साथ 15 ग्राम प्लेसीबो (placebo)का आटा मिलाया |

उसके बाद, शोधकर्ताओं ने सीआरओ(CRO) साइट पर रैंडमाइजेशन किया। सभी पार्टिसिपेंट्स के बीच, प्रत्येक ग्रुप के पांच रोगियों ने लगातार 14 दिनों तक लगातार ग्लूकोज मॉनिटर किया ।

प्रत्येक विषय के लिए अध्ययन में भाग लेने की अधिकतम अवधि 13 सप्ताह थी। हरे कटहल के आटे के पोषण संबंधी तथ्यों में शामिल हैं:

कैलोरी - 108 किलो कैलोरी

कार्बोहाइड्रेट - 20 ग्राम

डाइटरी फाइबर - 4 ग्राम

घुलनशील(Soluble)फाइबर - 1 ग्राम

प्लेसीबो आटे के पोषण संबंधी तथ्यों में शामिल हैं:

कैलोरी - 146 किलो कैलोरी

कार्बोहाइड्रेट - 30 ग्राम

डाइटरी फाइबर - 2.5 ग्राम

घुलनशील(Soluble) फाइबर - 0 ग्राम

विषयों के रेंडमाइज्ड(randomized) चयन के बाद, प्रत्येक पार्टिसिपेंट्स को अपना डिटेल्ड मेडिकल हिस्ट्री जमा करना था।

 प्राइमरी क्लीनिकल एग्जामिनेशन में एचबीए 1 सी (HbA1C)इवैल्यूएशन शामिल था, जबकि सेकेंडरी क्लीनिकल एग्जामिनेशन में फास्टिंग और बाद का ब्लड ग्लूकोस , शरीर के वजन, बीएमआई, आदि की मॉनिटरिंग शामिल थी।

अध्ययन में शामिल 42 पार्टिसिपेंट्स में से 40 को अनुसंधान (research) के लिए आगे बढ़ने के योग्य समझा गया और उन्हें भोजन के साथ चावल और गेहूं के स्थान पर कटहल का आटा दिया गया।

यहाँ शोधकर्ताओं ने क्या रिकॉर्ड किया है:

प्राइमरी एंडपॉइन्ट 
HbA1C रिपोर्टिंग 
ग्रुप ए ग्रुप बी 
सप्ताह(week) 1सप्ताह (week)2सप्ताह (week)1सप्ताह(week) 2
55.57 mmol/ mol52.84 mmol/mol55.88 mmol/mol56.11 mmol/mo

अध्ययन के इनिशियल या प्राइमरी एंडपॉइन्ट के अनुसार, शोधकर्ताओं ने दर्ज किया कि ग्रुप बी में जिन पार्टिसिपेंट्स ने प्लेसीबो आटा दिया गया , उन्होंने एचबीए1सी के लेवल को कम नहीं किया। हालांकि, कटहल का आटा लेने वाले ग्रुप ए के पार्टिसिपेंट्स में एचबीए1सी के लेवल में 0.25% की कमी देखी गई।

सेकेंडरी एंडपॉइन्ट
एफपीजी (फास्टिंगग्लूकोज) पीपीजी (प्रसवोत्तरग्लूकोज)
ग्रुप ए ग्रुप बी ग्रुप ए ग्रुप बी 
सप्ताह(week) 1सप्ताह (week)2सप्ताह (week)1सप्ताह (week) 2सप्ताह (week) 1सप्ताह (week)2सप्ताह (week)1सप्ताह (week) 2
7.93 mmol/L6.29 mmol/L8.14 mmol/L7.25 mmol/L11.07 mmol/L9.03 mmol/L10.91 mmol/L10.43 mmol/L

हालांकि शोधकर्ताओं ने प्लेसीबो ग्रुप में एचबीए1सी लेवल्स में कोई सकारात्मक परिवर्तन ( positive change) नहीं पाया, लेकिन दोनों ग्रुप में पार्टिसिपेंट्स के फास्टिंग और प्रसवोत्तर ब्लड ग्लूकोस लेवल में सिग्नीफिकेंट रिडक्शन आया ।

इनके अलावा, अन्य माने जाने वाले मार्कर जैसे कोलेस्ट्रॉल, एचडीएल, एलडीएल और ट्राइग्लिसराइड के लेवल दोनों ग्रुप में सप्ताह 1 से सप्ताह 12 के बीच अपरिवर्तित(unchanged) रहे।

टाइप -2 डायबिटीज का प्रसार ( prevalence)खतरनाक दर से बढ़ रहा है, खासकर अधिक वजन वाले और मोटे व्यक्तियों में।

डायबिटीज मैनेजमेंट पर कटहल के आटे के प्रभावों का आकलन करना अपनी तरह का पहला टेस्ट था। यह इनिशियल आउटलुक है और कार्रवाई के तरीके और आगे की प्रक्रियाओं का एनालिसिस करने के लिए और बड़े पैमाने पर शोध की आवश्यकता होगी जो टाइप -2 डायबिटीज रोगियों के आहार में मुख्य चावल और गेहूं के लिए एक अच्छे रिप्लेसमेंट के रूप में कटहल के आटे को हाईलाइट कर‌ सकेंगे।

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